Essay On Notebandi In Hindi – Notebandi In India In Hindi

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नोटबंदी पर निबंध

Notebandi Par Nibandh – नोटबंदी के बारे में – Essay On Notebandi In Hindi – Notebandi In India In Hindi – Demonetisation Essay In Hindi – Demonetisation Essay UPSC

रूपरेखा : परिचय – भारत में नोटबंदी – नोटबंदी का कारण – नोटबंदी के परिणाम – विपक्षी पार्टी का विरोध – नोटबंदी का आम लोगों पर असर – नोटबंदी के लाभ – नोटबंदी से हानि – उपसंहार।

परिचय

देश में जब पुराने नोटों और सिक्कों को बंद करके नए नोट और सिक्के चलाये जाते हैं उसे नोटबंदी कहते हैं। नोटबंदी एक प्रक्रिया होती है जिसमें देश के वर्तमान मुद्रा का कानूनी दर्जा निकाल दिया जाता है और यह सिक्कों में भी लागू होता है। पुराने नोटों और सिक्कों को बदलकर उनकी जगह नए नोटों और सिक्कों को लागू कर दिया जाता है। जब नोटबंदी के बाद नए नोट देश में लागू कर दिए जाते तो पुराने नोटों की कोई कीमत नहीं रहती है।

भारत में नोटबंदी

भारत में पहली बार वर्ष 1946 में 500, 1000, और दस हजार रुपये की नोटबंदी की गई थी। जनवरी, 1978 में जब मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री थे तब 1000, 5000, और 10000 के नोटों को बंद किया गया था | भारत में 2005 में मनमोहन सिंह की सरकार ने भी 2005 से पहले के 500 के नोटों को बदलवा दिया था।

जब यूरोपियन यूनियन बना तब उन्होंने यूरो नाम की नई करेंसी चलाई थी तब सारे पुराने नोट बैंकों में जमा करवाए गये थे। यूरोप में हुई इस नोटबंदी ने यूरोप में बवाल मचा दिया था। जिम्बाब्वे में भी महंगाई से बचने के लिए 2015 में नोटबंदी का प्रयोग किया गया था। भारत में पहले भी नोटबंदी हुई थी परंतु वह इतनी प्रसिद्ध नहीं हुई थी।

आज हम छोटे सिक्कों जैसे 5, 10, 20, 50, 100 पैसों का प्रयोग करते हैं उन्हें भी बंद किया गया था। लेकिन 500 और 1000 के नोटों की नोटबंदी की कहानी ही अलग है। इन दो करेंसी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 86% भाग को काबिज किया था क्यूंकि यही नोट बाजार में सबसे अधिक चलते थे। इसी वजह से भारत में नोटबंदी से कई नुकसान और विरोध आंदोलन का सामना करना पड़ा।

नोटबंदी का कारण

भ्रष्टाचार रोकना, कालाधन समाप्त करना, नकली नोट बंद करना, मंहगाई रोकना और आतंकवादी गतिविधियों पर काबू पाने के लिए ही नोटबंदी का उपयोग किया जाता है। देश में कई लोग भ्रष्टाचारी होते हैं वो काले धन को कैश में छुपाकर रखते हैं।
इसी धन को आतंकवादी कारणों के लिए प्रयोग किया जाता है। नोटबंदी की वजह से कितने करोड़ो काला धन सामने आया। कितने घरों से करोड़ो का कैश जब्त हुए। कभी-कभी तो नकद लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए भी नोटबंदी का सहारा लिया जाता है।

नोटबंदी के परिणाम

देश में नोटबंदी होने के बाद उसका परिणाम कई लोगों को दुःख के साथ भुगतना पड़ा तो कई लोगों खुशी से उसे स्वीकार किए। जो लोग काला धन 500 और 1000 के नोटों के रूप में नकद रखा था इस समय में वे एक कागज मात्र बन कर रह गया है उसकी कीमत शून्य के बराबर हो गई है। नोटबंदी के कारण भ्रष्टाचारियों को अपना छिपाया हुआ काला धन सरकार को समर्पित करना पड़ा, कई लोगों ने इन्हें जला दिया और कईयों ने तो नदी या नाले में फेंक दिया।

विपक्षी पार्टी का विरोध

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की नोटबंदी की घोषण को विपक्ष पार्टी ने असफल और देश के पिछड़ने की वजह बताया लेकिन प्रधानमंत्री जी अपने फैसले पर अड़े रहे। विपक्षी पार्टी इस तरह से नोटबंदी का विरोध कर रही थी मानो उन्होंने अपने पास बहुत सारा काला धन छुपा कर रखा हुआ है। कई जगह आंदोलन किया तो कई जगह दंगा करवाया। कई विरोधी लोग रास्ता जाम कर बैठे थे तो कई लोग सरकार के खिलाफ मोर्चा निकालने लगे। विपक्षी पार्टी सरकार को नोटबंदी के फैसले को वापस लेने के लिए दवाब बनाने लगी परंतु सरकार अपने फैसले पर कायम रहे और लोगों से सयम रहने की अपील की। नोटबंदी के कारण अनेकता में एकता का भाव सार्थक देखने को मिला था।

