पत्र-लेखन (Letter-writing) की परिभाषा
लिखित रूप में अपने मन के भावों एवं विचारों को प्रकट करने का माध्यम ‘पत्र’ हैं। ‘पत्र’ का शाब्दिक अर्थ हैं, ‘ऐसा कागज जिस पर कोई बात लिखी अथवा छपी हो’। पत्र के द्वारा व्यक्ति अपनी बातों को दूसरों तक लिखकर पहुँचाता हैं। हम पत्र को अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम भी कह सकते हैं। व्यक्ति जिन बातों को जुबां से अथवा मौखिक रूप से कहने में संकोच करता हैं, हिचकिचाता हैं; उन सभी बातों को वह पत्र के माध्यम से लिखित रूप में खुलकर अभिव्यक्त करता हैं।
दूर रहने वाले अपने सबन्धियों अथवा मित्रों की कुशलता जानने के लिए तथा अपनी कुशलता का समाचार देने के लिए पत्र एक साधन है। इसके अतिरिक्त्त अन्य कार्यों के लिए भी पत्र लिखे जाते है।
आजकल हमारे पास बातचीत करने, हाल-चाल जानने के अनेक आधुनिक साधन उपलब्ध हैं ; जैसे- टेलीफोन, मोबाइल फोन, ई-मेल, फैक्स आदि। प्रश्न यह उठता है कि फिर भी पत्र-लेखन सीखना क्यों आवश्यक है ? पत्र लिखना महत्त्वपूर्ण ही नहीं, अपितु अत्यंत आवश्यक है, कैसे? जब आप विद्यालय नहीं जा पाते, तब अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखना पड़ता है। सरकारी व निजी संस्थाओं के अधिकारियों को अपनी समस्याओं आदि की जानकारी देने के लिए पत्र लिखना पड़ता है। फोन आदि पर बातचीत अस्थायी होती है। इसके विपरीत लिखित दस्तावेज स्थायी रूप ले लेता है।
पत्रों की उपयोगिता/महत्व
As keys do open chests.
So letters open breasts .
उक्त अँगरेजी विद्वान् के कथन का आशय यह है कि जिस प्रकार कुंजियाँ बक्स खोलती हैं, उसी प्रकार पत्र (letters) ह्रदय के विभित्र पटलों को खोलते हैं। मनुष्य की भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति पत्राचार से भी होती हैं। निश्छल भावों और विचारों का आदान-प्रदान पत्रों द्वारा ही सम्भव है।
पत्रलेखन दो व्यक्तियों के बीच होता है। इसके द्वारा दो हृदयों का सम्बन्ध दृढ़ होता है। अतः पत्राचार ही एक ऐसा साधन है, जो दूरस्थ व्यक्तियों को भावना की एक संगमभूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। पति-पत्नी, भाई-बहन, पिता-पुत्र- इस प्रकार के हजारों सम्बन्धों की नींव यह सुदृढ़ करता है। व्यावहारिक जीवन में यह वह सेतु है, जिससे मानवीय सम्बन्धों की परस्परता सिद्ध होती है। अतएव पत्राचार का बड़ा महत्व है।
(1) पत्र साहित्य की वह विद्या हैं जिसके द्वारा मनुष्य समाज में रहते हुए अपने भावों एवं विचारों को दूसरों तक सम्प्रेषित करना चाहता हैं, इसके लिए वह पत्रों का सहारा लेता हैं। अतः व्यावसायिक, सामाजिक, कार्यालय आदि से सम्बन्धित अपने भावों एवं विचारों को प्रकट करने में पत्र अत्यन्त उपयोगी होते हैं।
(2) पत्र मित्रों एवं परिजनों से आत्मीय सम्बन्ध एवं सम्पर्क स्थापित करने हेतु उपयोगी होते हैं। पत्र के माध्यम से मनुष्य प्रेम, सहानुभूति, क्रोध आदि प्रकट करता हैं।
(3) कार्यालय एवं व्यवसाय के सम्बन्ध में मुद्रित रूप में प्राप्त पत्रों का विशेष महत्त्व होता हैं। मुद्रित रूप में प्राप्त पत्रों को सुरक्षित रखा जा सकता हैं।
(4) छात्र जीवन में भी पत्रों का विशेष महत्त्व हैं। स्कूल से अवकाश लेना, फीस माफी, स्कूल छोड़ने, स्कॉलरशिप पाने, व्यवसाय चुनने, नौकरी प्राप्त करने के लिए पत्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं।
(5) पत्र सामाजिक सम्बन्धों को मजबूत करने का माध्यम हैं। पत्रों की सबसे बड़ी उपयोगिता यह हैं कि कभी-कभी पत्र भविष्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज भी बन जाता हैं।
पत्र लेखन एक कला है
आधुनिक युग में पत्रलेखन को ‘कला’ की संज्ञा दी गयी है। पत्रों में आज कलात्मक अभिव्यक्तियाँ हो रही है। साहित्य में भी इनका उपयोग होने लगा है। जिस पत्र में जितनी स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही प्रभावकारी होगा। एक अच्छे पत्र के लिए कलात्मक सौन्दर्यबोध और अन्तरंग भावनाओं का अभिव्यंजन आवश्यक है।
एक पत्र में उसके लेखक की भावनाएँ ही व्यक्त नहीं होती, बल्कि उसका व्यक्तित्व (personality) भी उभरता है। इससे लेखक के चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कार, मानसिक स्थिति, आचरण इत्यादि सभी एक साथ झलकते हैं। अतः पत्रलेखन एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है। लेकिन, इस प्रकार की अभिव्यक्ति व्यवसायिक पत्रों की अपेक्षा सामाजिक तथा साहित्यिक पत्रों में अधिक होती है।
पत्र लिखने के लिए कुछ आवश्यक बातें
(1) जिसके लिए पत्र लिखा जाये, उसके लिए पद के अनुसार शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
(2) पत्र में हृदय के भाव स्पष्ट रूप से व्यक्त होने चाहिए।
(3) पत्र की भाषा सरल एवं शिष्ट होनी चाहिए।
(4) पत्र में बेकार की बातें नहीं लिखनी चाहिए। उसमें केवल मुख्य विषय के बारे में ही लिखना चाहिए।
(5) पत्र में आशय व्यक्त करने के लिए छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
(6) पत्र लिखने के पश्चात उसे एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए।
(7) पत्र प्राप्तकर्ता की आयु, संबंध, योग्यता आदि को ध्यान में रखते हुए भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
(8) अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए।
(9) पत्र में लिखी वर्तनी-शुद्ध व लेख-स्वच्छ होने चाहिए।
(10) पत्र प्रेषक (भेजने वाला) तथा प्रापक (प्राप्त करने वाला) के नाम, पता आदि स्पष्ट रूप से लिखे होने चाहिए।
(11) पत्र के विषय से नहीं भटकना चाहिए यानी व्यर्थ की बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए।
अच्छे पत्र की विशेषताएँ
एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ है-
(1) प्रभावोत्पादकता
(2) विचारों की सुस्पष्ठता
(3) संक्षेप और सम्पूर्णता
(4) सरल भाषाशैली
(5) बाहरी सजावट
(6) शुद्धता और स्वच्छता
(7) विनम्रता और शिष्टता
(8) सद्भावना
(9) सहज और स्वाभाविक शैली
(10) क्रमबद्धता
(11) विराम चिह्नों पर विशेष ध्यान
(12) उद्देश्यपूर्ण
(1) प्रभावोत्पादकता :-
किसी भी पत्र का प्रथम गुण हैं उसकी प्रभावोत्पादकता। जो पत्र अपने पाठक को प्रभावित नहीं करते वे जल्दी ही रद्दी की टोकरी में चले जाते हैं। उनका लिखा जाना और न लिखा जाना- दोनों बराबर हैं। अच्छा पत्र-लेखक वही हैं, जो अपने विचार प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर सके। इसके लिए जरूरी हैं कि आप जो बात पत्र में लिखना चाहते हैं उसपर पहले गंभीरता से विचार कर लें। फिर उसे इस ढंग से प्रस्तुत करें कि पढ़नेवाले पर उसका अनुकूल असर हो।
(2) विचारों की सुस्पष्ठता :-
पत्र में लेखक के विचार सुस्पष्ट और सुलझे होने चाहिए। कहीं भी पाण्डित्य-प्रदर्शन की चेष्टा नहीं होनी चाहिए। बनावटीपन नहीं होना चाहिए। दिमाग पर बल देनेवाली बातें नहीं लिखी जानी चाहिए।
(3) संक्षेप और सम्पूर्णता:-
पत्र अधिक लम्बा नहीं होना चाहिए। वह अपने में सम्पूर्ण और संक्षिप्त हो। उसमें अतिशयोक्ति, वाग्जाल और विस्तृत विवरण के लिए स्थान नहीं है। इसके अतिरिक्त, पत्र में एक ही बात को बार-बार दुहराना एक दोष है। पत्र में मुख्य बातें आरम्भ में लिखी जानी चाहिए। सारी बातें एक क्रम में लिखनी चाहिए। इसमें कोई भी आवश्यक तथ्य छूटने न पाय। पत्र अपने में सम्पूर्ण हो, अधूरा नहीं। पत्रलेखन का सारा आशय पाठक के दिमाग पर पूरी तरह बैठ जाना चाहिए। पाठक को किसी प्रकार की लझन में छोड़ना ठीक नहीं।
(4) सरल भाषाशैली:-
पत्र की भाषा साधारणतः सरल और बोलचाल की होनी चाहिए। शब्दों के प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए। ये उपयुक्त, सटीक, सरल और मधुर हों। सारी बात सीधे-सादे ढंग से स्पष्ट और प्रत्यक्ष लिखनी चाहिए। बातों को घुमा-फिराकर लिखना उचित नहीं।
(5) बाहरी सजावट:-
पत्र की बाहरी सजावट से हमारा तात्पर्य यह है कि
(i) उसका कागज सम्भवतः अच्छा-से-अच्छा होना चाहिए;
(ii) लिखावट सुन्दर, साफ और पुष्ट हो;
(iii) विरामादि चिह्नों का प्रयोग यथास्थान किया जाय;
(iv) शीर्षक, तिथि, अभिवादन, अनुच्छेद और अन्त अपने-अपने स्थान पर क्रमानुसार होने चाहिए;
(v) पत्र की पंक्तियाँ सटाकर न लिखी जायँ और
(vi) विषय-वस्तु के अनुपात से पत्र का कागज लम्बा-चौड़ा होना चाहिए।
(6) शुद्धता और स्वच्छता:-
शुद्धता और स्वच्छता पत्र के अन्य महत्त्वपूर्ण गुण होते हैं। साफ-सुथरे कागज पर सफाई के साथ लिखा गया पत्र मन को प्रसन्न करता हैं। पत्र में काट-पीट और उलटी-सीधी पंक्तियाँ देखकर मन उचटने-सा लगता हैं। इसके लिए बेहतर होगा कि पहले पत्र को रफ लिखा जाए और बाद में उसे साफ-साफ उतारकर संबंधित व्यक्ति के पास भेजा जाए।
शुद्धता की दृष्टि से पत्रों में यह ध्यान रखना चाहिए कि शब्द-रचना और वाक्य-विन्यास सही हो। उनमें वर्तनी और व्याकरणगत अशुद्धियाँ न हों। अतः पत्र लिखने के बाद उसे एक बार पढ़ अवश्य लें। शब्द, वाक्य, व्याकरण आदि की अशुद्धियाँ रह जाने पर अर्थ का अनर्थ हो सकता हैं।
(7) विनम्रता और शिष्टता:-
विनम्रता व्यक्तित्व का ही नहीं, पत्र का भी विशेष गुण हैं, क्योंकि पत्र में पत्र-लेखक का व्यक्तित्व झलकता हैं। आपकी मन स्थिति कैसी भी क्यों न हों, पत्र लिखते समय सदैव शिष्टता और विनम्रता का ही परिचय देना चाहिए। इस प्रकार आपके बिगड़े काम भी बन सकते हैं। इसके विपरीत अशिष्टतापूर्ण पत्रों से कभी-कभी बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। इनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं।
(8) सद्भावना:-
पत्र का सद्भावनापूर्ण होना जरूरी हैं। यदि आपको शिकायती पत्र भी लिखना पड़े तो उसमें आपको असद्भावना नहीं प्रकट होना चाहिए। ऐसे मामलों में विवेक और संयम का ही परिचय देना चाहिए। धमकी, उपालंभ आदि का दुर्भाव प्रकट न करना ही श्रेयस्कर रहता हैं। सद्भावनापूर्णपत्र (समाज में) आपस में प्रेम और भाईचारे को जन्म देते हैं।
(9) सहज और स्वाभाविक शैली:-
पत्रों की भाषा-शैली सहज-स्वाभाविक होनी चाहिए। उसमें कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सीधे-सादे सरल शब्दों के चयन से विचारों की सचाई झलकती हैं। काव्यात्मक और कल्पना-प्रधान शैली पत्र की स्वाभाविकता को नष्ट कर देती हैं।
(10) क्रमबद्धता:-
पत्र लेखन करते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक हैं। जो बात पत्र में पहले लिखी जानी चाहिए उसे पत्र में प्रारम्भ में तथा बाद में लिखी जाने वाली बात को अन्त में ही लिखा जाना चाहिए।
(11) विराम चिह्नों पर विशेष ध्यान:-
पत्र में विराम चिह्नों को सही स्थान पर प्रयोग किया जाना चाहिए। विराम चिह्नों का सही प्रयोग न होने से अर्थ का अनर्थ हो जाता हैं। उचित स्थान पर विराम चिह्नों का प्रयोग पत्र को आकर्षक बनाता हैं।
(12) उद्देश्यपूर्ण:-
पत्र इस प्रकार लिखा जाना चाहिए जिससे पाठक की हर जिज्ञासा शान्त हो जाए। पत्र अधूरा नहीं होना चाहिए पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया जाना निश्चित हो उसका उल्लेख पत्र में निश्चित तौर पर किया जाना चाहिए। पत्र पूरा होने पर उसे एक बार अन्त में पुनः पढ़ लेना चाहिए।
पत्र के भाग
पत्र को जिस क्रम में प्रस्तुत किया जाता हैं अथवा लिखा जाता हैं, वे पत्र के भाग कहलाते हैं। अनौपचारिक व औपचारिक पत्रों में पत्र के भाग सामान्य रूप से समान होते हैं। दोनों श्रेणियों के पत्रों में कुछ अन्तर होता हैं। जिसे यहाँ स्पष्ट किया गया हैं। सामान्यतः पत्र के निम्नलिखित भाग होते हैं-
(1) शीर्षक या आरम्भ-
पत्र के शीर्षक के रूप में पत्र-लेखक का पता लिखा जाता हैं। एक तरह से शीर्षक पत्र-लेखक का परिचायक होता हैं। पत्र लिखने वाले का पता पत्र के बायीं ओर सबसे ऊपर लिखा जाता हैं। परीक्षा के सन्दर्भ में यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि यदि परीक्षा में पूछे गए पत्र में पते का उल्लेख न किया गया हो तो उसके स्थान पर ‘परीक्षा भवन’ लिखा जाता हैं। इसके ठीक नीचे पत्र लिखने की तिथि लिखी जाती हैं। औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत विषय का उल्लेख सीमित शब्दों में स्पष्ट रूप से किया जाता हैं जबकि अनौपचारिक पत्रों में विषय का उल्लेख नहीं होता।
(2) सम्बोधन एवं अभिवादन-
पत्रों में सम्बोधन एवं अभिवादन का महत्त्वपूर्ण स्थान होता हैं। औपचारिक पत्रों में यह प्रायः ‘मान्यवर’, ‘महोदय’ आदि शब्द-सूचकों से दर्शाया जाता हैं जबकि अनौपचारिक पत्रों में यह ‘पूजनीय’ ‘स्नेहमयी’, ‘प्रिय’ आदि शब्द-सूचकों से दर्शाया जाता हैं।
(3) विषय-वस्तु-
किसी भी पत्र में विषय-वस्तु ही वह महत्त्वपूर्ण अंग हैं, जिसके लिए पत्र लिखा जाता हैं। इसे पत्र का मुख्य भाग भी कहते हैं। यह प्रभावशाली होना चाहिए। जिन विचारों एवं भावों को आप प्रकट करना चाहते हैं, उन्हें ही क्रमशः लिखना चाहिए। अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास कीजिए। ध्यान रखिए कि आप पत्र लिख रहे हैं, कोई कहानी या नाटक नहीं। अतः विषयवस्तु को अनावश्यक विस्तार न दीजिए।
जिस तरह विषयवस्तु का आरंभ प्रभावशाली होना चाहिए। उसी प्रकार उसका समापन भी ऐसा होना चाहिए, जो पाठक के मन को प्रभावित कर सके।
(4) मंगल कामनाएँ-
विषयवस्तु की समाप्ति के बाद मंगल कामनाएँ व्यक्त करना न भूलें। ये मंगल कामनाएँ पढ़कर वाचक को लगता हैं कि पत्र-लेखक उसका शुभचिंतक हैं। प्रायः ‘शुभकामनाओं सहित’, ‘सद्भावनाओं सहित’, ‘मंगल कामनाओं सहित’, ‘सस्नेह’ आदि शब्दों का प्रयोग मंगल कामनाओं की अभिव्यक्ति के लिए किया जाता हैं। मंगल सूचक शब्दों के बाद अर्द्धविराम लगाना चाहिए।
(5) अंत-
पत्र के अंतिम अंग के रूप में ‘आपका’, ‘भवदीय’, ‘आज्ञाकारी’, ‘शुभाकांक्षी’ आदि शब्दों का प्रयोग प्रसंगानुसार किया जाता हैं। ऐसे शब्दों का उल्लेख उपर्युक्त तालिका में किया गया हैं। इन शब्दों के नीचे अपने हस्ताक्षर करना चाहिए। इन हस्ताक्षरों के साथ उपाधि आदि का उल्लेख नहीं करना चाहिए। इस प्रकार पूरा पत्र लिखने के बाद, लिफाफे में बंद करने से पहले एक बार पढ़ अवश्य लेना चाहिए कि कहीं कुछ छूट तो नहीं गया हैं, अथवा आप जो बात कहना चाहते थे वही लिखा भी गया हैं या नहीं।
अगर पत्र पोस्टकार्ड पर लिखा गया हैं तो उसमें निर्धारित स्थान पर उस व्यक्ति संस्था आदि का पूरा पता लिखें। अन्यथा पत्र को यथोचित मोड़कर लिफाफे में रख दें। फिर लिफाफे पर पानेवाले का पूरा पता अवश्य लिख दें। पता लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पता साफ और पूरा लिखा गया हो। पते में सबसे पहले पानेवाले का नाम, फिर दूसरी पंक्ति में मकान नं., सड़क, गली, मुहल्ले और शहर का नाम लिखना चाहिए। आजकल समय से डाक पहुँचे, इसके लिए पिनकोड का चलन हो गया हैं। अतः नगर के साथ-साथ पिनकोड और राज्य भी लिख दें।
लिफाफे पर पानेवाले का पता बीच में लिखना चाहिए। जिस ओर पता लिखा हैं उसी ओर नीचे, बाएँ कोने में ‘प्रेषक’ लिखकर अपना पता लिख दें। अंतर्देशीय पत्रों में दोनों पतों की अलग-अलग व्यवस्था होती हैं। पत्र को पोस्ट करने से पहले यह देख लें कि उसपर पर्याप्त डाक टिकट लगे हैं या नहीं। पर्याप्त टिकटों के अभाव में पत्र ‘बैरंग’ माना जाता हैं और उसके सामान्य मूल्य से दो गुना मूल्य पत्र पानेवाले को चुकाना पड़ता हैं।
पत्रों के प्रकार
मुख्य रूप से पत्रों को निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है :
(1) अनौपचारिक-पत्र (Informal Letter)
(2) औपचारिक-पत्र (Formal Letter)
