Technical Education Essay in Hindi
किसी व्यावसाय के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल एवं अभिवृतियों की शिक्षा देना तकनीकी शिक्षा है। तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट प्रकार का शिक्षा रुप है जिनका व्यक्ति और समाज के साथ अभिन्न समन्वय है। जो शिक्षा विशेष व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, उसे तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। यह सामान्य पारंपरिक शिक्षा से अलग है। यह छात्रों को कृषि, कम्प्यूटर, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, ड्राइविंग आदि क्षेत्रों में कुशल बनाती देती है। जो लोग विशेष तकनीकी कौशल और ज्ञान रखते हैं, उन्हें तकनीशियन कहा जाता है जैसे बढ़ई, ड्राइवर, यांत्रिकी, इंजीनियर, डॉक्टर, पायलट आदि तकनीशियन हैं। तकनीकी शिक्षा किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। निर्माण के हर क्षेत्र में तकनीशियनों की जरूरत होती है।
तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट प्रकार का शिक्षा रुप है जिनका व्यक्ति और समाज के साथ अभिन्न समन्वय है। जो शिक्षा विशेष व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, उसे तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। यह शिक्षा विशेष प्रकार के वृत्तिमुखी एवं तकनीकी कार्य करने के लिए परिकल्पित मानव संपदा की सृष्टि में भाग लेती है, इसलिए इस शिक्षा को वृत्तिमुखी तथा तकनीकी शिक्षा कहा जाता है। अर्थात जो शिक्षा शिक्षार्थी को किसी विशेष वृत्ति के समन्वय में ज्ञान एवं कुशलता अर्जित करने में सहायक होती है और पूर्व एवं नव अर्जित दक्षता का प्रयोग कर उस वृत्ति को सुंदर ढंग से संपन्न करने में सक्षम होता है, उसे ही वृत्तिमूलक एवं तकनीकी शिक्षा कहते है।
आज हमारा भारत विकास की ओर बढ़ रहा है कई सुख सुविधाएं हमारे देश को मिल चुकी हैं। अब हमारे देश की तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है क्योंकि जिस देश में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाता है वह देश विकास की ओर बढ़ता हैं। हमारे पास ऐसे युवा व्यक्ति नहीं हैं जो इन साधनों का उचित प्रकार से उपयोग कर सके। सिर्फ तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा ही हमें विशेषज्ञ इंजीनियर और तकनीशियन देती है। हमारे देश में बड़ी मात्रा में इनकी आवश्यकता है। तकनीकी शिक्षा के माध्यम से देश के युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको हुनर सीखा कर आगे बढ़ाया जाता है । जब देश के युवा आगे बढ़ेंगे तब हमारे देश का विकास होगा । हमें सभी व्यवसायों में योग्य और प्रशिक्षित कार्य करने वालों की आवश्यकता है। यह तब ही सम्भव हो सकता है जब हम उन्हें व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण दें। सरकार भी इस विषय को गंभीरता से ले रही है क्योंकि सरकार भी जानती है कि हमारे देश में तकनीकी शिक्षा का स्तर बढ़ाने की आवश्यकता है । तकनीकी शिक्षा को बढ़ाने के लिए हमारे देश में कई इंजीनियरिंग कॉलेज भी खोले गए हैं जहां से युवा प्रशिक्षण लेकर देश के विकास में अपना योगदान दे सकता है ।
तकनीकी शिक्षा की कई समस्याएं हमें देखने को मिलती है जैसे-
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- अनुचित दृष्टिकोण की समस्या
हमारे देश में इस शिक्षा के प्रति लोगों का दृष्टिकोण उचित नहीं है। यहाँ मानसिक श्रम की अपेक्षा शारीरिक श्रम को हेय दृष्टि से देखा जाता है।
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- शिक्षा में अनुपयुक्त माध्यम की समस्या
तकनीकी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है। इससे छात्रों को विषय समझने में कठिनाई होती है।
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- संकीर्ण पाठ्यक्रम की समस्या
इस तरह के विद्यालय का पाठ्यक्रम संकीर्ण होता है। ऐसी शिक्षा ग्रहण करने वाले व्यक्तियों के दृष्टिकोण प्राय: भौतिकवादी हो जाता है और वे समाज की विभिन्न रुचियों, प्रवृतियों तथा आवश्यकताओं को नहीं समझ पाते हैं।
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- विद्यालयों का अभाव
स्वतंत्र भारत में अनेक तकनीकी शिक्षा संस्थान स्थापित किये जा चुके हैं। फिर भी व्यापक माँग की अपेक्षा उनकी संख्या कम है। शिक्षा प्राप्त नवयुवक तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने में विशेष रुप से इच्छुक होते हैं, किन्तु विद्यालयों की कमी के कारण उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाता है।