नोटबंदी का आम लोगों पर असर

नोटबंदी के बाद आम लोगों पर असर ज्यादा देखने को मिला था। कई आम लोग नोटबंदी के पक्ष में थे तो कुछ नोटबंदी के विरोध में थे। कई खबरों के अनुसार कुछ लोगों को लाईनों में खड़े होकर मजे लेते हुए देखा गया तो कुछ लोगों को नोटबंदी की वजह से परेशान होकर आत्महत्या करते भी देखा गया। कुछ खबरों के मुताबिक माने तो लगभग सौ लोगों ने अपनी जान लाईनों में खड़े होकर गंवा दी। कई लोग इसके पक्ष में होकर बोले कि लोग जब फिल्में देखने के लिए टिकट खरीदने के लिए बड़ी-बड़ी लाईने लगाते है तब लोगों को कोई समस्या नहीं होती है लेकिन नोटबंदी से होने वाले फायदे सबको गलत फैसला लगता है। कई लोगों कई दिन तक कतार में खड़े होने के बाद नए नोट मिलते थे। कई जगह लोगों को एक रात पहले से लाइन में खड़े होना पड़ता था। कुछ लोगों का कहना है कि नोटबंदी फेल हुई है। यह एक स्कीम है जिसमें काले धन को सफेद किया जाता है।

नोटबंदी के लाभ

सभी जानते हैं कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। अगर नोटबंदी की हानियाँ हैं तो कुछ फायदे भी हैं। अगर नोटबंदी नहीं होती तो भारत में कभी भी आर्थिक जागरूकता नहीं फैलती और शायद जीएसटी के बिल और इसका कार्यान्वयन करने में बहुत तकलीफ होती। नोटबंदी की वजह से आम लोगों को आर्थिक कर और उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास हुआ है। नोटबंदी के होने से सभी लोग ऑनलाईन, डिजिटल पेमेंट करने लगे हैं। यहाँ तक की चायवाला, ढाबेवाले, किरानेवाला, जेरॉक्स, प्रिंटिंग वाला, आदि अब ओनलाईन भुगतान करवाता है। यह नोटबंदी में एक बहुत ही बड़ी उपलब्धी है।

नोटबंदी के कारण कई जगह लोगों में भाईचारे की भावना देखने को मिला। अमीर लोगों को अपने दोस्त, रिश्तेदार, माँ, बाप याद आने लगे और उनमें मानवता का भाव उत्पन्न हुआ उस समय उन्हें देखकर ऐसा लगता था जैसे मानवता को दुबारा से जन्म हुआ हो। नोटबंदी की वजह से ही हमें लोगों की बुद्धिमता देखने का मौका मिला। लोगों ने अपने काले धन को छुपाने के लिए नए-नए तरीकों को अपनाया। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था कुछ समय के लिए प्रभावित जरुर हुई है लेकिन बाद में इसके परिणाम बहुत अच्छे निकलेंगे। नोटबंदी की वजह से नकली नोट छापने का काम भी बंद हो गया है जिसकी वजह से देश से नकली नोटों को बहुत बड़ी मात्रा में निकाल दिया गया था। नोटबंदी की वजह से ही कश्मीर का मुद्दा कुछ समय के लिए शांत हो गया था। भारत देश की सबसे बड़ी समस्या है काला धन जिसे खत्म करने के लिए नोटबंदी सबसे अच्छा उपाय साबित हुआ। नोटबंदी होने की वजह से ही कैशलेस इंडिया को बढ़ावा मिला है।

नोटबंदी से हानि

नोटबंदी होने से बहुत से हानि होने का प्रश्न उठते हैं उनम एक बहुत बड़ी हानि हुई है की इससे आम आदमियों की रोजमर्रा की जिंदगी में तकलीफ हुई है। बैंकों और एटीएम के सामने घंटों लाईनों में खड़े रहना, अस्पताल का बिल, बिजली का बिल, किराये की समस्या, और बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। भारत की आर्थिक प्रगति दर 7.5 से कम होकर 6.3 हो गई थी। नए नोटों को छापने में बहुत पैसा खर्च हुआ और आतंकवादी फंडिंग अब तक चालू हैं। हम उन आरोपों को टाल भी नहीं सकते हैं शायद नोटबंदी से जिस स्तर की अपेक्षाएं की गई थीं वे हासिल नहीं हुईं। सरकार का कहना था कि लगभग चार सौ रुपए के काले धन ने बैंको में अपनी जगह बना ही ली थी।

उपसंहार

नोटबंदी और जीएसटी यह दोनों भारत देश के बड़े फैसले थे। इतिहास में शायद ही ऐसे बड़े फैसले कभी लिए गये थे। अगर भारत को आर्थिक और विकास में आगे बढ़ाना है तो इसीतरह आगे आने वाले कई फैसलों को स्वीकारना होगा। हर चीज में कुछ गुण होते हैं तो कुछ कमियां होती हैं। हमें ऐसे बड़े फैसलों पर सरकार की मदद करनी चाहिए और खराब परिणाम पर सवाल भी उठाने चाहिए। सरकार और जनता दोनों को मिलकर देश को आर्थिक और विकास में आगे ले जाना होगा इसी को जनतंत्र कहते है। नोटबंदी से कई लोगों को लाभ हुआ तो कई लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कई लोगों को कई दिनों तक बैंकों और एटीएम के चक्कर काटने पड़े। आज भी देश नोटबंदी के फैसले से पक्ष-विपक्ष बहस कर रहे है।

 

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