(1) अनौपचारिक पत्र-
वैयक्तिक अथवा व्यक्तिगत पत्र अनौपचारिक पत्र की श्रेणी में आते हैं।
वैयक्तिक अथवा व्यक्तिगत पत्र-
वैयक्तिक पत्र से तात्पर्य ऐसे पत्रों से हैं, जिन्हें व्यक्तिगत मामलों के सम्बन्ध में पारिवारिक सदस्यों, मित्रों एवं अन्य प्रियजनों को लिखा जाता हैं। हम कह सकते हैं कि वैयक्तिक पत्र का आधार व्यक्तिगत सम्बन्ध होता हैं। ये पत्र हृदय की वाणी का प्रतिरूप होते हैं।
अनौपचारिक पत्र अपने मित्रों, सगे-सम्बन्धियों एवं परिचितों को लिखे जाते है। इसके अतिरिक्त सुख-दुःख, शोक, विदाई तथा निमन्त्रण आदि के लिए पत्र लिखे जाते हैं, इसलिए इन पत्रों में मन की भावनाओं को प्रमुखता दी जाती है, औपचारिकता को नहीं। इसके अंतर्गत पारिवारिक या निजी-पत्र आते हैं।
पत्रलेखन सभ्य समाज की एक कलात्मक देन है। मनुष्य चूँकि सामाजिक प्राणी है इसलिए वह दूसरों के साथ अपना सम्बन्ध किसी-न-किसी माध्यम से बनाये रखना चाहता है। मिलते-जुलते रहने पर पत्रलेखन की तो आवश्यकता नहीं होती, पर एक-दूसरे से दूर रहने पर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के पास पत्र लिखता है।
सरकारी पत्रों की अपेक्षा सामाजिक पत्रों में कलात्मकता अधिक रहती है; क्योंकि इनमें मनुष्य के ह्रदय के सहज उद्गार व्यक्त होते है। इन पत्रों को पढ़कर हम किसी भी व्यक्ति के अच्छे या बुरे स्वभाव या मनोवृति का परिचय आसानी से पा सकते है।
एक अच्छे सामाजिक पत्र में सौजन्य, सहृदयता और शिष्टता का होना आवश्यक है। तभी इस प्रकार के पत्रों का अभीष्ट प्रभाव हृदय पर पड़ता है।
इसके कुछ औपचारिक नियमों का निर्वाह करना चाहिए।
(i) पहली बात यह कि पत्र के ऊपर दाहिनी ओर पत्रप्रेषक का पता और दिनांक होना चाहिए।
(ii) दूसरी बात यह कि पत्र जिस व्यक्ति को लिखा जा रहा हो- जिसे ‘प्रेषिती’ भी कहते हैं- उसके प्रति, सम्बन्ध के अनुसार ही समुचित अभिवादन या सम्बोधन के शब्द लिखने चाहिए।
(iii) यह पत्रप्रेषक और प्रेषिती के सम्बन्ध पर निर्भर है कि अभिवादन का प्रयोग कहाँ, किसके लिए, किस तरह किया जाय।
(iv) अँगरेजी में प्रायः छोटे-बड़े सबके लिए ‘My dear’ का प्रयोग होता है, किन्तु हिन्दी में ऐसा नहीं होता।
(v) पिता को पत्र लिखते समय हम प्रायः ‘पूज्य पिताजी’ लिखते हैं।
(vi) शिक्षक अथवा गुरुजन को पत्र लिखते समय उनके प्रति आदरभाव सूचित करने के लिए ‘आदरणीय’ या ‘श्रद्धेय’-जैसे शब्दों का व्यवहार करते हैं।
(vii) यह अपने-अपने देश के शिष्टाचार और संस्कृति के अनुसार चलता है।
(viii) अपने से छोटे के लिए हम प्रायः ‘प्रियवर’, ‘चिरंजीव’-जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं।
अनौपचारिक-पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें :
(i) भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।
(ii) संबंध व आयु के अनुकूल संबोधन, अभिवादन व पत्र की भाषा होनी चाहिए।
(iii) पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए
(iv) पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
(v) भाषा और वर्तनी-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ होना चाहिए।
(vi) पत्र प्रेषक व प्रापक वाले का पता साफ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
(vii) कक्षा/परीक्षा भवन से पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क० ख० ग० तथा पते के स्थान पर कक्षा/परीक्षा भवन लिखना चाहिए।
(viii) अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए।
अनौपचारिक-पत्र का प्रारूप
प्रेषक का पता
………………
……………….
……………….
दिनांक ……………….
संबोधन ……………….
अभिवादन ……………….
पहला अनुच्छेद ………………. (कुशलक्षेम)……………….
दूसरा अनुच्छेद ………..(विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है)…………
तीसरा अनुच्छेद ……………. (समाप्ति)…………….
प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध
प्रेषक का नाम …………….
अनौपचारिक-पत्र की प्रशस्ति, अभिवादन व समाप्ति
(1) अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए :
प्रशस्ति – आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि।
अभिवादन – सादर प्रणाम, सादर चरणस्पर्श, सादर नमस्कार आदि।
समाप्ति – आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि।
(2) अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए :
प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि।
अभिवादन – मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि।
समाप्ति – तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि।
(2)औपचारिक पत्र-
प्रधानाचार्य, पदाधिकारियों, व्यापारियों, ग्राहकों, पुस्तक विक्रेता, सम्पादक आदि को लिखे गए पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं।
औपचारिक पत्रों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता हैं-
(1) प्रार्थना-पत्र/आवेदन पत्र (Request Letter)(अवकाश, सुधार, आवेदन के लिए लिखे गए पत्र आदि)।
(2) सम्पादकीय पत्र (Editorial Letter) (शिकायत, समस्या, सुझाव, अपील और निवेदन के लिए लिखे गए पत्र आदि)
(3) कार्यालयी-पत्र (Official Letter)(किसी सरकारी अधिकारी, विभाग को लिखे गए पत्र आदि)।
(4) व्यवसायिक-पत्र (Business Letter)(दुकानदार, प्रकाशक, व्यापारी, कंपनी आदि को लिखे गए पत्र आदि)।
(1) प्रार्थना-पत्र (Request Letter)-
जिन पत्रों में निवेदन अथवा प्रार्थना की जाती है, वे ‘प्रार्थना-पत्र’ कहलाते हैं।
ये अवकाश, शिकायत, सुधार, आवेदन के लिए लिखे जाते हैं।
(2) सम्पादकीय पत्र (Editorial Letter)-
सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले पत्र को संपादकीय पत्र कहा जाता हैं। इस प्रकार के पत्र सम्पादक को सम्बोधित होते हैं, जबकि मुख्य विषय-वस्तु ‘जन सामान्य’ को लक्षित कर लिखी जाती हैं।
(3) कार्यालयी-पत्र (Official Letter)-
विभिन्न कार्यालयों के लिए प्रयोग किए जाने अथवा लिखे जाने वाले पत्रों को ‘कार्यालयी-पत्र’ कहा जाता हैं।
ये पत्र किसी देश की सरकार और अन्य देश की सरकार के बीच, सरकार और दूतावास, राज्य सरकार के कार्यालयों, संस्थानों आदि के बीच लिखे जाते हैं।
(4) व्यापारी अथवा व्यवसायिक पत्र (Business Letter)-
व्यवसाय में सामान खरीदने व बेचने अथवा रुपयों के लेन-देन के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, उन्हें ‘व्व्यवसायिक पत्र’ कहते हैं।
आज व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता का दौर हैं। प्रत्येक व्यापारी यही कोशिश करता हैं कि वह शीर्ष पर विद्यमान हो। व्यापार में बढ़ोतरी बनी रहे, साख भी मजबूत हो, इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु जिन पत्रों को माध्यम बनाया जाता हैं, वे व्यापारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं। इन पत्रों की भाषा पूर्णतः औपचारिक होती हैं।
औपचारिक-पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें :
(i)औपचारिक-पत्र नियमों में बंधे हुए होते हैं।
(ii)इस प्रकार के पत्रों में नपी-तुली भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसमें अनावश्यक बातों (कुशलक्षेम आदि) का उल्लेख नहीं किया जाता।
(iii)पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
(iv)पत्र की भाषा-सरल, लेख-स्पष्ट व सुंदर होना चाहिए।
(v)यदि आप कक्षा अथवा परीक्षा भवन से पत्र लिख रहे हैं, तो कक्षा अथवा परीक्षा भवन (अपने पता के स्थान पर) तथा क० ख० ग० (अपने नाम के स्थान पर) लिखना चाहिए।
(vi)पत्र पृष्ठ के बाई ओर से हाशिए (Margin Line) के साथ मिलाकर लिखें।
(vii)पत्र को एक पृष्ठ में ही लिखने का प्रयास करना चाहिए ताकि तारतम्यता बनी रहे।
(viii)प्रधानाचार्य को पत्र लिखते समय प्रेषक के स्थान पर अपना नाम, कक्षा व दिनांक लिखना चाहिए।
औपचारिक-पत्र के निम्नलिखित सात अंग होते हैं :
(1) पत्र प्रापक का पदनाम तथा पता।
(2) विषय- जिसके बारे में पत्र लिखा जा रहा है, उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द-संकेतों में लिखें।
(3) संबोधन- जिसे पत्र लिखा जा रहा है- महोदय, माननीय आदि।
(4) विषय-वस्तु-इसे दो अनुच्छेदों में लिखें :
पहला अनुच्छेद – अपनी समस्या के बारे में लिखें।
दूसरा अनुच्छेद – आप उनसे क्या अपेक्षा रखते हैं, उसे लिखें तथा धन्यवाद के साथ समाप्त करें।
(5) हस्ताक्षर व नाम- भवदीय/भवदीया के नीचे अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें।
(6) प्रेषक का पता- शहर का मुहल्ला/इलाका, शहर, पिनकोड।
(7) दिनांक।
औपचारिक-पत्र का प्रारूप
प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र
प्रधानाचार्य,
विद्यालय का नाम व पता………….
विषय : (पत्र लिखने के कारण)।
माननीय महोदय,
पहला अनुच्छेद ………………….
दूसरा अनुच्छेद ………………….
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
क० ख० ग०
कक्षा………………….
दिनांक ………………….
व्यवसायिक-पत्र
प्रेषक का पता………………….
दिनांक ………………….
पत्र प्रापक का पदनाम,
पता………………….
विषय : (पत्र लिखने का कारण)।
महोदय,
पहला अनुच्छेद ………………….
दूसरा अनुच्छेद ………………….
भवदीय,
अपना नाम
औपचारिक-पत्र की प्रशस्ति, अभिवादन व समाप्ति
प्रशस्ति – श्रीमान, श्रीयुत, मान्यवर, महोदय आदि।
अभिवादन – औपचारिक-पत्रों में अभिवादन नहीं लिखा जाता।
समाप्ति – आपका आज्ञाकारी शिष्य/आज्ञाकारिणी शिष्या, भवदीय/भवदीया, निवेदक/निवेदिका,
शुभचिंतक, प्रार्थी आदि।
(1) वैयक्तिक पत्र (अनौपचारिक पत्र)
वैयक्तिक पत्र, अनौपचारिक पत्र की श्रेणी में आते हैं। व्यक्तिगत मामलों के सम्बन्ध में पारिवारिक सदस्यों, मित्रो, सगे-सम्बन्धियों को लिखे गए पत्र ‘वैयक्तिक पत्र’ कहलाते हैं। इन पत्रों का प्रयोग परिवार की कुशल-क्षेम पूछने, निमन्त्रण देने, सलाह अथवा खेद प्रकट करने के साथ-साथ मन की बातें अभिव्यक्त करने के लिए किया जाता हैं।
वैयक्तिक पत्रों की भाषा-शैली सरल, सहज एवं घरेलू होती हैं। लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं हैं कि पत्र-लेखक जैसी चाहे वैसी भाषा लिख सकता हैं। पत्र लिखने से पहले पत्र के विषय पर ध्यानपूर्वक सोच लेना चाहिए। फिर अपनी बात को उचित ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।
यदि आप अपने माता-पिता, चाचा, मामा तथा अन्य पूजनीय लोगों को पत्र लिखने जा रहे हैं, तो पत्र लिखते समय उनका सम्बोधन जरूरी हैं। यह सम्बोधनपूजनीय पिताजी प्रणाम, आदरणीय चाचा जी सादर चरण-स्पर्श, के रूप में हो सकता हैं।
वैयक्तिक पत्र के मुख्य भाग
वैयक्तिक पत्र को व्यवस्थित रूप से लिखने के लिए इसको निम्नलिखित भागों में बाँटा गया हैं-
(1) प्रेषक का पता-
पत्र लिखते समय सर्वप्रथम प्रेषक का पता लिखा जाना चाहिए। यह पता पत्र के बायीं ओर लिखा जाता हैं।
(2) तिथि-दिनांक-
पत्र के बायीं ओर लिखे प्रेषक के पते के ठीक नीचे तिथि लिखी जानी चाहिए। यह तिथि उसी दिवस की होनी चाहिए, जब पत्र लिखा जा रहा हैं। तिथि को निम्न उदाहरण की तरह लिखना चाहिए 14 मार्च, 20XX अथवा मार्च 14, 20XX
(3) सम्बोधन-
पत्र पर प्रेषक का पता व दिनांक अंकित करने के बाद ‘सम्बोधन’ सूचक शब्दों को लिखना चाहिए। ‘सम्बोधन’ का अर्थ हैं, ‘किसी व्यक्ति को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द’।जैसे- आदरणीय, माननीय, स्नेहिल, मित्रवर आदि।
(4) अभिवादन-
सम्बोधन के नीचे दायीं ओर अभिवादन लिखा जाता हैं। यह सादर चरण-स्पर्श, नमस्कार, नमस्ते, चिरंजीव रहो आदि रूपों में लिखा जाता हैं।
(5) मूल भाग (विषय वस्तु)-
अभिवादन की औपचारिकता के बाद मूल विषय लिखने का क्रम आता हैं। यह मूल विषय ही पत्र की विषय-वस्तु कहलाती हैं। इसी भाग में पत्र-लेखक को अपनी पूरी बात रखनी होती हैं।
(6) मंगल कामनाएँ-
विषय वस्तु की समाप्ति के बाद मंगल कामनाएँ व्यक्त की जाती हैं। सामान्यतः मंगल कामनाएँ ‘शुभ कामनाओं सहित’, ‘सस्नेह’, ‘शुभचिन्तक’ आदि के रूप में व्यक्त की जाती हैं।
(7) उपसंहार-
पत्र की विषय वस्तु, मंगल कामना लिखने के बाद अन्त में प्रसंगानुसार ‘आपका’, ‘भवदीय’, ‘शुभाकांक्षी’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं। यह पत्र के दायीं ओर लिखा जाता हैं।
(8) हस्ताक्षर-
पत्र के अन्त में पत्र-लेखक को अपने हस्ताक्षर करना चाहिए। यदि आपको लगता हैं कि पत्र पाने वाला आपको हस्ताक्षर से पहचान पाएगा, तब आप अपने हस्ताक्षर के नीचे अपना नाम भी लिख सकते हैं।
पत्र पूरा लिखने के बाद उसे एक बार पुनः पढ़ लेना चाहिए और यदि कोई बात बतानी रह गई हो तो उसे पुनश्च लिखकर बता देना चाहिए।
वैयक्तिक पत्र लिखते समय प्रयोग में आने वाली औपचारिकताएँ अर्थात सम्बोधन एवं अभिवादन
जिसे पत्र लिखना हो | सम्बोधन | अभिवादन | अभिनिवेदन |
अपने से बड़े आदरणीय, निकट सम्बन्धियों को, माता, पिता, गुरु, बड़े भाई, बड़ी बहन आदि को | पूजनीय, पूज्य, पूजनीया, पूज्या, परम पूज्य, परम पूज्या, आदरणीय, आदरणीया, मान्यवर या श्रद्धेय। | प्रणाम, नमस्कार, नमस्ते, चरण वन्दना या चरण-स्पर्श। | आपका कृपाभिलाषी, स्नेह-पात्र या दयाभिलाषी। |
बराबर वाले, सहेली, मित्र, सहपाठी आदि को | प्रिय मित्र, प्रिय सखी, मित्रवर, बन्धुवर या प्रियवर। | जयहिन्द, नमस्ते या जय भारत। | आपका मित्र, तुम्हारा ही, तुम्हारा स्नेही, तुम्हारी सखी या तुम्हारी ही। |
अपरिचित व्यक्तियों को | माननीय, मान्यवर, आदरणीय, आदरणीया, मान्य या महोदय, श्रीमान/श्रीमती (नाम)। | जयहिन्द, नमस्ते या नमस्कार। | भवदीय, कृपाकांक्षी, आपका या भवदीया। |
अपने से छोटों को | प्रिय, परम प्रिय, प्रियवर या चिरंजीव। | शुभाशीर्वाद, सुखी रहो, खुश रहो, शुभाशीष, आनन्दित रहो या प्रसन्न रहो। | शुभचिन्तक, शुभाभिलाषी, हितैषी, हितेच्छु या हितचिन्तक। |
वैयक्तिक पत्र का प्रारूप
हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे पुत्र को पिता की ओर से कुशल-क्षेम जानने सम्बन्धी पत्र लिखिए।
123 कश्मीरी गेट,…………………………. (1)पत्र भेजने वाले का पता
दिल्ली
दिनांक 14 मार्च, 20XX ………………….. (2)दिनांक
प्रिय राजेश, ………………………………… (3)सम्बोधन
सुखी रहो …………………………………. (4)अभिवादन
हम सब यहाँ कुशलपूर्वक हैं और वहाँ पर तुम्हारी कुशलता की कामना करते हैं। तुम्हारा कॉलेज का यह पहला वर्ष हैं। खूब मन लगाकर पढ़ाई करना। किसी प्रकार की समस्या हो, तो हमें सूचित करना। तुमने अपने पिछले पत्र में हमें बताया था कि तुम्हारे कॉलेज में जल्दी ही ‘वार्षिक-उत्सव’ शुरू होने जा रहा हैं, ख़ुशी की सबसे बड़ी बात यह कि तुम भी कॉलेज के एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग ले रहे हो।
हमारी भगवान से यही प्रार्थना हैं कि तुम्हें हर क्षेत्र में सफलता मिले। पढ़-लिखकर तुम एक बड़े अधिकारी बनो, हमारी यही कामना हैं। ………………………..(5)विषय वस्तु
हॉस्टल में यदि किसी प्रकार की दिक़्क़त अथवा परेशानी हो, तो हमें लिखना। समय-समय पर अपना हाल-चाल घर पर पत्र के माध्यम से देते रहा करो। तुम्हारी माँ हर समय तुम्हें याद करती रहती हैं। तुम्हारी छोटी बहन हर समय पूछती रहती हैं कि भैया कब आएँगे। मैंने उसे समझा दिया हैं कि तुम हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे हो, जल्दी ही घर आ जाओगे। राजेश, हम लोगों की तुमसे बहुत आशाएँ हैं। उम्मीद करते हैं कि तुम हमारे सपने अवश्य सच करोगे। अपना ख्याल रखना।
शुभकामनाओं सहित……………………….. (6)मंगल कामनाएँ
तुम्हारा पिता,
अजय कुमार………………………………….(7)अभिनिवेदन
कुशल-क्षेम सम्बन्धी पत्र
