उपवाक्य (Clause) की परिभाषा

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उपवाक्य (Clause) की परिभाषा

ऐसा पदसमूह, जिसका अपना अर्थ हो, जो एक वाक्य का भाग हो और जिसमें उदेश्य और विधेय हों, उपवाक्य कहलाता हैं।
उपवाक्यों के आरम्भ में अधिकतर कि, जिससे ताकि, जो, जितना, ज्यों-त्यों, चूँकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, जहाँ इत्यादि होते हैं।

उपवाक्य के प्रकार

उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

(1) संज्ञा-उपवाक्य (Noun Clause)

(2) विशेषण-उपवाक्य (Adjective Clause)

(3) क्रियाविशेषण-उपवाक्य

(1) संज्ञा-उपवाक्य(Noun Clause)-

जो आश्रित उपवाक्य संज्ञा की तरह व्यवहृत हों, उसे ‘संज्ञा-उपवाक्य’ कहते हैं।
यह कर्म (सकर्मक क्रिया) या पूरक (अकर्मक क्रिया) का काम करता है, जैसा संज्ञा करती है। ‘संज्ञा-उपवाक्य’ की पहचान यह है कि इस उपवाक्य के पूर्व ‘कि’ होता है। जैसे- ‘राम ने कहा कि मैं पढूँगा’ यहाँ ‘मैं पढूँगा’ संज्ञा-उपवाक्य है। ‘मैं नहीं जानता कि वह कहाँ है’- इस वाक्य में ‘वह कहाँ है’ संज्ञा-उपवाक्य है।

(2) विशेषण-उपवाक्य (Adjective Clause)-

जो आश्रित उपवाक्य विशेषण की तरह व्यवहृत हो, उसे विशेषण-उपवाक्य कहते हैं।
जैसे- वह आदमी, जो कल आया था, आज भी आया है। यहाँ ‘जो कल आया था’ विशेषण-उपवाक्य है।
इसमें ‘जो’, ‘जैसा’, ‘जितना’ इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता हैं।

(3) क्रियाविशेषण-उपवाक्य (Adverb Clause)- 

जो उपवाक्य क्रियाविशेषण की तरह व्यवहृत हो, उसे क्रियाविशेषण-उपवाक्य कहते हैं।
जैसे- जब पानी बरसता है, तब मेढक बोलते हैं यहाँ ‘जब पानी बरसता है’ क्रियाविशेषण-उपवाक्य हैं। इसमें प्रायः ‘जब’, ‘जहाँ’, ‘जिधर’, ‘ज्यों’, ‘यद्यपि’ इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता हैं। इसके द्वारा समय, स्थान, कारण, उद्देश्य, फल, अवस्था, समानता, मात्रा इत्यादि का बोध होता हैं।

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