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- प्रशिक्षित अध्यापकों का अभाव
तकनीकी शिक्षा संस्थाओं के लिए सुयोग्य प्रशिक्षित अध्यापक नहीं मिल पा रहे हैं जिससे इस शिक्षा के विस्तार-कार्य को काफी धक्का पहुँच रहा है। तकनीकी शिक्षा में जिन विद्यार्थीयों को अच्छे अंक प्राप्त होते हैं, वे आर्थिक कारणों से अन्य संस्थाओं में चले जाते हैं। जिसके कारण औसत मान के विद्यार्थी ही शिक्षकीय पेशा को अपनाते हैं।
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- प्रायोगिक शिक्षा की उपेक्षा
तकनीकी शिक्षा में प्रयोगों का विशेष महत्व है, किन्तु विद्यालयों में सैद्धांतिक शिक्षा पर ही विशेष बल दिया जाता है। तकनीकी विषयों को श्यामपट (ब्लैकबोर्ड) पर ही समझा दिया जाता है। प्रायोगिक शिक्षा के अभाव में विद्यार्थी विषय को अच्छी तरह नहीं समझ पाते और शिक्षा समाप्ति के पश्चात उन्हें व्यावहारिक क्षेत्र में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य की सुविधाओं का अभाव है।
तकनीकी शिक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए प्रमुख सुझाव कुछ इस प्रकार है-
- दृष्टिकोण में परिवर्तन (Change in attitude)
शारीरिक श्रम के प्रति जनता का दृष्टिकोण बदलना आवश्यक है। इसके लिए सरकार एवं समाज संस्थाओं का कर्तव्य है कि वे जनता को शारीरिक श्रम के महत्व से अवगत कराएं।
- पर्याप्त संख्या में विद्यालयों की स्थापना (Increase in the number of Vocational schools)
सरकार को विभिन्न स्तर की तकनीकी शिक्षा संस्थाओं का स्थापना करनी चाहिए। जिससे की तकनीकी शिक्षा की महत्वता को लोग जान सके।
- विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों का प्रोत्साहन (Encouragement to the teachers for teaching in Vocational schools)
तकनीकी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इस शिक्षा के अभाव की समस्या तभी हल की जा सकती है, जब सरकार इन विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन में सुधार लाकर उनके समस्याओं का समाधान करे। इन्हें सुधारने से शिक्षकों को प्रोत्साहन मिलेगा।
- पाठ्यचर्या में सामान्य शिक्षा का स्थान (General Education in curriculum)
तकनीकी शिक्षा के पाठ्यचर्या में सामान्य शिक्षा को भी उचित स्थान देना चाहिए। पाठ्यचर्या का जीवन के साथ सामंजस्य होना आवश्यक है।
- राष्ट्रीय भाषा एवं मातृभाषा शिक्षा का माध्यम (National language or Mother tongue is the medium of the instruction)
हिंदी को तकनीकी शिक्षा का माध्यम बनाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि हिन्दी भाषा में समस्त तकनीकी पुस्तकों का अनुवाद कराया जाए।
- प्रायोगिक शिक्षा का तकनीकी विद्यालयों में महत्वपूर्ण स्थान (Importance place of Technical education in technical school)
तकनीकी विद्यालयों में प्रायोगिक शिक्षा पर विशेष बल देना चाहिए।
तकनीकी शिक्षा की विशेषता-
- इस शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक है। यह बालक की रुचि, प्रवृति एवं व्यक्तित्व का ध्यान रखती है। इस शिक्षा योजना में शिक्षक एवं पुस्तक के स्थान पर बालक को विशेष महत्व दिया जाता है।
- जीवन से संवंधित-यह शिक्षा जीवन से संबंधित है। यह शिक्षा परिवार, श्रम तथा कार्य से संबंधित है।
- इस शिक्षा का आधार व्यक्तित्व का विकास करना है।
- तकनीकी शिक्षा एक विशिष्ट शिक्षा है।
- तकनीकी शिक्षा का रुप स्थिर नहीं रहता है। समय की गति एवं सभ्यता के विकास के साथ इसके रुप में परिवर्तन आता है।
- यह शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान न प्रदान कर जीवन के हर क्षेत्र के लिए उपयोगी होती है। यही तकनीकी शिक्षा की विशेषता है।
बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए तकनीकी शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। कुशल लोग बेरोजगार नहीं हो सकते। यदि वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू करते हैं, तो वे अन्य शिक्षित लोगों को नौकरी के अवसर प्रदान कर सकते हैं। इस प्रकार तकनीकी शिक्षा हमें बेरोजगारी की समस्या की गंभीरता को कम करने में मदद करती है। तकनीकी शिक्षा किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। निर्माण के हर क्षेत्र में तकनीशियनों की जरूरत होती है। कारखानों, सड़कों, पुलों, नहरों, भवनों, हवाई अड्डों आदि को बनाने के लिए तकनीशियनों की आवश्यकता होती है। तकनीकी शिक्षा निर्विवाद रूप से राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को बढ़ावा देती है। यदि किसी देश में माल का अधिक उत्पादन होता है, तो वह अपने लोगों को आसानी से खिला सकता है। अन्य देशों को अतिरिक्त उत्पादन बेचकर विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। इसी प्रकार और भी कई तकनीकी शिक्षा के लाभ होते है।