कुशल-क्षेम सम्बन्धी पत्रों से तात्पर्य ऐसे पत्रों से हैं, जिससे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का हाल-चाल जानता हैं। वह जानकारी प्राप्त करता हैं कि अमुक व्यक्ति राजी-ख़ुशी से रह रहा हैं अथवा नहीं। कुशल-क्षेम सम्बन्धी कुछ पत्रों के उदाहरण इस प्रकार हैं-
(1) अपने परिवार से दूर रहकर नौकरी कर रहे पिता का हाल-चाल जानने के लिए पत्र लिखिए।
20/3, रामनगर,
कानपुर।
दिनांक 15 मार्च, 20XX
पूज्य पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श।
कई दिनों से आपका कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। हम सब यहाँ कुशलपूर्वक रहकर भगवान से आपकी कुशलता एवं स्वास्थ्य के लिए सदा प्रार्थना करते हैं। पिताजी, मैंने घर की सारी जिम्मेदारियाँ सम्भाल ली हैं। घर एवं बाहर के अधिकांश काम अब मैं ही करता हूँ।
सलोनी आपको बहुत याद करती हैं। वह हर समय पापा-पापा की रट लगाए रहती हैं। इस बार घर आते समय उसके लिए गुड़ियों का उपहार लेते आइएगा।
आप अपनी सेहत का ख्याल रखना। समय पर खाना, समय पर सोना। यदि आपको स्वास्थ्य से तनिक भी गड़बड़ी महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श कर तुरंत ही अपना उचित इलाज करवाना।
आपके पत्र के जवाब के इन्तजार में।
आपका पुत्र,
विजय मोहन
(2) आपका मित्र विदेश में रह रहा हैं। अपने मित्र का कुशल-क्षेम जानने के लिए उसे पत्र लिखिए।
454, मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 13 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र अवधेश,
नमस्कार।
आशा हैं, आप स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे। काफी समय बीत गया, आपका कोई पत्र नहीं आया। ऐसा लगता हैं जैसे फ्रांस में नौकरी मिलने के बाद से आप काफी व्यस्त हो गए हैं।
आप मेरा यह पत्र मिलते ही जवाब दें, एवं मुझे यह भी बताएँ कि देश से दूर रहकर चिकित्सा कार्य करने का आपका अनुभव कैसा रहा।
हो सकता हैं कि कार्य में अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण आपको पत्र लिखने का समय न मिल पाता हो, परन्तु अपने इस मित्र के लिए कुछ समय तो निकाल ही लिया करें। इससे मुझे ख़ुशी मिलेगी।
आपकी भारत आने की योजना कब हैं, यह भी पत्र में लिखना। भाभी को मेरी तरफ से प्रणाम कहना, भांजी सृजना को प्यार देना।
आपके पत्र की प्रतीक्षा में
आपका मित्र,
राज कौशल
(3) अपनी छात्रावास की दिनचर्या एवं अपना कुशल-क्षेम बताते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखिए।
सरोजिनी छात्रावास,
देहरादून।
दिनांक 12 मार्च, 20XX
पूज्य पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श।
मुझे आज ही आपका पत्र प्राप्त हुआ। मेरे लिए यह ख़ुशी की बात हैं कि आपने मेरा हाल-चाल जानने के साथ-साथ मेरे छात्रावास की दिनचर्या के विषय में भी जानकारी चाही हैं। मैं यहाँ खुश हूँ, मुझे किसी तरह की कोई समस्या नहीं हैं। जहाँ तक बात मेरे छात्रावास की दिनचर्या की हैं, तो मैं इस पत्र में आपको उसकी जानकारी दे रहा हूँ।
हम प्रातः 5 : 30 बजे उठते हैं। 6 : 00 बजे तक शौच आदि से निवृत्त होकर प्रातः भ्रमण हेतु निकल जाते हैं। इन सब कार्यों पर हमारा लगभग एक घण्टा व्यतीत हो जाता हैं। इसके बाद सात बजे से साढ़े सात बजे के मध्य स्नान करते हैं। ठीक 8 बजे नाश्ते की घण्टी बजती हैं। प्रातः साढ़े आठ से साढ़े नौ बजे तक पढ़ाई करता हूँ। दस बजे से चार बजे तक विद्यालय में रहता हूँ। सायं साढ़े पाँच से साढ़े छः बजे तक का समय खेलों के लिए निश्चित हैं। रात्रि भोजन की घण्टी आठ बजे बजती हैं। भोजन के पश्चात् दो घण्टे अध्ययन करता हूँ। रात्रि ग्यारह बजे सब विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से सो जाना पड़ता हैं। इस प्रकार हमारी दिनचर्या नियमबद्ध ढंग से एवं सुचारु रूप से चलती रहती हैं। छात्रावास के अधीक्षक हमारी हर सुविधा का पूरा-पूरा ध्यान रखते हैं। मैं अगले महीने ग्रीष्म अवकाश में घर आऊँगा।
माताजी को सादर-प्रणाम, सोनिया को प्यार।
आपका प्रिय पुत्र,
सोहन
बधाई सम्बन्धी पत्र
बधाई पत्रों के द्वारा ख़ुशी का इजहार किया जाता हैं। ये पत्र किसी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामना देने, अच्छी नौकरी मिलने, परीक्षा में सफलता प्राप्त करने, विदेश यात्रा करने, राजनीति में जीत हासिल करने, कोई वाहन खरीदने, घर खरीदने, शादी की वर्षगाँठ मनाने, त्यौहार मनाने आदि के मौके पर लिखे जाते हैं। कुछ बधाई पत्र इस प्रकार हैं-
(1) अपने छोटे भाई को उसके जन्मदिन के उपलक्ष्य में बधाई सम्बन्धी पत्र लिखिए।
कौशिक एन्क्लेव,
दिल्ली।
दिनांक 15 मार्च, 20XX
प्रिय अनुज मुकेश,
शुभाशीर्वाद।
पिछले दिनों तुम्हारा पत्र मिला। पत्र में तुमने मुझसे 20 मार्च को दिल्ली आने की गुजारिश की हैं। मुझे याद हैं कि 20 मार्च को तुम्हारा जन्म-दिन हैं और इसलिए तुमने मुझे घर आने के लिए लिखा हैं। जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। मैं प्रभु से यही कामना करता हूँ कि तुम्हारा भावी जीवन सुखद एवं मंगलमय हो। ईश्वर तुम्हारी सम्पूर्ण इच्छाओं को पूर्ण करे।
इस शुभ अवसर के उपलक्ष्य में मैं तुम्हारे लिए चुनी हुई कुछ पुस्तकों का उपहार रजिस्टर्ड डाक से भेज रहा हूँ। मुझे विश्वास हैं कि तुम पुस्तकों में निहित ज्ञान को ग्रहण करके प्रगति के पथ पर आगे बढ़ोगे। अपनी व्यस्तताओं के चलते मैं इस बार तुम्हारे जन्म-दिन के उपलक्ष्य में वहाँ पर उपस्थित नहीं हो सकता, आशा हैं इसे अन्यथा नहीं लोगे। मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ हैं।
घर में सभी को यथायोग्य प्रणाम।
तुम्हारा भाई,
नरेन्द्र
(2) चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम आने पर मित्र को बधाई पत्र लिखिए।
224, वसंत कुंज,
नई दिल्ली।
प्रिय गौरव,
मधुर स्मृतियाँ।
मैं यहाँ कुशल हूँ और ईश्वर से तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ। दो दिन पहले ही तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर अत्यंत प्रसन्न्ता हुई कि तुमने अंतविद्यालयी चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मेरे परिवार व मेरी ओर से तुम्हें हार्दिक बधाई। तुम बचपन से ही चित्रकला में रुचि लेते आए हो और अपनी कक्षा में भी सबसे सुंदर चित्र बनाते हो। सभी अध्यापक व अध्यापिकाएँ भी तुम्हारी प्रशंसा करते हैं। तुम्हारी मेहनत व लगन का परिणाम आज तुम्हारे सामने है। भविष्य में भी तुम इसी प्रकार सफलता प्राप्त करते रहो, मेरी यही कामना है।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना और आरुषी को स्नेह देना। पत्र का उत्तर शीघ्र देना।
तुम्हारा मित्र,
अनुराग
(3) अपने मित्र को वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान पर उत्तीर्ण होने के उपलक्ष्य में बधाई पत्र लिखिए।
40/3, नेहरू विहार,
झाँसी।
दिनांक 16 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र शेखर,
जय हिन्द !
15 मार्च, 20XX के समाचार-पत्र में तुम्हारी सफलता का सन्देश पढ़ने को मिला। यह जानकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि तुमने जिला स्तर पर 12वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया हैं।
प्रिय शेखर, मुझे तुम से यही आशा थी। तुम्हारी पढ़ाई के प्रति निष्ठा और लगन को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि 12वीं कक्षा की परीक्षा में तुम अपने विद्यालय तथा परिवार का नाम अवश्य रोशन करोगे। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का नाम अवश्य रोशन करोगे। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का उचित फल दिया हैं।
मेरे दोस्त, अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं उस परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जीवन में सफलता इसी प्रकार तुम्हारे चरण चूमती रहे तथा तुम जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर रहो।
मुझे पूरी आशा हैं कि इसके पश्चात् होने वाली कॉलेज की आगामी परीक्षाओं में भी तुम इसी प्रकार उच्च सफलता प्राप्त करोगे तथा जिनका परिणाम इससे भी शानदार रहेगा। मेरी शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ हैं।
शुभकानाओं सहित।
तुम्हारा अभिन्न हृदय,
मोहन राकेश
(4) अपने मित्र को उसके जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
15, राजनगर,
गाजियाबाद।
दिनांक 16 अप्रैल, 20XX
प्रिय मित्र सिद्धार्थ,
सप्रेम नमस्ते !
20 अप्रैल को तुम्हारा 17वाँ जन्म दिवस हैं। तुम्हारे जन्म-दिन के इस मौके पर मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ। मैं परमपिता परमेश्वर से तुम्हारी दीर्घायु की कामना करता हूँ। तुम जीवन-पथ पर समस्त सफलताओं के साथ अग्रसर रहो और यह दिन तुम्हारे जीवन में ढेरों खुशियाँ लाए।
इन्हीं कामनाओं के साथ,
तुम्हारा परम मित्र,
जीवन
(5) अपने मित्र को उसकी बहन के विवाह पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
12/4, जनकपुरी,
दिल्ली।
दिनांक 18 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र देवेश,
सदा खुश रहो।
मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि दीदी मीनाक्षी का विवाह 16 मार्च को था। हालाँकि दीदी के विवाह का निमन्त्रण पत्र मुझे समय पर मिल गया था। मैंने आने का कार्यक्रम भी बनाया था, किन्तु अचानक आई व्यस्तता के कारण आ न सका। इसका मुझे खेद हैं। मैं इस हेतु क्षमा चाहता हूँ।
ईश्वर हमारी बहन के वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की वर्षा करे। उनका भावी जीवन खुशियों से भरा रहे, यही मेरी हार्दिक इच्छा हैं।
दीदी के विवाह पर तुम्हें मेरी तरफ से बधाई। माता-पिता को मेरी ओर से सादर चरण-स्पर्श। शान्तनु को मेरा प्यार।
मेरी तरफ से पुनः बधाई स्वीकार करो।
तुम्हारा मित्र,
राकेश शर्मा
(6) अपने छोटे भाई को बधाई देते हुए पत्र लिखिए जिसमें उसे राष्ट्रपति द्वारा ‘वीर बालक पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया हैं।
ए-30, ममफोर्ड गंज,
इलाहाबाद।
दिनांक 16 मार्च, 20XX
प्रिय सुनील,
शुभाशीष।
आज के समाचार-पत्र में यह समाचार पढ़कर मेरा हृदय असीम प्रसन्नता से भर गया कि तुम्हें राष्ट्रपति द्वारा ‘वीर बालक पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया हैं। मैं तुम्हें इस पुरस्कार प्राप्ति पर हार्दिक बधाई देता हूँ।
तुमने यह पुरस्कार पाकर परिवार के प्रत्येक सदस्य का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया हैं। हम सभी को तुम्हारी इस बहादुरी पर नाज हैं। तुमने जिस बहादुरी का प्रदर्शन करके अपने साथियों की जान बचाई थी, वह घटना निश्चय ही अदम्य वीरता की परिचायक हैं।
मैं आशा करता हूँ कि तुम भविष्य में इससे भी महान् कार्य कर देश का नाम रोशन करोगे।
एक बार पुनः बधाई एवं शुभाशीष।
तुम्हारा शुभचिन्तक,
राजेन्द्र सिंह
शोक/सहानुभूति/संवेदना प्रकट करने सम्बन्धी पत्र
शोक/संवेदना एवं सहानुभूति प्रकट करने सम्बन्धी पत्र ऐसी स्थिति में प्रेषित किए जाते हैं, जब सामने वाले पर दुःखों का पहाड़ टूटा हो, अथवा स्वयं पर विपदा आई हो। ये पत्र व्यक्ति को दुःख से उबरने, हिम्मत बाँधने, मुश्किल परिस्थितियों का डटकर सामना करने में सहायक होते हैं। अतः ऐसे पत्रों को लिखते समय भाषा-शैली पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ये पत्र ह्रदयस्पर्शी, गम्भीर एवं संक्षिप्त होने चाहिए। पत्र का प्रत्येक शब्द आत्मीयता, सहृदयता एवं सहानुभूति से परिपूर्ण होना चाहिए। शोक, संवेदना एवं सहानुभूति प्रकट करने सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
(1) मित्र की माँ के आकस्मिक निधन पर शोक प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
बी-556 सेवानगर,
गुजरात।
दिनांक 26 मार्च, 20XX
परम प्रिय मित्र,
नमस्कार।
मुझे माताजी के आकस्मिक निधन की सूचना प्राप्त हुई। इस सूचना से मेरे हृदय में तीव्र आघात हुआ हैं, मेरी आँखों के आगे से माताजी की सूरत नहीं हट रही हैं। उनकी सौम्य ममता मुझे रुला रही हैं। मैं समझ सकता हूँ कि दुःख की इस घड़ी में तुम्हारे ऊपर क्या बीत रही होगी।
मित्र, मृत्यु पर किसी का वश नहीं चला हैं, क्योंकि यह एक कटु सत्य हैं कि जो इस संसार में आया हैं, उसे एक दिन यहाँ से जाना ही हैं। माता जी की मृत्यु अपूरणीय क्षति हैं। भगवान दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे।
मित्र, दुःखों का जो पहाड़ तुम पर टूटा हैं, भगवान तुम्हें उसे सहन करने की शक्ति दे। मेरी सहानुभूति तुम्हारे साथ हैं।
तुम्हारा मित्र,
सुनील सोनकर
(2) अपने मित्र को बाढ़ के कारण हुए नुकसान पर सहानुभूति प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
एम-56,
रामनगर,
झाँसी।
दिनांक 15 जून, 20XX
प्रिय विजेन्द्र,
स्नेहिल नमन।
मित्र मुझे कल तुम्हारा पत्र मिला। पत्र में तुमने बीते दिनों तुम्हारे गाँव में आई बाढ़ का जिक्र करते हुए लिखा हैं कि इससे तुम्हारे घर को काफी नुकसान पहुँचा हैं। घर का ढेर सारा सामान बाढ़ की भेंट चढ़ गया हैं।
निःसन्देह यह तुम्हारे लिए एक दुःखद घटना हैं। मुझे भी इस बात का दुःख हैं। किन्तु प्रकृति के आगे किसका वश चलता हैं। तुम हिम्मत मत हारना। भगवान की कृपा से सब पहले की तरह ठीक हो जाएगा।
मैं तुम्हारी हर सम्भव मदद करने के लिए तैयार हूँ, मुझसे जो भी बन सकेगा, अवश्य करूँगा। मेरी पूर्ण सहानुभूति तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के साथ हैं।
तुम्हारा मित्र,
श्याम सुन्दर
निमन्त्रण पत्र
निमन्त्रण पत्रों के अन्तर्गत कार्यक्रम आदि के लिए निमन्त्रण का समय, दिन, कार्यक्रम का विवरण आदि लिखा जाता हैं। सामाजिक जीवन में अनेक सुअवसरों पर निमन्त्रण पत्र लिखे जाते हैं। निमन्त्रण पत्र एक प्रकार से व्यक्ति को औपचारिक बुलावा होता हैं। निमन्त्रण पत्र की विशेषता यह हैं कि इसमें सभी के लिए समान सम्मान-सूचक सम्बोधन का प्रयोग किया जाता हैं। कुछ निमन्त्रण पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(1) अपने जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में किसी संगीतकार को बुलवाने का आग्रह करते हुए अपने बड़े भाई को पत्र लिखिए।
145, ज्वाला नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 20 सितंबर, 20XX
आदरणीय भैया,
सादर प्रणाम।
मैं यहाँ कुशलपूर्वक रहते हुए आप सभी की कुशलता की कामना करता हूँ। मेरी पढ़ाई व्यवस्थित ढंग से चल रही हैं। मैं दुर्गापूजा की छुट्टी में घर आऊँगा तथा अपना जन्मदिन मनाने के उपरान्त वापस लौटूँगा। मैं अपने जन्मदिन (8 अक्टूबर) के अवसर पर कुछ गीत-संगीत कार्यक्रम का आयोजन करवाना चाहता हूँ, ताकि मेरे परिचितों को अधिक आनन्द आए और वे इसे कुछ दिनों तक याद भी रख सकें। मेरी इच्छा हैं कि किसी स्तरीय गायक एवं संगीतकार से जन्मदिन के कार्यक्रम के लिए बात करके, उसे सुनिश्चित कर दिया जाए। वह कोई बहुत लोकप्रिय या प्रसिद्ध संगीतकार न हो, लेकिन बजट के अन्तर्गत एक अच्छा संगीतकार अवश्य हो, जिससे सुनने वालों को स्वस्थ एवं सुकून देने वाला मनोरंजन प्राप्त हो सके।
इसमें आपकी तथा घर के अन्य लोगों की सहमति अति आवश्यक हैं। आशा करता हूँ कि जन्मदिन के लिए निर्धारित व्यय में ही यह कार्यक्रम सम्भव हो जाएगा। शेष मिलने पर। घर के सभी लोगों को मेरा यथोचित अभिवादन।
आपका अनुज
राकेश
(2) अपने मित्र को तीर्थ स्थल की यात्रा में साथ चलने का निमन्त्रण देते हुए पत्र लिखिए।
सराय रोहिल्ला,
दिल्ली।
दिनांक 17 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र,
सस्नेह नमस्ते !
मित्र तुम कैसे हो? कई दिन हो गए, तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया। अब तो तुम्हारी परीक्षाएँ भी समाप्त हो गई हैं। अब तो तुम्हें पत्र लिखना चाहिए था। मुझे तुम्हारे पत्र का बेसब्री से इन्तजार रहता हैं।
खैर, तुम्हें याद होगा, पिछली छुट्टियों में हमने मिलकर एक कार्यक्रम बनाया था कि परीक्षाओं के बाद हम वैष्णो देवी, जम्मू घूमने जाएँगे। अब परीक्षाएँ समाप्त हो गई हैं। मुझे लगता हैं अब हमें माता के दर्शन के लिए चलना चाहिए। मैंने अपने घर में इजाजत ले ली हैं। तुम भी जल्दी ही अपने घरवालों से पूछकर उनकी इच्छा मुझे बता दो, ताकि मैं ट्रेन की टिकटें बुक करा सकूँ।
अच्छा होगा, यदि इस बीच तुम कभी मेरे पास आओ, ताकि मिल-बैठकर सुविधानुसार हम पूरी योजना तैयार कर लें। मैं तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा करूँगा।
घर में माता-पिता को मेरा सादर नमस्कार तथा दीपू को स्नेह देना।
तुम्हारा मित्र,
अखिलेश यादव
(3) अपने मित्र को ग्रीष्मावकाश साथ बिताने के लिए निमन्त्रण पत्र लिखिए।
220, रामनगर,
उत्तराखण्ड।
दिनांक 24 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र सुभाष,
सप्रेम नमस्ते।
कल शाम तुम्हारा स्नेहपूर्ण पत्र मिला। मुझे यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि तुमने अपनी कक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर स्वर्णपदक जीता हैं। कल ही मेरा भी परीक्षा-परिणाम घोषित हुआ था। मैंने अपनी कक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त किया हैं।
जैसा कि तुम जानते हो स्कूल में प्रत्येक वर्ष गर्मियों की छुट्टियाँ पड़ती हैं। हमारा विद्यालय भी 10 मई से 15 जुलाई तक के लिए बन्द हो रहा हैं। तुम्हारा स्कूल भी इस दौरान बन्द रहेगा। मैं चाहता हूँ कि छुट्टियों के दौरान एक सप्ताह के लिए तुम उत्तराखण्ड आ जाओ। एक-दो दिन यहाँ रहकर हरिद्वार और ऋषिकेश चलेंगे। इन दिनों यहाँ का मौसम काफी अच्छा होता हैं। मेरे चाचा जी आजकल हरिद्वार में ही हैं। अतः कोई परेशानी नहीं होगी। तुम अपने घर पर अपने माता व पिताजी से विचार विमर्श करके अपने आने के कार्यक्रम की अविलम्ब सूचना देना।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा परम मित्र,
राकेश रावत
खेद सम्बन्धी पत्र
खेद सम्बन्धीपत्रों को लिखने की आवश्यकता तब महसूस होती हैं, जब एक व्यक्ति किसी के द्वारा मिले निमन्त्रण पर पहुँचने की स्थिति में नहीं होता। अथवा जब तमाम कोशिशों के बाद भी एक व्यक्ति किसी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता, तब भी खेद पत्र लिखा जा सकता हैं। इसके अतिरिक्त जब एक व्यक्ति किसी के कार्यों से सन्तुष्ट नहीं होता, तब भी खेद पत्र लिखा जाता हैं।
कुछ खेद सम्बन्धी पत्र इस प्रकार हैं-
(1) अपने मित्र की शादी में न पहुँच पाने की असमर्थता बताते हुए खेद सम्बन्धी पत्र लिखिए।
15/2, अलीपुर,
दिल्ली।
दिनांक 15 फरवरी, 20XX
प्रिय मित्र सुधांशु,
सप्रेम नमस्कार।
मित्र सबसे पहले मैं तुम्हें तुम्हारी शादी की ढेरों शुभकामनाएँ देना चाहूँगा। मुझे खेद हैं कि मैं तुम्हारी शादी में पहुँच नहीं सका। हालाँकि मुझे तुम्हारी शादी का निमन्त्रण पत्र समय पर मिल गया था, किन्तु काम की व्यस्तताओं में मैं इतना उलझा हुआ था कि चाहकर भी समय नहीं निकाल सका।
जिस दिन तुम्हारी शादी थी, उसी दिन मुझे कम्पनी के काम से दिल्ली से बाहर जाना पड़ा था। यदि मैं नहीं जाता, तो कम्पनी का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता था।
मित्र, मैं समझता हूँ तुम मेरी विवशताओं को समझोगे। एक बार पुनः मैं तुम्हें शादी की शुभकामनाएँ देता हूँ। भाभी को मेरा नमस्कार कहिएगा।
शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
राकेश मेहरा
(2) अपने चाचा जी को पत्र लिखिए, जिसमें पर्वतीय स्थलों पर घूमने हेतु चाचा जी के आमन्त्रण पर न पहुँच पाने के लिए खेद प्रकट किया हो।
15, महेन्द्रगढ़,
राजस्थान।
दिनांक 16 अगस्त, 20XX
पूजनीय चाचा जी,
सादर चरण स्पर्श।
पिछले दिनों मुझे आपका पत्र मिला। पत्र में आपने मुझे हिमाचल आकर घूमने का निमन्त्रण दिया हैं। इसके लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहूँगा।
चाचा जी, मेरी तमन्ना भी हिमाचल घूमने की हैं। वहाँ की पर्वतों से घिरी सुन्दर, आकर्षक वादियों का मैं भी लुत्फ उठाना चाहता हूँ।
मेरे कई दोस्त हिमाचल घूम कर आ चुके हैं। उनके मुँह से मैंने वहाँ की काफी तारीफ सुनी हैं। मेरा भी मन हैं कि मैं भी वहाँ आकर आपके साथ हिमाचल घूमकर वहाँ की वादियों का आनन्द लूँ। किन्तु मुझे खेद हैं कि मैं अभी वहाँ नहीं आ सकता। अगले महीने मेरी अर्द्धवार्षिक की परीक्षाएँ होने वाली हैं। इस समय मेरा पूरा ध्यान उन्हीं परीक्षाओं की तैयारी पर हैं। मैं परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता हूँ।
चाचा जी, परीक्षाओं के बाद दशहरा की छुट्टियों में मैं हिमाचल जरूर आना चाहूँगा।
चाची जी को चरण-स्पर्श, रोहन-मोहन को प्यार।
आपका भतीजा,
राजेश कुमार
(3) पिताजी को अपनी गलती के लिए क्षमा-याचना करते हुए पत्र लिखिए।
18, दरियागंज,
दिल्ली।
दिनांक 16 मार्च, 20XX
पूजनीय पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श।
मैं इस पत्र के माध्यम से पिछले दिनों हुई अपनी गलती के लिए माफी माँगना चाहता हूँ। पिछले दिनों मैंने अपने पत्र में क्रोधवश बड़े भैया के लिए कुछ अनुचित शब्दों का प्रयोग किया था। पत्र पढ़कर भैया को दुःख पहुँचा। इसका मुझे खेद हैं।
मेरे मन में बड़े भैया के लिए सदैव आदर का भाव रहा हैं। परन्तु मैंने भ्रमवश उनके हृदय को ठेस पहुँचाने का अक्षम्य अपराध किया हैं।
मैं अपनी भूल के लिए भाई साहब से तथा आपसे क्षमा-याचना करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में ऐसी गलती मुझसे भूलकर भी नहीं होगी। आशा हैं कि आप मुझे अबोध जान कर क्षमा कर देंगे।
माताजी को चरण-स्पर्श तथा पूनम को प्यार।
आपका पुत्र,
रमन कुमार
सलाह सम्बन्धी पत्र
सलाह सम्बन्धीपत्रों से तात्पर्य ऐसे पत्रों से हैं, जिनमें किसी व्यक्ति को किसी विषय पर उचित सलाह दी जाती हो ऐसे पत्रों के माध्यम से कई बार व्यक्ति स्वयं भी सलाह लेने की इच्छा प्रकट करता हैं।
संक्षेप में कहा जा सकता हैं कि सलाह लेने अथवा सलाह देने के लिए इन पत्रों का प्रयोग होता हैं।
सलाह सम्बन्धी कुछ पत्र इस प्रकार हैं-
(1) अपनी छोटी बहन को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
18, जीवन नगर,
गाजियाबाद।
दिनांक 19 मार्च, 20XX
प्रिय कुसुमलता,
शुभाशीष।
आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही होगी।
प्रिय कुसुम, तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन संवारने का अवसर प्राप्त हुआ हैं, परन्तु वहाँ छात्रावास में इस आजादी का तुम दुरुपयोग मत करना।
बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम समय का भरपूर सदुपयोग करना। तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक महत्त्व मिले।
यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल अध्ययन में लगाना। मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करना। खेल-कूद को भी पढ़ाई जितना ही महत्त्व देना। आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी तथा अपनी दिनचर्या का उचित प्रकार पालन करके परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करोगी।
शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा भाई,
कैलाश
(2) अपने छोटे भाई को कुसंगति से बचने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
19, बीसवाँ मील,
सोनीपत,
हरियाणा।
दिनांक 21 मार्च, 20XX
प्रिय भाई भूपेन्द्र
खुश रहो !
कल तुम्हारा पत्र मिला। मुझे यह पढ़कर अत्यन्त हर्ष हुआ कि तुम परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए हो। परिवार के सभी लोग चाहते हैं कि तुम परिश्रम से पढ़ो और अच्छे अंक प्राप्त करो।
बन्धु, मैं भली-भाँति जानता हूँ कि तुम कर्त्तव्यनिष्ठ हो। फिर भी मैं तुम्हारा ध्यान कुसंगति के कुप्रभाव की ओर आकृष्ट कर रहा हूँ। कुसंगति एक संक्रामक रोग की भाँति हैं। जब यह रोग किसी को लग जाता हैं, तो वह बड़ी कठिनाई से ही उससे मुक्त हो पाता हैं। एक बड़े विद्वान ने कुसंगति की उपमा विषम ज्वर से दी हैं। जिस प्रकार विषम ज्वर शीघ्र छूटता नहीं, उसी प्रकार कुसंगति का प्रभाव भी शीघ्र समाप्त नहीं हो पाता। बड़े-बड़े मनीषी तक कुसंगति में पड़ कर अपने जीवन को बर्बाद कर देते हैं। अतः इससे बचने का प्रयास करना चाहिए।
प्रिय अनुज, मुझे तुम पर पूरा भरोसा हैं। तुम सदैव कुसंगति से बचने का प्रयास करते रहोगे। सद् इच्छा के लिए तुम्हारी दृढ़ता और बुराइयों से बचने के लिए तुम्हारा साहस ही तुम्हें सफल बनाएगा।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा बड़ा भाई,
नरेन्द्र
(3) अपने छोटे भाई को स्कूल में नियमित उपस्थित रहने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
एफ/197, मयूर विहार,
दिल्ली।
दिनांक 12 जनवरी, 20XX
प्रिय सुरेश,
शुभाशीष।
कल तुम्हारे कक्षाध्यापक का पत्र मिला। यह जानकर मुझे अत्यधिक दुःख हुआ कि पिछले दो महीनों से तुम कक्षा में नियमित रूप से उपस्थित नहीं हो रहे हो। यह भी पता चला हैं कि तुम स्कूल से हर दूसरे-तीसरे दिन उपस्थित रहते हो।
सुरेश, इस वर्ष तुम्हारी बोर्ड की परीक्षा हैं। यदि तुम इसी तरह कक्षा से गैर-हाजिर रहकर अपना कीमती समय बर्बाद करते रहे तो बाद में पछताने के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा। पढ़ाई में लापरवाही से तुम अनुतीर्ण हो जाओगे। एक वर्ष असफल होने का मतलब हैं- अपने को लाखों से पीछे धकेल देना। समय बहुत तेजी से करवट ले रहा हैं। तुम पिछले कुछ देख ही रहे हो कि डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में भी केवल उन्हीं छात्रों को प्रवेश मिल रहा हैं, जिन्होंने 75% से अधिक अंक प्राप्त किए हों।
अगले दो वर्षों में स्थिति और भी विकट हो जाएगी। यदि तुम अपना भविष्य संवारना चाहते हो, तो मन लगाकर परीक्षा की तैयारी करो। सफलता हमेशा उसी के कदम चूमती हैं, जो मेहनत से जी नहीं चुराता।
मुझे विश्वास हैं कि तुम मेरी बातों पर गम्भीरता से ध्यान देते हुए नियमित रूप से विद्यालय जाओगे और परीक्षा की भली-भाँति तैयारी करोगे।
भावी सफलताओं की शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा बड़ा भाई,
दिनेश
(4) अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें उसे स्कूल में अच्छा व्यवहार करने की राय दीजिए।
स्टेशन रोड,
सीतामढ़ी।
दिनांक 10 जनवरी, 1988
प्रिय नरेंद्र,
शुभाशीष।
आज तुम्हारा पत्र पाकर और यह जानकर कि तुम जिला स्कूल में भरती हो गए हो, मैं बहुत खुश हूँ। मुझे आशा है कि स्कूल के प्रथम दिन का तुम्हारा अनुभव बड़ा मधुर होगा। फिर भी, मैं तुम्हें खतरों से सचेत करने के लिए यह पत्र लिख रहा हूँ। स्कूल में जिस तरह बहुत-से अच्छे लड़के है, उसी तरह बहुत-से बुरे लड़के हैं। केवल अच्छे लड़कों के साथ तुम्हें रहना चाहिए। इस कार्य में तुम्हारे शिक्षक तुम्हारी सहायता करेंगे। दुष्ट और आलसी लड़कों की संगति से हमेशा दूर रहने की चेष्टा करोगे। अपने पाठ के संबंध में भी तुम्हें सचेत और समयनिष्ठ रहना चाहिए। तुम्हें अपने शिक्षकों को सबसे अधिक सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए अन्यथा तुम कुछ सीख नहीं सकोगे। अपने साथियों के साथ तुम्हारा व्यवहार भी भाई की तरह होना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि तुम मेरी हिदायतों पर ध्यान दोगे। अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम बहुत अच्छे लड़के बनोगे।
तुम्हारा शुभेच्छुक,
सुरेश मोहन
पता- नरेंद्र मोहन सिन्हा,
वर्ग 10, जिला स्कूल,
मुजफ्फरपुर
(5) अपने छोटे भाई को फैशन में रुचि न लेकर पढ़ाई की ओर ध्यान देने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
15/2, विले पार्ले,
मुम्बई।
प्रिय राजीव,
खुश रहो!