तकनीकी शिक्षा का उद्देश्य-
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- इस शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक होना चाहिए
यह बालक की रुचि, प्रवृति एवं व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए शिक्षा योजना में शिक्षक एवं पुस्तक के स्थान पर बालक को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए।
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- स्थायी ज्ञान की प्राप्ति
इस शिक्षा प्रणाली में प्रत्येक कार्य को वैज्ञानिक ढ़ंग से सिखाया जाता है। विभिन्न क्रियाओं में सक्रिय भाग लेने तथा क्रियाओं के रुचि के अनुकूल होने से इससे प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
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- व्यक्ति को आर्थिक दृष्टि से स्वावलम्बन एवं आत्मनिर्भर बनाना
इस शिक्षा प्रणाली में स्वावलम्वन एवं आत्मनिर्भरता के सिद्धान्त को अपनाया जाता है।
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- सर्वागीण विकास
यह शिक्षा बालक के सर्वागीण विकास पर बल देता है।
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- जीवन से संबंधित
यह शिक्षा जीवन से संबंधित है। यह शिक्षा परिवार,श्रम तथा कार्य से संबंधित है।
- देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना तकनीकी शिक्षा का उद्देश्य है।
तकनीकी शिक्षा का मानव जीवन में अत्यधिक महत्व है। दैनिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इस शिक्षा के महत्व का आभास होता है और होना भी चाहिए। आधुनिक युग में तो किसी विशेषधर्मी शिक्षा के अभाव में जीवन निर्वाह ही कठिन है। यातायात वाहनों के प्रयोग, विभिन्न वेश-भूषा की संरचना, रोगों के उपचार, रहन-सहन, सांस्कृतिक परिवेश का संरक्षण, मानसिक विकास, संगीत नृत्य नाट्य, चित्राकंन जैसे कार्य के लिए यह शिक्षा अनिर्वाय है। जीविकोपार्जन सम्बन्धी कार्य करने के लिए यह शिक्षा प्रशिक्षण देता है। कहा जाता है कि मनुष्य रोटी के बिना नहीं रह सकता। रोटी कपड़ा और मकान अनिर्वाय है। इसके लिए मनुष्य को कार्य करना ही पड़ता है। किन्तु बिना समुचित प्रशिक्षण के यह कार्य कठिन है।
तकनीकी शिक्षा के द्वारा व्यक्ति विभिन्न प्रशिक्षण माध्यम से अपना आवश्यकता को पूर्ण कर सकती है। सांस्कृतिक अभिरुचि की पूर्ति के लिए यह शिक्षा आवश्यक है। संस्कृति ही उसे आत्मिक सौंदर्य एवं उल्लास प्रदान करती है। संगीत साहित्य कला के माध्यम से व्यक्ति सुसंस्कृत एवं सभ्य बनता है। उनका रचनात्मक प्रभाव मानवीय आचार-विचार पर पड़ता है। इस शिक्षा का महत्व इसलिए भी है कि यह व्यक्ति की उन्नति का साधन मात्र न होकर समाज एवं राष्ट्र की उन्नती, राष्ट्रीय एकता, अंतर्राष्ट्रीय बंधुत्व जैसे कार्यों में भी योगदान देती है। समाज, जाति तथा राष्ट्र तभी विकास करती है जब उसमें ड़ाक्टर, इंजीनियर, तकनीशियन, कारीगर आदि हों क्योंकि इन लोगों का विशेष ज्ञान , दक्षता एवं अभिज्ञता ही समाज एवं जाति अथवा राष्ट्र की उन्नति के कारण बन जाते हैं। कला-कौशल, वाणिज्य-व्यवसाय तथा तकनीकी इंजीनियरिंग दृष्टि से विकसित राष्ट्र सहज ही आधुनिक विश्व मंच पर महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। इसीलिए तकनीकी शिक्षा का अधिक महत्व माना जाता है।
तकनीकी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव से परिपूर्ण प्रशिक्षित प्रतिभा का सृजन करने का एक स्वच्छंद, स्थिर एवं अपरंपरागत माध्यम है। यह प्रसन्नता का संकेत है कि सरकार इस समस्या को लेकर गंभीर हैं। स्वतंत्रता से लेकर अब तक हजारों तकनीकी शिक्षण संस्थान खोले जा चुके हैं। किसी भी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति कुशल लोगों के हाथों पर निर्भर करती है। राष्ट्र की समृद्धि के उत्थान के लिए हर देश को तकनीकी शिक्षा पर उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। देश में बढ़ती बेरोजगारी, युवाओं में जन्मती दुष्प्रवृत्तियाँ तथा उनका असामाजिक कृत्यों की ओर झुकाव देश को अराजकता की ओर भधकेल रहा है। इसलिए अनिवार्य है कि हमारी शिक्षा का तकनीकी के साथ सामंजस्य हो, संतुलन हो।