आदरणीय माताजी के नाम लिखा तुम्हारा पत्र आज ही मिला। तुमने अपने पत्र में नये फैशन के कपड़े तथा अन्य सामग्री खरीदने के लिए पाँच हजार रुपये भेजने का आग्रह किया हैं। माता जी ने इस सन्दर्भ में तुम्हें पत्र लिखने के लिए मुझसे कहा हैं। इतनी बड़ी राशि मँगवाने की बात मेरी समझ से परे हैं। जहाँ तक मुझे याद हैं, तुम्हें जरूरत की हर वस्तु पिताजी दिलवा ही आए थे, जिनमें कपड़े भी सम्मिलित थे।
ऐसा प्रतीत होता हैं तुम्हें मुम्बई के फैशन की हवा लग गयी हैं। यह हवा छात्रों का मन पढ़ाई से भटकाकर तड़क-भड़क वाली जिन्दगी की ओर ले जाने वाली होती हैं। तुम्हें इससे बचना चाहिए।
प्रिय भाई, तुम्हारे जीवन का प्रधान उद्देश्य ‘सादा जीवन उच्च विचार’ होना चाहिए। हमारे घर का मासिक खर्च कितना अधिक हैं यह तुम्हें ज्ञात ही हैं। आय के साधन सीमित हैं। तुम्हारी महत्त्वाकांक्षा यही होनी चाहिए कि तुम सादा जीवन व्यतीत करके योग्य व्यक्ति बन सको। योग्य व्यक्ति बनने की पहली सीढ़ी अध्ययन में परिश्रम करना हैं।
मेरा तो यही सुझाव हैं कि तुम पढ़ाई में ध्यान लगाओ, अच्छा तथा पौष्टिक भोजन करो, सेहत का बराबर ध्यान रखो तथा फिजूलखर्च करके फैशन की भेड़-चाल में शामिल होने की बजाय अपने व्यक्तित्व तथा चरित्र का निर्माण करो।
सभी की ओर से यथा-योग्य अभिवादन। पत्र का उत्तर शीघ्र देना।
तुम्हारा भाई,
संजीव
(6) अपने बड़े भाई को एक पत्र लिखिए, जिसमें आपने बारहवीं के बाद कोर्स चुनने सम्बन्धी सलाह देने का आग्रह किया हो।
16, मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 1 अप्रैल, 20XX
आदरणीय भाई साहब,
सादर चरण स्पर्श।
कल मेरी बारहवीं की परीक्षाएँ समाप्त हो गई हैं। मई के अन्त तक परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। मुझे इन परीक्षाओं में बेहतर अंक मिलने की उम्मीद हैं।
भैया, जैसा कि आप जानते हैं, मैंने ‘कला विषय’ में बारहवीं की परीक्षाएँ दी हैं। और मेरा पसन्दीदा विषय हिन्दी एवं इतिहास हैं। मैं आपसे सलाह लेना चाहता हूँ कि मुझे कॉलेज स्तर पर किस कोर्स अथवा विषय का चुनाव करना चाहिए। मेरे कई मित्र इतिहास (ऑनर्स) विषय में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। क्या मुझे भी इसी विषय का चयन करना चाहिए ?
आप तो सरकारी सेवारत् हैं। फिर आप यह भी जानते हैं कि मेरा सपना भविष्य में बेहतर प्रशासक बनने का हैं। इसलिए आप मुझे सलाह दें कि मैं स्नातक स्तर पर कौन-सा कोर्स अथवा विषय चुनूँ, जो आगे की मेरी प्रतियोगी परीक्षाओं में उपयोगी हो।
आपके पत्र के इन्तजार में।
आपका छोटा भाई,
विमल
अभिप्रेरणा सम्बन्धी पत्र
अभिप्रेरणा सम्बन्धी पत्रों से तात्पर्य ऐसे पत्रों से हैं, जिनमें किसी के लिए प्रेरणा सम्बन्धी बातों का उल्लेख किया गया होता हैं। ये पत्र अन्धकार में जी रहे किसी व्यक्ति के जीवन में उम्मीदों का दीया रोशन करने वाले होते हैं।
इन पत्रों में प्रेरक बातों के साथ-साथ व्यक्ति को नई दिशा देने की कोशिश की जाती हैं। इन पत्रों के लेखक का उद्देश्य जिन्दगी से हार मानकर टूट चुके व्यक्ति के मन में हौसला पैदा करना होता हैं। अभिप्रेरणा सम्बन्धी कुछ पत्र इस प्रकार हैं-
(1) भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.) परीक्षा 20XX की मुख्य परीक्षा में असफल होने पर अपने दुखी मित्र को अभिप्रेरणा देने सम्बन्धी पत्र लिखिए।
16, आदर्शनगर,
दिल्ली।
दिनांक 21 अगस्त, 20XX
प्रिय मित्र मणिशंकर,
नमस्कार!
मुझे यह जानकर अत्यन्त दुःख हुआ कि तुम आई.ए.एस. (मुख्य) परीक्षा में असफल हो गए। किन्तु जब मैंने तुम्हारे दोस्तों से सुना कि तुम इस असफलता के कारण अत्यन्त शोक मग्न हो, तुमने खाना-पीना तक छोड़ दिया हैं, तब मन को और अधिक ठेस पहुँची।
मित्र, इस तरह असफल हो जाने से खाना-पीना छोड़ देना कहाँ की बुद्धिमत्ता हैं। अन्न-जल ग्रहण न करने से तुम्हारा स्वास्थ्य ही बिगड़ेगा। दोस्त, इस तरह हार मानना अच्छी बात नहीं हैं। मनुष्य तो वह हैं, जो असफल होने पर भी साहस नहीं छोड़ता, बल्कि सफल होने के लिए दोगुना परिश्रम करता हैं।
मित्र, यह जीवन एक कर्मक्षेत्र हैं, जहाँ पग-पग पर मनुष्य के धैर्य और साहस की परीक्षा होती रहती हैं। असफलताएँ वास्तव में, हमारी परीक्षाएँ होती हैं। क्या तुम नहीं जानते सफलता की सीढ़ी कहीं न कहीं असफलता की नींव से होकर गुजरती हैं।
ऐसा नहीं हैं कि हर आदमी को पलक झपकते ही सफलता नसीब हो जाती हैं सफलता की गाथा कहीं न कहीं असफलता के बाद ही लिखी जाती हैं।
मेरे मित्र, यह समय शोक करने का नहीं, बल्कि और अधिक मेहनत करने का हैं। अभी भी तुम्हारे पास सिविल सेवा परीक्षा के दो प्रयास और शेष हैं। मुझे उम्मीद हैं कि तुम अगले वर्ष साक्षात्कार को पार करते हुए सर्वश्रेष्ठ दस सफल प्रतिभागियों में अपना नाम दर्ज करवाओगे।
भावी सफलताओं की शुभकामनाओं।
तुम्हारा हितैषी,
अमन
(2) डांस प्रतियोगिता में चयन न होने पर मित्र को अभिप्रेरणा देते हुए पत्र लिखिए।
ई, 550 यमुना विहार,
दिल्ली।
दिनांक 21 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र आकाश,
जय हिन्द!
आज सुबह मुझे तुम्हारे बड़े भाई से यह जानकारी मिली कि सोनी चैनल पर आने वाले एक डांस रियलिटी शो के ‘ऑडिशन’ में सफल न होने के कारण तुम काफी उदास हो।
मित्र, इंसान के जीवन में सफलता-असफलता लगी रहती हैं। मैंने तुम्हारा नृत्य देखा हैं। तुम्हारे नृत्य में विविधता हैं। तुम प्रतिभाशाली हो। एक ऑडिशन में असफल हो गए तो क्या ! आगे बहुत-से नए डांस शो शुरू होने वाले हैं। इनमें तुम जैसे प्रतिभाशाली प्रतिभागियों को पूरा मौका मिलेगा।
मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम इस असफलता को जीवन का एक अनुभव मान, आगे और मेहनत करोगे और तब ऑडिशन में नहीं, बल्कि शो में सर्वश्रेष्ठ डांसर का ख़िताब जीत परिवार का नाम रोशन करोगे।
शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा मित्र,
विशाल
धन्यवाद सम्बन्धी पत्र
धन्यवाद… किसी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का एक छोटा-सा शब्द हैं। कहने को तो यह मात्र एक छोटा-सा शब्द हैं, किन्तु इसका अर्थ व्यापक हैं।
धन्यवाद दिल से किया जाना चाहिए। बहुत-से व्यक्ति इस बात को भली-भाँति समझते हैं कि यदि किसी ने उनके प्रति कुछ कार्य किया हैं, कुछ उपहार दिया हैं, अथवा ऐसे मौके पर काम आए हैं, जब सब ने साथ छोड़ दिया, तब धन्यवाद देना उनका फर्ज बनता हैं।
धन्यवाद जितनी जल्दी दिया जाए, उतना ही अच्छा होता हैं। बहुत-से व्यक्ति आमने-सामने धन्यवाद दे देते हैं, कुछ पत्रों के माध्यम से धन्यवाद व्यक्त करते हैं।
ऐसे ही धन्यवाद सम्बन्धी कुछ पत्रों के उदाहरण यहाँ दिए गए हैं-
(1) आपकी खोई हुई पुस्तक किसी अपरिचित द्वारा लौटाए जाने पर आभार व्यक्त करते हुए पत्र लिखिए।
21, जी.टी.बी.नगर,
दिल्ली।
दिनांक 23 अप्रैल, 20XX
आदरणीय कैलाश मिश्रा जी,
नमस्कार !
कल मुझे डाक से एक पार्सल मिला। पार्सल खोलने पर मुझे यह देखकर अत्यन्त आश्चर्य हुआ साथ ही प्रसन्नता भी हुई कि उसमें मेरी खोई हुई वही पुस्तक मौजूद थी, जिसके लिए मैं काफी परेशान था। पहले तो मैं विश्वास ही नहीं कर पाया कि वर्तमान युग में भी कोई व्यक्ति इतना भला हो सकता हैं, जो डाक-व्यय स्वयं देकर दूसरों की खोई वस्तु लौटाने का कष्ट करे। मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूँ। यह पुस्तक बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होती तथा मेरे लिए यह एक अमूल्य वस्तु हैं। आपने पुस्तक लौटाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया हैं। इसके लिए मैं हमेशा आपका आभारी रहूँगा।
एक बार पुनः मैं आपको धन्यवाद करता हूँ।
आपका शुभाकांक्षी,
इन्द्र मोहन
(2) आपकी खोई हुई वस्तु लौटाए जाने हेतु उस व्यक्ति को धन्यवाद करते हुए पत्र लिखिए।
15, संजय एन्क्लेव,
जहाँगीरपुरी,
दिल्ली।
दिनांक 21 मई, 20XX
आदरणीय विनोद जी,
सादर नमस्कार।
आपको पत्र लिखकर मैं स्वयं को धन्य मान रहा हूँ। आप जैसे ईमानदार व्यक्ति आज के युग में बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। आपने मेरी खोई हुई अटैची लौटाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया हैं। जब से मेरी अटैची गुम हुई थी, मेरी दिनचर्या ही अस्त-व्यस्त हो गयी थी। मानसिक तनाव अत्यधिक बढ़ गया था; क्योंकि उसमें कार्यालय के पचास हजार रुपये के साथ-साथ कुछ महत्त्वपूर्ण फाइलें भी थीं।
रेलवे स्टेशन पर खोई इस अटैची के वापस मिलने की मैं उम्मीद ही खो चुका था। किन्तु उस रोज जब मैं रुपयों का प्रबन्ध करने घर से निकलने ही वाला था कि वह अटैची हाथ में लिए आपका छोटा भाई मेरे पास आया। मुझे लगा मानो यह कोई स्वप्न हो और अटैची हाथ में लिए कोई देवदूत आया हो। अपने सामान के मिल जाने पर जो ख़ुशी मुझे हुई उसे शब्दों में बयाँ करना असम्भव हैं। वास्तव में, आप जैसे लोगों के बल पर ही इस दुनिया में ईमानदारी शेष हैं।
मैंने अटैची देख ली हैं। सभी चीजें यथावत हैं। मैं आप जैसे ईमानदार व्यक्ति का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। आपकी ईमानदारी ने मेरे बुझे मन में एक नवीन उत्साह का संचार किया हैं। आपका आभार व्यक्त करने के लिए मुझे शब्द नहीं मिल पा रहे हैं। हृदय से मैं आपकी मंगल कामना करता हूँ।
धन्यवाद।
भवदीय
के.के.वर्मा
(3) धन की आवश्यकता होने पर जरूरत के समय धन उधार देने वाले मित्र को धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
252, किशनगंज,
दिल्ली।
दिनांक 21 मई, 20XX
प्रिय मित्र सुशील,
नमस्कार!
कल आपने मुझे तीन हजार रुपये उधार देकर मुझ पर बड़ा उपकार किया हैं। आप जानते ही हैं कि इन दिनों मैं किन विषम परिस्थितियों से गुजर रहा हूँ। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं। पत्नी का स्वास्थ्य भी खराब हैं। वह कई दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। उसके इलाज के लिए मुझे पाँच हजार रुपयों की आवश्यकता थी।
दो हजार रुपयों का इन्तजाम तो मैं कर चुका था, किन्तु मुझे तीन हजार रुपयों की आवश्यकता और थी। मैंने रुपयों के लिए अपने सगे-सम्बन्धियों से बात की, किन्तु सभी ने मना कर दिया। मैं परेशान हो गया था। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। ऐसे मुश्किल समय में आपने मुझे रुपये देकर मुझ पर बड़ा अहसान किया हैं।
मैं जल्दी ही आपके रुपये लौटा दूँगा। आपके द्वारा जरूरत के समय मुझे दिए गए ऋण के लिए मैं पुनः दिल से आपको धन्यवाद देता हूँ।
आपका मित्र,
विवेक अवस्थी
(4) आपके पिता ने आपके जन्म-दिन के अवसर पर आपको 3000 रुपए का उपहार भेजा है। उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए उनको पत्र लिखिए जिसमें उनको बतलाइए कि आप रुपए को कैसे खर्च करना चाहते हैं।
कलमबाग रोड,
मुजफ्फरपुर,
17 जनवरी, 1998
पूज्यवर पिताजी,
मेरे जन्म-दिन के अवसर पर मुझे उपहार में 3000 रुपए भेजने के लिए आपको धन्यवाद। आपका अच्छा उपहार पाकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई।
आप जानना चाहेंगे कि मैं आपके द्वारा भेजे गए रुपए को कैसे खर्च करना चाहता हूँ। आप जानते है कि मुझे फोटोग्राफी में रूचि है। गत वर्ष मैंने आपसे एक कैमरा के लिए अनुरोध किया था, लेकिन आपने मेरे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। अब मैं कैमरा खरीद सकूँगा। मुझे कुछ दिनों से कैमरा की बहुत चाह रही है। मैं जब फोटो खींचना चाहता था, तब मुझे अपने मित्र का कैमरा माँगना पड़ता था। मैं बहुत दिनों से कैमरा रखना चाहता हूँ, लेकिन मैं उसे खरीद नहीं सकता था।
अच्छे कैमरे की कीमत बहुत होती है। मैं 3000 रुपए में एक साधारण कैमरा खरीद सकूँगा। मैं सोचता हूँ कि सस्ते कैमरे से भी मेरा काम चल जाएगा।
क्या आप मेरे विचार को पसंद करते है ? मेरा विश्र्वास है कि आप मुझे अपना उपहार मेरी इच्छा के अनुसार खर्च करने देंगे। यदि मेरे पास एक कैमरा रहे तो मैं फोटोग्राफी की कला सीख सकता हूँ। आप मुझसे सहमत होंगे कि फोटोग्राफी एक आनंददायक शौक है।
आपके प्रति अत्यंत आदर और माताजी के प्रति प्रेम के साथ,
आपका प्रिय पुत्र,
संजय
पता- श्री अरुण कुमार सिंह,
चर्च रोड,
राँची
(5) जन्म दिन पर मामा जी द्वारा भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
राजीव नगर,
भलस्वा गाँव,
दिल्ली।
दिनांक 21 जुलाई, 20XX
आदरणीय मामा जी,
सादर चरण-स्पर्श।
आज सुबह आपके द्वारा भेजी गई सुन्दर-सी घड़ी पाकर मुझे अत्यन्त ख़ुशी हुई। आपने सदैव मुझे समय का सदुपयोग करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी हैं। मामा जी, यह उपकार मेरे वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए ही सुखकर हैं, क्योंकि जो निश्चित समय-तालिका बनाकर उस पर दृढ़ता से चलते हैं, वे ही जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं हर कार्य समय पर करूँगा।
घड़ी इतनी आकर्षक और सुन्दर हैं कि घर में सब ने इसकी सराहना की हैं। हालाँकि जन्म-दिन पर आपकी अनुपस्थिति मुझे बहुत खल रही थी, परन्तु अब घड़ी के साथ मिला आपका पत्र पढ़कर मैं आपकी परेशानी से अवगत हो गया हूँ।
अब आपका स्वास्थ्य कैसा हैं, माताजी को आपके स्वास्थ्य की बहुत चिन्ता हैं। ईश्वर आपको शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करे। इतने सुन्दर और आकर्षक उपहार के लिए एक बार पुनः मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूँ।
आपका भांजा,
जितेन्द्र
(6) आपको जन्मदिन पर अपनी माताजी की ओर से मिले उपहार की उपयोगिता बताते हुए तथा धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
रामानुजम छात्रावास,
वाराणसी।
दिनांक 8 जून, 20XX
पूज्य माताजी,
सादर प्रणाम।
मैं यहाँ कुशलता से हूँ तथा आशा करती हूँ कि आप भी सभी सकुशल होंगे। आपके द्वारा भेजा गया अनमोल उपहार ‘हिन्दी शब्दकोश’ मुझे प्राप्त हुआ। मेरे जन्मदिन का यह सर्वश्रेष्ठ उपहार हैं। यह मेरे लिए अत्यन्त उपयोगी हैं। मुझे इसकी अत्यन्त आवश्यकता थी। अब मैं किसी भी शब्द का अर्थ आसानी से व शीघ्रातिशीघ्र जान सकती हूँ तथा इससे मेरी हिन्दी भाषा में भी सुधार होगा। इसके द्वारा मुझे मेरे हिन्दी के पाठ के भावार्थ लिखने में मदद मिलेगी।
मेरी पढ़ाई ठीक चल रही हैं। पिताजी को मेरा प्रणाम कहिएगा।
आपकी पुत्री,
श्वेता
(2) प्रार्थना पत्र/आवेदन पत्र (औपचारिक पत्र)
किसी अधिकारी को लिखा जाने वाला पत्र ‘आवेदन-पत्र’ कहलाता हैं। आवेदन-पत्र में अपनी स्थिति से अधिकारी को अवगत कराते हुए अपेक्षित सहायता अथवा अनुकूल कार्यवाही हेतु प्रार्थना की जाती हैं। आवेदन-पत्र पूरी तरह से औपचारिक होता हैं, अतः इसे लिखते समय कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे- आवेदन-पत्र लिखते समय सबसे पहले ध्यान देने वाली जो बात हैं, वह यह हैं कि इसमें विनम्रता एवं अधिकारी के सम्मान का निर्वाह आवश्यक होता हैं। इसके अतिरिक्त इसकी शब्द-योजना एवं वाक्य-रचना सरल तथा बोधगम्य होनी चाहिए।
चूँकि एक अधिकारी के पास इतना समय नहीं होता कि वह आपके आवेदन-पत्र के सभी विवरण को पढ़ सके, अतः आपको पत्र के द्वारा जो कुछ कहना हो, उसे संक्षेप में कहें। साथ ही जो बात आप कह रहे हैं, वह विश्वसनीय और प्रमाण पुष्ट भी होनी चाहिए।
आवेदन-पत्र के मुख्य भाग
आवेदन-पत्र को व्यवस्थित रूप से लिखने के लिए इसे निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया हैं-
(1) प्रेषक का पता- आवेदन पत्र लिखते समय सबसे ऊपर बायीं ओर पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता हैं।
(2) तिथि/दिनांक- प्रेषक के पते ठीक नीचे बायीं ओर जिस दिन पत्र लिखा जा रहा हैं उस दिन की दिनांक लिखी जाती हैं।
(3) पत्र प्राप्त करने वाले का पता- दिनांक अंकित करने के पश्चात् ‘सेवा में’ लिखकर जिसे पत्र भेजा जा रहा हैं उस अधिकारी का पद, कार्यालय का नाम, विभाग तथा स्थान लिखा जाता हैं।
(4) विषय- पता लिखने के पश्चात् विषय लिखकर इसके अन्तर्गत पत्र के मूल विषय को संक्षिप्त में लिखा जाता हैं।
(5) सम्बोधन- विषय के बाद में महोदय, आदरणीय, मान्यवर, माननीय आदि सम्बोधन का प्रयोग किया जाता हैं।
(6) विषय-वस्तु- सम्बोधन के बाद ‘सविनय निवेदन यह हैं कि…… अथवा ‘सादर निवेदन हैं कि …..’ जैसे वाक्य से पत्र प्रारम्भ किया जाता। पत्र के इस मूल भाग में यदि कई बातों का उल्लेख किया जाता हैं, तो उसे अलग-अलग अनुच्छेद में लिखना चाहिए। मूल भाग अथवा विषय वस्तु का अन्त आभार सूचक वाक्य से किया जाता हैं; जैसे- ‘मैं सदा आपका आभारी रहूँगा’ आदि।
(7) अभिवादन के साथ समाप्ति- पत्र के मूल-विषय को लिखने के पश्चात् धन्यवाद लिखकर पत्र को समाप्त किया जाता हैं।
(8) अभिनिवेदन- आवेदन-पत्र के अन्त में बायीं ओर भवदीय, प्रार्थी, आपका आज्ञाकारी जैसे शिष्टतासूचक शब्द लिखकर तथा अपना नाम आदि लिखकर पत्र की समाप्ति की जाती हैं।
आवेदन-पत्र के प्रकार
आवेदन-पत्रों में किसी विषय अथवा समस्या को लेकर प्रार्थना की गई होती हैं। यह प्रार्थना; अवकाश प्राप्त करने से लेकर, मोहल्ले आदि की सफाई को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी, क्षेत्र डाक-व्यवस्था सुधारने के लिए डाकपाल तक से की जा सकती हैं। अतः प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसमें किसी भी प्रकार की असत्य बातों का उल्लेख न हों। आवेदन-पत्र कई प्रकार के हो सकते हैं, किन्तु जो पत्र-व्यवहार में लाए जाते हैं, वे मुख्यतः चार प्रकार के हैं-
(1) विद्यार्थियों के प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र-
सामान्यतः स्कूल एवं कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा अपने अधिकारियों को लिखे जाने वाले पत्र इसी श्रेणी में आते हैं। छात्र-छात्राएँ अपने महाविद्यालय के प्राचार्य, विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियन्त्रक, शिक्षा सचिव, शिक्षा मन्त्री को पत्र के माध्यम से अपनी सामूहिक समस्याओं से अवगत कराते हैं।
इसी प्रकार छात्र-छात्राएँ विषय-परिवर्तन, समय-सारणी में परिवर्तन, चरित्र प्रमाण-पत्र, पहचान प्रमाण-पत्र प्राप्त करने, किसी प्रकार के दण्ड से मुक्ति के लिए, विकलांग होने पर लिपिक की व्यवस्था के लिए, मूल प्रमाण- पत्र खो जाने पर नए अथवा डुप्लीकेट प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को आवेदन-पत्र लिखते हैं।
(2) कर्मचारियों के आवेदन-पत्र-
आवेदन-पत्र से तात्पर्य ऐसे आवेदन-पत्रों से हैं जिन्हें एक कर्मचारी अपने अवकाश की स्वीकृति के लिए, स्थानान्तरण के लिए, किसी राशि का भुगतान करने के लिए, क्षमा-याचना के लिए, वेतन-वृद्धि के लिए, अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए अथवा आवास सुविधा के लिए सम्बन्धित अधिकारी को लिखता हैं।
(3) नौकरी के लिए आवेदन-पत्र-
नौकरी सम्बन्धी आवेदन-पत्र किसी विज्ञापन के सन्दर्भ में या ऐसे संस्थान अथवा कार्यालय जिनका आवेदन-प्रारूप पूर्व निर्धारित नहीं होता, उनमें आवेदन के लिए लिखे जाते हैं। इस लैटर अथवा पत्र में यह बताते हुए, कि मुझे ज्ञात हुआ हैं कि आपके संस्थान में …… का पद रिक्त हैं, अथवा आपके द्वारा दिए हुए विज्ञापन के सन्दर्भ में मैं …..के पद हेतु आवेदन कर रहा हूँ। मेरी शैक्षिक योग्यता एवं कार्यानुभवों का विवरण इस पत्र के साथ संलग्न मेरे जीवन-वृत्त में उल्लिखित हैं।
(4) जन-साधारण के आवेदन-पत्र-
जन-साधारण को सामन्य जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इन समस्याओं का सम्बन्ध पृथक्-पृथक् विभागों या कार्यालयों से हो सकता हैं। ऐसी समस्याओं के निवारण अथवा निराकरण के लिए सम्बन्धित अधिकारी को आवेदन-पत्र के माध्यम से प्रार्थना की जाती हैं। ऐसे पत्रों का सम्बन्ध व्यक्तिगत समस्या से भी हो सकता हैं एवं सार्वजनिक समस्या से भी। अतः हम कह सकते हैं कि ऐसे आवेदन-पत्रों की विषय-सीमा व्यापक होती हैं। बिजली, फोन, पानी, डाक-तार, स्वास्थ्य, बीमा आदि अनेक विषय ऐसे पत्रों का आधार हो सकते हैं।
विद्यार्थियों के प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र
विद्यार्थियों के प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र मुख्य रूप से अवकाश प्राप्त करने से लेकर, समय-सारणी में परिवर्तन, विषय-परिवर्तन, चरित्र प्रमाण-पत्र, दण्ड से मुक्ति आदि के लिए लिखे जाते हैं। प्रार्थना-पत्र लिखते समय विद्यार्थी को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसमें किसी प्रकार की असत्य बातों का उल्लेख न हो। यदि ऐसा हो जाता हैं, तो सम्बन्धित अधिकारी का आप पर से विश्वास तो उठता ही हैं, भविष्य में आप को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता हैं।
प्रार्थना-पत्र का प्रारूप
अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें बीमारी के कारण अवकाश लेने के लिए प्रार्थना की गई हो।
243, प्रताप नगर, ………………………….(पत्र भेजने वाले का पता)
दिल्ली।
दिनांक 25 मई, 20XX………………………….(दिनांक)
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
सर्वोदय विद्यालय,
सी.सी.कालोनी,
दिल्ली।………………………………… (पत्र प्राप्त करने वाले का पता)
विषय बीमारी के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र।……………… (विषय)
महोदय,…………………………. (सम्बोधन)
सविनय निवेदन यह हैं कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं ‘ब’ का छात्र हूँ। मुझे कल रात से बहुत तेज ज्वर हैं। डॉक्टर ने मुझे दो दिन आराम करने की सलाह दी हैं। इस कारण मैं आज विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया, मुझे दो दिन (25 मई से 26 मई 20XX) का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।……………(विषय वस्तु)
धन्यवाद। ………………………….(अभिवादन की समाप्ति)
आपका आज्ञाकारी शिष्य
नरेश कुमार
कक्षा-दसवीं ‘ब’
अनुक्रमांक-15…………………………. (अभिनिवेदन)
(1) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को विषय परिवर्तन के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
457, शालीमार बाग,
दिल्ली।
दिनांक 8 जून, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
राजकीय इण्टर कॉलिज,
मोदीनगर,
गाजियाबाद।
विषय- विषय परिवर्तन हेतु।
महोदय,
सादर निवेदन यह हैं कि मैं आपके विद्यालय की ग्यारहवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैंने इसी विद्यालय से दसवीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की हैं। परीक्षा पास करने के बाद मैं असमंजसता की स्थिति में यह निर्णय नहीं कर पाया था कि मेरे लिए कला, विज्ञान अथवा गणित वर्ग में से कौन-सा वर्ग ठीक रहेगा। मैंने अपने साथियों के आग्रह और अनुकरण से कला वर्ग चुन लिया हैं।
लेकिन पिछले सप्ताह से मुझे यह अनुभव हो रहा हैं कि मैंने अपनी योग्यता के अनुकूल विषय का चयन नहीं किया हैं। मुझे गणित विषय में 98 अंक प्राप्त हुए हैं। अतः गणित वर्ग विषय होना मेरी प्रतिभा के विकास के लिए अधिक उपयुक्त रहेगा।
आशा हैं आप मेरी कला संकाय से गणित संकाय में स्थानान्तरण की प्रार्थना स्वीकार करेंगे। मैं इसके लिए सदा आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
उमाशंकर
कक्षा- ग्यारहवीं ‘अ’
अनुक्रमांक-26
(2) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति प्राप्त कराने का आग्रह करते हुए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
424, शालीमार बाग,
दिल्ली।
दिनांक 18 जुलाई, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
आदर्श माध्यमिक विद्यालय,
सिद्धार्थ नगर,
आगरा।
विषय- छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह हैं कि मैं दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं सदा विद्यालय में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होता हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं लगातार प्रथम आ रहा हूँ। इसके अतिरिक्त मैं भाषण-प्रतियोगिताओं, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में कई बार विद्यालय के लिए जोनल एवं राष्ट्रीय स्तर पर इनाम जीत कर लाया हूँ। खेल-कूद में भी मेरी गहन रुचि हैं। मैं स्कूल की क्रिकेट टीम का कप्तान भी हूँ। सभी अध्यापक मेरी प्रशंसा करते हैं।
मुझे अत्यन्त दुःख के साथ आपको बताना पड़ रहा हैं कि मेरे पिताजी को एक असाध्य रोग ने आ घेरा हैं जिसके कारण घर की आर्थिक दशा डगमगा गई हैं। पिताजी स्कूल से मेरा नाम कटवाना चाहते हैं। वे मेरा मासिक-शुल्क देने में असमर्थ हैं। मैंने अपनी पाठ्य-पुस्तकें तो जैसे-तैसे खरीद ली हैं, लेकिन शेष व्यय के लिए आपसे नम्र निवेदन हैं कि मुझे तीन सौ रुपये मासिक की छात्रवृत्ति देने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से चला सकूँ। यह छात्रवृत्ति आपकी मेरे प्रति विशेष कृपा होगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं खूब मेहनत से पढ़ूँगा और इस स्कूल का नाम रोशन करूँगा।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
विशाल
कक्षा-दसवीं
अनुक्रमांक-15
(3) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए प्रार्थना की गई हो।
642, मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 21 जुलाई, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
रा.उ.मा. बाल विद्यालय,
गणेशपुर,
रुड़की।
विषय- कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन हैं कि हम दसवीं कक्षा के छात्र यह अनुभव करते हैं कि आज के कम्प्यूटर युग में प्रत्येक व्यक्ति को कम्प्यूटर की जानकारी होनी चाहिए। हम देख भी रहे हैं कि दिनोंदिन कम्प्यूटर शिक्षा की माँग बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए भी कम्प्यूटर का ज्ञान होना अपरिहार्य हैं।
अतः आपसे प्रार्थना हैं कि कृपा करके हमारे विद्यालय में कम्प्यूटर शिक्षा आरम्भ करें। हम आपके प्रति कृतज्ञ होंगे। आशा हैं, आप हमारे अनुरोध को स्वीकार करेंगे।
धन्यवाद।
प्रार्थी
क.ख.ग.
कक्षा- दसवीं ‘अ’
(4) अपने विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण-पत्र लेने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
424, कीर्ति नगर
दिल्ली।
दिनांक 26 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
रामजस कॉलेज,
दिल्ली विश्वविद्यालय,
नई दिल्ली।
विषय- चरित्र प्रमाण-पत्र लेने हेतु आवेदन-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन हैं कि मैंने आपके विश्वविद्यालय से वर्ष 20XX में बी.ए.हिन्दी (ऑनर्स) की परीक्षा उत्तीर्ण की हैं। अब मैं महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक, हरियाणा से बी.एड. करने जा रहा हूँ। चूँकि मेरी काउन्सलिंग हो गई हैं, मुझे मेरे पसन्दीदा कॉलेज में प्रवेश के लिए पंजीकरण पर्ची भी दे दी गई हैं। मैंने सम्बन्धित कॉलेज से सम्पर्क किया, तो पता चला कि मुझे यहाँ स्नातक तक के प्रमाण-पत्रों सहित चरित्र-प्रमाण-पत्र भी जमा कराना होगा।
अतः आप से निवेदन हैं कि आप मुझे जल्द से जल्द मेरा चरित्र प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें, ताकि मैं समय रहते बी.एड में प्रवेश ले सकूँ।
धन्यवाद।
भवदीय
हस्ताक्षर……
भवेश कुमार
उत्तर के रूप में प्राप्त चरित्र प्रमाण-पत्र
……………………दिनांक 28 अप्रैल, 20XX
रामजस कॉलेज
दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रमाणित किया जाता हैं कि श्री सुनील कुमार सुपुत्र श्री विवेकानन्द, जो कि वर्ष 20XX से इस विश्वविद्यालय में बी.ए.हिन्दी (ऑनर्स) में अध्ययनरत् हैं, का अपने अध्यापकों, सहपाठियों एवं अन्य के प्रति व्यवहार अच्छा रहा हैं। उनके चरित्र में किसी प्रकार का दोष नहीं हैं।
हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।
हस्ताक्षर……
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(प्रधानाचार्य)
(5) शिष्य द्वारा अपने पुराने अध्यापक को अपनी पदोन्नति के विषय में व उनका कुशल मंगल पूछने के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।
129 वजीरपुर,
नई दिल्ली।
दिनांक 5 जुलाई, 20XX
आदरणीय गुरु जी,
सादर प्रणाम।
आपको पत्र लिखकर मैं स्वयं को धन्य मान रहा हूँ। लम्बे समय बाद मैंने आपको पत्र लिखा हैं। इस पत्र के माध्यम से मैं आपको कुछ अच्छी खबर देना चाहता हूँ और आपका आशीर्वाद भी प्राप्त करना चाहता हूँ।
आपको यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता होगी कि मेरी पदोन्नति सेल्स मैनेजर (बिक्री प्रबन्धक) के पद पर हो गई हैं। मैंने अपने जीवन में जो कुछ हासिल किया हैं, उसमें आपका महत्त्वपूर्ण योगदान हैं। विद्यार्थी जीवन में आपके द्वारा प्रदान की गई शिक्षा आज मेरे जीवन में अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हो रही हैं। शीघ्र ही किसी विशेष अवसर पर मैं आपसे मिलने व आपका आशीर्वाद पाने के लिए आऊँगा।
आशा हैं आप सकुशल होंगे। क्या आपने अपने मोतियाबिंद का इलाज करवा लिया हैं? अगर मैं आपके लिए कुछ करने योग्य हूँ, तो आप मुझे अवश्य बताएँ।
आदर सहित,
आपका शिष्य,
दिनेश
कर्मचारियों के आवेदन-पत्र
इसके अन्तर्गत निम्न पत्रों को सम्मिलित किया गया हैं-
(1) अनुभव प्रमाण-पत्र प्राप्त करने सम्बन्धी आवेदन-पत्र
(2) स्थानान्तरण सम्बन्धी आवेदन-पत्र
(3) त्याग पत्र सम्बन्धी आवेदन-पत्र
(4) कर्मचारी सम्बन्धी अन्य पत्र (अवकाश लेने के सम्बन्ध में, पदोन्नति के सम्बन्ध में, सम्पादक के पद हेतु, संवाददाता के पद हेतु, सेल्समैन के पद हेतु।)
(1) अनुभव प्रमाण-पत्र प्राप्त करने सम्बन्धी आवेदन-पत्र
जब आप एक कम्पनी अथवा संस्था को छोड़कर किसी दूसरी कम्पनी में नौकरी के लिए आवेदन करते हैं, तब यह नई कम्पनी आपसे पूर्व अनुभवों के प्रमाण-पत्र की माँग करती हैं। यह अनुभव प्रमाण-पत्र आपको वह कम्पनी अथवा संस्था देती हैं, जहाँ आपने पूर्व में अपनी सेवाएँ दी हैं। अनुभव प्रमाण-पत्र को प्राप्त करने के लिए कम्पनी/संस्था के किसी मुख्य कार्यकर्ता या मैनेजर को पत्र लिखा जाता हैं।
(1) आप अपने कार्यालय में प्रूफ रीडर के पद पर कार्यरत हैं, वहाँ से अनुभव प्रमाण-पत्र लेने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
452, सुभाष नगर,
मेरठ।
दिनांक 8 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
श्रीमान व्यवस्थापक महोदय,
दैनिक जागरण,
मोहकमपुर,
मेरठ।
विषय- अनुभव प्रमाण-पत्र लेने हेतु आवेदन-पत्र।
महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित संस्थान में प्रूफ रीडर के पद पर मार्च 20XX से कार्यरत हूँ। मैंने गत दिनों साहित्य अकादमी, दिल्ली में प्रूफ रीडर के पद हेतु आवेदन किया था। कल मेरे पास वहाँ से ‘निमन्त्रण-पत्र’ (कॉल लैटर) आया हैं। पत्र में मुझसे मेरी शैक्षिक योग्यताओं के प्रमाण-पत्रों की मूल प्रति एवं पिछले कार्यों का अनुभव प्रमाण-पत्र लेकर 15 अप्रैल, 20XX को साहित्य अकादमी के दफ्तर में रिपोर्ट करने को कहा गया हैं।
मैंने अपनी शैक्षिक योग्यताओं की मूल प्रति तो सँभाल कर रख ली, किन्तु मेरे पास अनुभव प्रमाण-पत्र नहीं हैं। अतः आपसे निवेदन हैं कि आप मुझे 15 अप्रैल, 20XX से पहले मेरा अनुभव प्रमाण-पत्र देकर मुझे अनुगृहीत करें।
धन्यवाद।
भवदीय
हस्ताक्षर ……
अरुण कुमार
कार्ड नं. 1244
प्रूफ रीडर के पद पर कार्यरत अरुण कुमार को अनुभव प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कीजिए।
अनुभव प्रमाण-पत्र का नमूना
…………….. दिनांक 12 अप्रैल, 20XX
दैनिक जागरण
राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार-पत्र
प्रमाणित किया जाता हैं कि श्री अरुण कुमार पुत्र श्री हरिलाल, पता-एच 503, जहाँगीरपुरी, दिल्ली, इस संस्था में मार्च, 20XX से प्रूफ रीडर के पद पर कार्यरत हैं।
श्री अरुण कुमार एक परिश्रमी एवं आत्मविश्वासी युवक हैं। कार्यकाल के दौरान उनका कार्य सन्तोषजनक रहा हैं।
हम उनके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं।
हस्ताक्षर ……
व्यवस्थापक
(2) स्थानान्तरण सम्बन्धी आवेदन-पत्र
अत्यधिक परिश्रम एवं कोशिशों के बाद नौकरी मिल तो जाती हैं, किन्तु संस्थान यदि मन-मुताबिक दूरी से ज्यादा दूर हैं, आने-जाने में परेशानी होती हैं, या फिर परिवार से दूर रहकर नौकरी करनी पड़ रही हैं, तब इस नौकरी से स्थानान्तरण की बाबत सोचा जाता हैं। नौकरी से ट्रान्सफर (स्थानान्तर) लेने के लिए जो पत्र लिखा जाता हैं, वही स्थानान्तरण सम्बन्धी आवेदन-पत्र कहलाता हैं।
(1) शारीरिक रूप से स्वस्थ न होने की स्थिति से अवगत कराते हुए शिक्षा निर्देशक को स्थानान्तरण कराने हेतु पत्र लिखिए।
ए-210, प्रीतमपुरा,
कुण्डली,
सोनीपत।
दिनांक 26 मई, 20XX
सेवा में,
श्रीमान निदेशक,
शिक्षा निदेशालय,
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र,
दिल्ली सरकार
नई दिल्ली।
विषय- स्थानान्तरण सम्बन्धी आवेदन-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन यह हैं कि मैं रा.उ.मा. बालिका विद्यालय, करोलबाग, दिल्ली में टी.जी.टी. अंग्रेजी के पद पर कार्यरत हूँ। मैं सोनीपत, हरियाणा में रहती हूँ एवं एक पैर से विकलांग हूँ। अपने घर से करोलबाग स्थित स्कूल पहुँचने में मेरा काफी समय नष्ट हो जाता हैं। कई बार स्कूल पहुँचने में देरी भी हो जाती हैं। यह देरी कभी ट्रेन के समय पर न आने के कारण होती हैं, तो कभी भीड़ के कारण ट्रेन छूट जाने से।
अतः मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि मेरा स्थानान्तरणसोनीपत के पास नरेला, दिल्ली के किसी स्कूल में कर दिया जाए। मैंने वहाँ के एक स्कूल में पता किया हैं, टी.जी.टी. अंग्रेजी का पद रिक्त भी हैं। चूँकि नरेला मेरे घर से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं, अतः स्कूल पहुँचने में मुझे आसानी होगी।
आशा करती हूँ कि आप मेरी मजबूरियों को ध्यान में रखकर मेरा स्थानान्तरण कर मुझे अनुगृहीत करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीया
हस्ताक्षर ……
रीना कुमारी
(टी.जी.टी. अंग्रेजी)
(3) त्याग पत्र सम्बन्धी आवेदन-पत्र
प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जहाँ एक नौकरी मिल पाना मुश्किल हैं, वहीं बहुत-से लोग एक नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी के लिए कोशिश करते रहते हैं। जब यह दूसरी नौकरी मिल जाती हैं, तब इसे ग्रहण करने से पूर्व एक व्यक्ति को अपनी पहली कम्पनी अथवा संस्थान में एक त्याग-पत्र, जिसे अंग्रेजी में ‘रेजिगनेशन लैटर’ कहा जाता हैं, देना पड़ता हैं। इस पत्र में सम्बन्धित व्यक्ति द्वारा उन बातों का उल्लेख किया जाता हैं, जिस कारण से वह नौकरी छोड़ रहा होता हैं।
त्याग-पत्र सम्बन्धी आवेदन पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(1) महाविद्यालय में स्थायी चयन हो जाने के कारण अपने संस्थान को इस स्थिति से अवगत कराते हुए सेवा-परित्याग पत्र लिखिए।
464, सोनीपत,
हरियाणा।
दिनांक 15 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
भगवान महावीर कॉलेज ऑफ एजुकेशन,
सोनीपत,
हरियाणा।
विषय- सेवा-परित्याग सम्बन्धी पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन यह हैं कि मैं आपके संस्थान में ‘तकनीकी शिक्षा’ के मेहमान प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हूँ। किन्तु अब मेरा चयन ‘रामजस कॉलेज ऑफ एजुकेशन’, सोनीपत में स्थायी रूप से हो गया हैं। अतः अब मैं आपके कॉलेज में अपनी सेवाएँ देने में असमर्थ हूँ।
मैं अब अपने पद से इस्तीफा देते हुए, आपको अपना त्याग-पत्र सौंप रहा हूँ। कृपया मुझे शीघ्रातिशीघ्र कार्य-भार से मुक्त करने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी नई नौकरी का कार्यभार सँभाल सकूँ।
आपके सहयोग के लिए धन्यवाद।
भवदीय
हस्ताक्षर ……
रामकुमार गुप्ता,
(4) कर्मचारी सम्बन्धी अन्य पत्र
(1) अपनी कम्पनी के प्रबन्ध निदेशक को पत्र लिखिए, जिसमें आपने अपनी पदोन्नति के लिए प्रार्थना की हैं।
145, मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 12 मार्च, 20XX
सेवा में,
प्रबन्ध निदेशक,
अरिहन्त पब्लिकेशन्स (इण्डिया) लिमिटेड,
दरियागंज,
दिल्ली।
विषय- पदोन्नति के सम्बन्ध में।
महोदय,
सादर निवेदन यह हैं कि मैं आपकी प्रतिष्ठित कम्पनी में एक वर्ष से कार्यरत् हूँ। इस एक वर्ष के कार्य के दौरान मेरे द्वारा किए गए कार्य में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आई। मैं सभी प्रोजेक्ट में समय की मांग के अनुरूप अतिरिक्त समय भी देती हूँ तथा नियमानुसार व प्रतिबद्धता के साथ समय पर कार्य पूर्ण करती हूँ। कम्पनी को मेरे व्यवहार से कभी कोई शिकायत नहीं हुई। मैं अपने कार्य के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हूँ तथा आगे भी इसी समर्पण के साथ कम्पनी के सभी नियमों का पालन करूँगी एवं अपने कार्य को और अधिक निष्ठापूर्वक करने का प्रयास करूँगी।
अतः आपसे प्रार्थना हैं कि मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए मुझे उचित पदोन्नति प्रदान की जाए जिससे मैं अपना कार्य और अधिक लगन व निष्ठा के साथ कर सकूँ।
धन्यवाद।
भवदीया
ऋतिका
नौकरी प्राप्त करने सम्बन्धी आवेदन-पत्र
आज प्रत्येक व्यक्ति एक प्रतिष्ठित नौकरी चाहता हैं। नौकरी प्राप्त करने के लिए उसे कई परीक्षाओं व साक्षात्कार का सामना करना पड़ता हैं। विभिन्न अख़बारों, इन्टरनेट आदि पर दी जाने वाली सूचनाओं अथवा विज्ञापन के माध्यम से नौकरी प्राप्त करने के लिए उस कार्यालय अथवा विभाग के नाम व्यक्ति आवेदन-पत्र भेजता हैं, जिसके अन्तर्गत सम्बन्धित व्यक्ति के जीवन का ब्यौरा; जैसे- नाम, पता, जन्म-तिथि, प्राप्त की गई शिक्षा का विवरण अर्थात् शैक्षिक योग्यता, कार्यानुभव आदि तमाम जानकारियों को आवेदन-पत्र में वर्णित किया जाता हैं।
साथ ही अपने समस्त प्रमाण-पत्र व कार्यानुभव आदि की एक प्रति आवेदन-पत्र के साथ संलनित की जाती हैं। विभिन्न सरकारी नौकरियों; जैसे- कर्मचारी चयन आयोग, दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड आदि में आवेदन-पत्र का प्रारूप पूर्व-निर्धारित होता हैं; जिसमें व्यक्ति को आवेदन-पत्र में पूछी गई सभी जानकारियों को भरना होता हैं।
नौकरी प्राप्त करने के दौरान लिखे जाने वाले आवेदन-पत्र के कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
(1) दैनिक हिन्दुस्तान में संवाददाता के पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
53, निरंकारी कालोनी,
दिल्ली।
दिनांक 21 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
श्रीमान सम्पादक,
दैनिक हिन्दुस्तान,
के.जी. मार्ग,
नई दिल्ली।
विषय- संवाददाता के पद हेतु आवेदन-पत्र।
महोदय,
दिनांक 20 अप्रैल, 20XX को प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान के अंक में आपके द्वारा संवाददाता के पद हेतु विज्ञापन दिया गया था। मैं इस पद के लिए आवेदन कर रहा हूँ। मेरी शैक्षणिक योग्यताओं तथा कार्यानुभवों का विवरण इस प्रकार हैं-
शैक्षणिक योग्यताएँ-
(1) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से वर्ष 20XX में हिन्दी साहित्य में स्नातक की उपाधि।
(2) जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली से वर्ष 20XX में पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा।
अन्य विवरण-
अपने विद्यार्थी जीवन में मैंने सांस्कृतिक-साहित्यिक गतिविधियों व खेल-कूद में सक्रिय भाग लिया हैं। मैंने संस्कृति, कला व सामाजिक विषयों पर अनेक लेख भी लिखे हैं। विभिन्न समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं में मेरे ये लेख छपे हैं, जिनमें से कुछ की फोटो प्रतियाँ आवेदन-पत्र के साथ संलग्न हैं।
मैं आपके प्रतिष्ठित व लोकप्रिय समाचार-पत्र में कार्य करना चाहता हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास हैं कि अवसर मिलने पर मैं परिश्रम, लगन और निष्ठा के साथ कार्य करते हुए समाचार-पत्र को और जनोपयोगी बनाने में योगदान दे सकूँगा।
धन्यवाद।
भवदीय
हस्ताक्षर……
मणिशंकर ओझा
(2) शहनाज हर्बल कॉस्मैटिक्स प्रा. लि., में सेल्समैन के पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
205, सुभाष बाजार,
कोलकाता।
दिनांक 31 जून,
सेवा में,
श्रीमान प्रबन्धक,
शहनाज हर्बल कॉस्मैटिक्स प्रा. लि.,
वॉल स्ट्रीट,
कोलकाता।
विषय- सेल्समैन के पद के लिए आवेदन-पत्र।
महोदय,
मुझे दिनांक 30 जून, 20XX के अंग्रेजी दैनिक ‘टाइम्स ऑफ इण्डिया’ में प्रकाशित विज्ञापन द्वारा ज्ञात हुआ कि आपकी फर्म में सेल्समैन के कई पद रिक्त हैं। मैं इस पद के लिए आवेदन करना चाहता हूँ। मेरी शैक्षिक योग्यताओं एवं कार्यानुभवों का विवरण इस प्रकार हैं-
(1) बी.एस-सी (बायोलॉजी)।
(2) सेल्स एवं मार्केटिंग में एक वर्षीय डिप्लोमा।
(3) ‘केयर योरसेल्फ’ फर्म में कॉस्मैटिक उत्पादों की बिक्री का डेढ़ वर्ष का अनुभव।
मेरे हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर मजबूत पकड़ हैं। अपने ग्राहक के साथ किस तरह पेश आना हैं, यह मैं बाखूबी जानता हूँ। मुझे विश्वास हैं कि आप मुझे सेवा का एक अवसर अवश्य देंगे।
धन्यवाद।
भवदीय
हस्ताक्षर……
मुकेश कुमार
(1) जनसाधारण सम्बन्धी आवेदन-पत्र
इसके अन्तर्गत निम्न पत्रों को सम्मिलित किया गया हैं-
(1) प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ. आई. आर.) सम्बन्धी आवेदन-पत्र
(2) सूचना का अधिकार (आर. टी. आई.) सम्बन्धी आवेदन-पत्र
(3) टेलीफोन/मोबाइल फोन कनेक्शन एवं टेलीफ़ोन सही कराने सम्बन्धी आवेदन-पत्र
(4) जनसाधारण सम्बन्धी अन्य पत्र (मोहल्ले में सफाई के लिए, पेयजल की आपूर्ति के लिए, इलाके में डाक व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए, ग्रहकर बिल ठीक करने हेतु, आयकर से पूर्ण मुक्ति हेतु, मुख्यमन्त्री से तात्कालिक सहायता हेतु आदि)
(1) प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ. आई. आर.) सम्बन्धी आवेदन-पत्र
प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ. आई. आर.) की जरूरत तब पड़ती हैं, जब मामला ‘पुलिस केस’ से सम्बन्धित हो। दीवानी एवं फौजदारी एवं अन्य आपराधिक मामलों में पुलिस स्टेशन में जो रिपोर्ट लिखवाई जाती हैं, वह एफ. आई. आर. की ही श्रेणी में आती हैं।
हालाँकि पुलिस थाने में एफ. आई. आर दर्ज करवाना आसान नहीं होता। कई बार पुलिस निर्धारित प्रारूप में एफ. आई. आर. दर्ज करने की बजाय एक अतिरिक्त कागज पर पीड़ित की समस्याएँ लिखकर अथवा लिखवाकर उसकी प्रति पर थाने की मोहर लगाकर, फरियादी को दे देती हैं।
इस तरह के अधिकांश उदाहरण मोबाइल, कैमरा, बैग अथवा पर्स चोरी के मामलों में पेश आते हैं। यदि, कुछ छोटी वारदातों को छोड़ दें, तो अधिकांश घटनाओं में पुलिस एफ. आई. आर. दर्ज कर त्वरित कार्यवाही करती हैं। क्योंकि एफ. आई. आर. दर्ज होने के बाद यह बताना पुलिस की क़ानूनी जवाबदेही बन जाती हैं कि सम्बन्धित मामले में क्या प्रगति हुई अथवा हो रही हैं।
एफ. आई. आर. दर्ज करवाने के लिए यह जानना जरूरी होता हैं कि मामला अथवा घटना किस थाना क्षेत्र के अन्तर्गत आता हैं।
एफ. आई. आर. दर्ज करवाने सम्बन्धी आवेदन-पत्रों के उदाहरण आगे दिए गए हैं-
(1) बस स्टैण्ड के पास आवारा लड़कों के व्यवहार को बताते हुए तथा उनके खिलाफ छेड़खानी के विरुद्ध एफ. आई. आर. दर्ज करवाने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
108, भवानी जंक्शन,
कोलकाता।
दिनांक 28 जून, 20XX
सेवा में,
श्रीमान थानाध्यक्ष महोदय,
भवानी जंक्शन,
कोलकाता।
विषय- छेड़खानी के विरुद्ध एफ. आई. आर. दर्ज करवाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
सविनय निवेदन यह हैं कि मैं भवानी जंक्शन में रहने वाली एक कॉंलेज छात्रा हूँ। जब भी मैं घर से कॉलेज के लिए निकलती हूँ, अक्सर बस स्टैण्ड के पास कुछ आवारा किस्म के लड़के मुझ पर कमेंट करते हैं। एक-दो बार मैंने उन्हें ऐसा न करने को कहा, किन्तु उन पर कोई असर नहीं हुआ।
मैंने इस बारे में अपने माता-पिता से बात की, तो उन्होंने इसकी लिखित शिकायत थाने में करने की सलाह दी। मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि आप उन लड़कों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाकर, मुझे हो रही मानसिक समस्या से निजात दिलाएँ।
आशा हैं, आप मेरी समस्या पर त्वरित कार्यवाही करेंगे।
धन्यवाद।
प्रार्थी
हस्ताक्षर……
निशा
(2) घर में चोरी हो जाने की एफ.आई.आर. दर्ज करवाने सम्बन्धी आवेदन-पत्र लिखिए।
42/1, शालीमार बाग,
दिल्ली।
दिनांक 17 जून, 20XX
सेवा में
श्रीमान थानाध्यक्ष महोदय,
शालीमार बाग,
दिल्ली।
विषय- घर में हुई चोरी की रिपोर्ट लिखवाने हेतु।
महोदय,
कल रात मेर घर में चोरी हो गई। चोर मेरे मकान का ताला तोड़कर घर में रखा हजारों रुपये का सामान उठा ले गए। जिस समय यह वारदात हुई, मैं अपने परिवार के साथ एक शादी-समारोह में शामिल होने गया था। देर रात को जब हम सभी घर वापस लौटे, तो देखा मकान का ताला टूटा हुआ था। हम दौड़कर घर में गए तब वहाँ देखा कि सारा सामान अस्त-व्यस्त पड़ा था। आलमारी का ताला टूटा हुआ था, आलमारी में रखी माँ की सोने की अँगूठी गायब थी। घर में रखा टेलीविजन और बाहर खड़ी मेरी साइकिल भी चोर उठा ले गए हैं।
चोरी की इस वारदात से हमें हजारों रुपयों का नुकसान हुआ है। मेरा पूरा परिवार सदमे में हैं। आपसे निवेदन है कि आप मेरी चोरी की इस रिपोर्ट को दर्ज कर जल्द से जल्द चोरों को पकड़ हमें हमारा चोरी हो गया सामान वापस दिलवाएँ।
धन्यवाद।
प्रार्थी
हस्ताक्षर ……
रमेश चौहान
(2) सूचना का अधिकार (आर.टी.आई.) सम्बन्धी आवेदन-पत्र
सूचना का अधिकार अर्थात राइट टू इन्फॉरमेशन (आर.टी.आई.) को लोकतन्त्र का पाँचवाँ स्तम्भ माना जाता है, जिसका प्रयोग आम आदमी देश को शोषण एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में कर सकता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 नागरिकों को किसी ‘लोक प्राधिकरण’ से सूचना प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। इस अधिनियम के अनुसार ऐसी सूचना जिसे संसद अथवा राज्य विधानमण्डल को देने से इनकार नहीं किया जा सकता, उसे किसी व्यक्ति को देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। भारतीय नागरिकों को सूचना सीडी, फ्लॉपी, टेप, विडियो कैसेट, इलेक्ट्रॉनिक अथवा प्रिंट किसी भी रूप में प्राप्त करने का अधिकार है। सूचना माँगने वाले आवेदक को 10 रुपया का निर्धारित शुल्क, माँग पत्र, बैंकर अथवा भारतीय पोस्टल ऑर्डर के रूप में लोक प्राधिकरण के लेखा अधिकारी के नाम भेजकर रसीद प्राप्त कर सकते हैं। केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना की प्राप्ति तीस दिनों के भीतर हो जाती है।
निर्धारित समय में सूचना उपलब्ध न होने पर आवेदक प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है।
वर्तमान समय में आम जनता ढेरों सूचनाएँ; जैसे- विभाग द्वारा आम जनता के हित में क्या काम हो रहा है, कहाँ, कितना खर्च हो रहा है, कार्य में कितनी प्रगति हुई है यह सब जानकारी प्राप्त करना आर.टी. आई. की सहायता से ही सम्भव हुआ है।
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए लिखे जाने वाले आवेदन-पत्रों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं-
(1) खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन-पत्र लिखिए।
140, प्रताप विहार,
दिल्ली।
दिनांक 12 जून, 20XX
सेवा में,
जन सूचना अधिकारी,
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग,
दिल्ली।
विषय- सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत आवेदन।
महोदय,
(1) मैंने अपने राशन कार्ड के लिए 30 दिसम्बर, 20XX को विधिवत् आवेदन किया था। कृपया मेरे आवेदन पर अब तक की गई कार्यवाही की दैनिक रिपोर्ट दें।
जैसे- आवेदन कब और किस अधिकारी के पास पहुँचा, कब तक यह उसके पास रहा, उसने क्या कदम उठाए ?
(2) मेरा राशन कार्ड कितने दिन में बन जाना चाहिए था?
(3) उन अफसर-कर्मचारियों के नाम बताएँ, जिन्हें आवेदन पर कार्यवाही करनी चाहिए थी, किन्तु उन्होंने नहीं की।
(4) अपना काम न करने और मुझे मानसिक रूप से परेशान करने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएँगे?
(5) मेरा कार्ड कब तक बन जाएगा?
(6) कृपया उन रिकॉर्ड्स की छायाप्रति दें, जिनमें इस तरह के आवेदन का ब्यौरा रखा जाता है।
(7) मेरे आवेदन के बाद आए किसी आवेदन पर मुझसे पहले यदि कार्यवाही की गई, तो उसका कारण क्या है?
(8) बारी आने से पहले यदि किसी आवेदन पर कार्यवाही की गई हो, तो क्या उसकी जाँच होगी और कब तक?
मैंने आवेदन-पत्र के साथ सूचना माँगने का निर्धारित शुल्क ‘भारतीय पोस्टल ऑर्डर’ के रूप में संलग्न कर दिया है।
धन्यवाद।
आवेदक के हस्ताक्षर……
कृष्ण चन्द्र
कार्ड की पावती संख्या-151/ग,
(3) टेलीफोन/मोबाइल फोन कनेक्शन सम्बन्धी आवेदन-पत्र
लैण्डलाइन फोन हो या मोबाइल फोन, नया कनेक्शन लेने के लिए नेटवर्क सेवा प्रदाता कम्पनी को एक आवेदन-पत्र लिखा जाता है तथा उसके साथ ही आवेदन-फार्म भी भरा जाता है। इसके अन्तर्गत कभी-कभी खराब टेलीफोन की मरम्मत हेतु प्रबन्धक को पत्र भी लिखे जाते हैं। इस सन्दर्भ में कुछ उदाहरण दिए गए हैं-
(1) टेलीफोन विभाग के प्रबन्धक को मोबाइल फोन का सिम नष्ट हो जाने पर पुनः उसी नम्बर का सिम प्रदान करने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
454, अधोईवाला,
देहरादून (उत्तराखण्ड)।
दिनांक 26 फरवरी, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रबन्धक,
वोडाफोन,
अधोईवाला,
देहरादून (उत्तराखण्ड)।
विषय- मोबाइल सिम नष्ट हो जाने पर पुनः उसी नम्बर का सिम प्रदान करने हेतु।
महोदय,
मैं कल अपने मोबाइल फोन नम्बर 9567863XXX से किसी मित्र से बात कर रहा था कि अचानक असुविधावश मोबाइल फोन मेरे हाथ से छूटा और पास ही रखी पानी की बाल्टी में जा गिरा।
मैंने तुरन्त हाथ डालकर मोबाइल फोन बाल्टी से बाहर निकाला, किन्तु तब तक वह पानी से पूरी तरह भीग चुका था। मैंने मोबाइल की बैटरी निकालकर उसे धूप में सूखने के लिए रख दिया। थोड़ी देर बाद जब मोबाइल फोन में बैटरी लगाकर उसे पुनः चालू करने की कोशिश की, तब वह नहीं चला। शायद मोबाइल खराब हो चुका था।
यह जानने के लिए की, किन्तु कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। मोबाइल में नेटवर्क सिग्नल नहीं दिखाई दे रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे पानी में गिरने के कारण सिम भी नष्ट हो गया है।
अतः आपसे निवेदन है कि आप मुझे उक्त नम्बर का सिम पुनः आवन्टित करें। ताकि मुझे इस नम्बर की वजह से किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
सधन्यवाद।
प्रार्थी
हस्ताक्षर……
जगन्नाथ
(2) अपनी मोबाइल नेटवर्क कम्पनी को नेटवर्क सम्बन्धी समस्याओं से अवगत करवाते हुए मोबाइल नम्बर पोर्टेबिलिटी के तहत मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाता कम्पनी बदलने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
254, आर.के. पुरम
नई दिल्ली।
दिनांक 26 मई, 20XX
सेवा में,
एरिया प्रबन्धक,
….. (मोबाइल कम्पनी का नाम)
नई दिल्ली।
विषय- नेटवर्क सेवा प्रदाता कम्पनी बदलने हेतु।
महोदय,
मैं…… मोबाइल नेटवर्क प्रदाता कम्पनी का पिछले दो वर्ष से ग्राहक हूँ। मैंने जब से यह कम्पनी चुनी है, तब से मुझे नेटवर्क सम्बन्धी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कभी स्पष्ट आवाज की समस्या, तो कभी बात करते-करते नेटवर्क का गायब हो जाना। सन्देश भी त्वरित गति से नहीं पहुँच पाते।
मैं इस कम्पनी को बहुत पहले ही बदल देना चाहता था, किन्तु मेरा मोबाइल नम्बर इतने ज्यादा लोगों के पास है, कि इस नम्बर को बदल पाना मेरे लिए नामुमकिन है।
किन्तु जब से मैंने मोबाइल नम्बर पोर्टेबिलिटी यानि बिना नम्बर बदले अपनी मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाता कम्पनी को बदलने की स्कीम के बारे में सुना है, तभी से मेरा मन अपनी वर्तमान मोबाइल कम्पनी को बदलने को हो रहा है। परन्तु इसे बदलकर किस कम्पनी को ग्रहण करूँ, इसी सोच में था कि मेरे दोस्तों एवं परिचितों ने आपकी कम्पनी को चुनने की सलाह दी।
मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि कृपया मुझे बताएँ कि मुझे बिना नम्बर बदले, आपकी मोबाइल कम्पनी की सेवा लेने के लिए क्या-क्या औपचारिकताएँ पूरी करनी होंगी।
आशा है, आप मुझे शीघ्र ही इस सम्बन्ध में जानकारी प्रेषित कर, मेरी समस्याओं का निदान करेंगे।
सधन्यवाद।
प्रार्थी
हस्ताक्षर……
(कृष्ण कुमार)
(4) जनसाधारण सम्बन्धी अन्य पत्र
(1) आपके मोहल्ले में सफाई की व्यवस्था न होने के कारण स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए, जिसमें सफाई का उचित प्रबन्ध करने की प्रार्थना की गई हो।
421, विवेक विहार,
गाजियाबाद।
विषय- मोहल्ले में सफाई के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
मैं आपका ध्यान विवेक विहार स्थित एच ब्लॉक की शोचनीय अवस्था की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। इस ब्लॉक में सफाई की उचित व्यवस्था न होने के कारण स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक हो गई है। लम्बे समय से यहाँ नगर का कोई भी कर्मचारी सफाई हेतु नहीं आया है। स्थान-स्थान पर कचरे के ढेर लगे हैं, जिनमें सड़न होने से चारों ओर बदबू फैल रही है। नालियाँ भी भरी पड़ी हैं। गन्दा पानी सड़कों पर भी बिखरा हुआ है। कचरे पर भिनभिनाती मक्खियाँ और मच्छर गम्भीर बीमारी को आमन्त्रण दे रहे हैं।
अतः आपसे निवेदन निवेदन है कि जल्द-से-जल्द यहाँ का निरीक्षण कर सफाई व्यवस्था का उचित प्रबन्ध करें। आशा है, आप इस ओर त्वरित कार्यवाही कर, लोगों को होने वाली परेशानी से छुटकारा दिलाएँगे।
धन्यवाद।
भवदीय
हस्ताक्षर……
(दीपक कुमार)
(2) अपने क्षेत्र में डाक-व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए अपने क्षेत्र के डाकपाल को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
141, साकेत निवासी संघ,
मेरठ।
दिनांक 16 मई, 20XX
सेवा में,
डाकपाल महोदय,
मुख्य डाकघर,
मेरठ कैन्ट,
मेरठ।
विषय- इलाके में डाक व्यवस्था दुरुस्त करने हेतु।
महोदय,
मैं आपका ध्यान साकेत निवासी संघ, मेरठ की ओर केन्द्रित कराना चाहता हूँ, हमारे क्षेत्र का डाकिया अपने कार्य के प्रति अत्यन्त लापरवाही दिखा रहा है। वह हमारे पत्र घर के बाहर फ़ेंक कर चला जाता है, या फिर छोटे बच्चों को पकड़ा देता है। इससे पत्रों के खोने का डर हमेशा बना रहता है। यद्यपि इलाके के अधिकांश घरों के द्वार पर ‘पत्र-पेटिका’ लगी हुई है, परन्तु वह उनमें पत्र नहीं डालता। हमने डाकिये से कई बार हाथ जोड़कर निवेदन भी किया है कि वह पत्रों को सही जगह पर डाले, पर जैसे वह हमारी बात एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देता है।
अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप उसे चेतावनी देते हुए कार्य के प्रति पूरी ईमानदारी बरतने को कहें।
आपकी इस कृपा के लिए हम सदैव आभारी रहेंगे।
भवदीय
हस्ताक्षर……
सचिव
किशोर
साकेत निवासी संघ
(3) आयकर अधिकारी को पत्र लिखिए, जिसमें आयकर से माफी एवं पूर्ण मुक्ति के लिए प्रार्थना की गयी हो।
61, रामबाग,
लखनऊ।
दिनांक 30 मार्च, 20XX
सेवा में,
आयकर अधिकारी,
लखनऊ।
विषय- आयकर से पूर्ण मुक्ति हेतु।
महोदय,
मुझे दिनांक 29 मार्च, 20XX को आपकी ओर से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें वर्ष 20XX-XX के लिए 5,005 आयकर अदा करने को कहा गया है।
उक्त अवधि से मेरी आय आयकर सीमा से निम्न है, लगता है किसी त्रुटिवश मेरी आय पर आयकर का निर्धारण कर दिया गया है।
आपसे प्रार्थना है कि मेरे खातों की जाँच कर मुझे आयकर से पूर्ण मुक्ति हेतु निर्देश जारी करें।
धन्यवाद।
भवदीय
हस्ताक्षर ……
जितेन्द्र गोयल
(4) भारी वर्षा के कारण हुए नुकसान से अवगत कराते हुए मुख्यमन्त्री को सहायतार्थ प्रार्थना-पत्र लिखिए।
16/1, रामनगर, नैनीताल
उत्तराखण्ड।
दिनांक 20 अगस्त, 20XX
सेवा में,
माननीय मुख्यमन्त्री महोदय,
उत्तराखण्ड सरकार,
देहरादून।
विषय- मुख्यमन्त्री से तात्कालिक सहायता हेतु।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि मैं रामनगर, नैनीताल क्षेत्र का निवासी हूँ। दुर्भाग्य से इस वर्ष हमारे क्षेत्र में भारी वर्षा हुई, जिसके कारण हमारे खेतों में महीनों पानी जमा रहा। जल का समुचित निकास न होने के कारण वर्षा के इस पानी ने हमारी सारी फसल चौपट कर दी। पशुओं के लिए बोया गया चारा भी गलकर नष्ट हो गया। परिणामस्वरूप मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिए अनाज का संकट आन पड़ा है। स्थान-स्थान पर पानी जमा रहने के कारण अनेक बीमारियाँ भी फैल गई हैं। लोग अपने-अपने घरों को छोड़ने के लिए बाध्य हो रहे हैं। स्थिति दयनीय और चिन्ताजनक है।
आपसे अनुरोध है कि शीघ्र ही इस क्षेत्र के निवासियों की समस्याओं पर संज्ञान लेते हुए उनकी सहायता के लिए जिलाधिकारी को आदेश दें।
आशा है आप शीघ्र ही इस ओर ध्यान देंगे और उचित तात्कालिक सहायता देकर यहाँ के निवासियों को संकट की इस स्थिति से बचाएँगे।
धन्यवाद।
भवदीय
हस्ताक्षर…..
किशोर कुमार
(3) सम्पादक के नाम पत्र
सम्पादक के नाम पत्र वे पत्र हैं, जो पाठकों द्वारा समाचार-पत्रों अथवा पत्रिकाओं के सम्पादकों को सम्बोधित करके लिखे जाते हैं। समाचार-पत्रों में ‘सम्पादक के नाम पत्र’ का एक विशेष कॉलम होता है। इस कॉलम के माध्यम से एक व्यक्ति अपनी बात को समस्त पाठकों, अधिकारियों और सरकार तक प्रेषित करता है। इस कॉलम को विभिन्न समाचार-पत्र/पत्रिकाओं द्वारा ‘पाती पाठकों की; ‘रीडर्स मेल’, ‘जनवाणी’, ‘लोकमत’, ‘पाठकों की दुनिया’, ‘पाठकों की राय’, ‘पाठक संवाद’, एवं ‘चौपाल’ सरीखे अलग-अलग नाम दिए गए हैं।
सम्पादक के नाम पत्र के अन्तर्गत निम्न पत्रों को शामिल किया जाता है- समस्या सम्बन्धी पत्र, शिकायत सम्बन्धी पत्र, अपील और निवेदन सम्बन्धी पत्र, समीक्षा/सुझाव सम्बन्धी पत्र सम्मिलित हैं, जो इस पाठ के अन्तर्गत बताए गए हैं।
सम्पादक के नाम पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें
(1) सबसे पहले सादे कागज पर बायीं ओर जिसके द्वारा पत्र लिखा जा रहा है उसका पता व दिनांक लिखी जाती है तत्पश्चात बायीं ओर ‘सेवा में’ लिखने के बाद प्रेषिती (पत्र भेजने के लिए) के लिए सम्पादक, समाचार-पत्र का नाम, शहर का नाम लिखा जाता है।
(2) विषय लिखने के बाद सम्बोधन के लिए ‘महोदय’ का प्रयोग किया जाता है।
(3) तत्पश्चात यह लिखते हुए कि ‘मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र में …… शीर्षक के तहत अपने विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस प्रकार शुरुआत करके विषय-वस्तु का वर्णन किया जाता है।
(4) अन्त में आशा करता हूँ आप इसे प्रकाशित कर मुझे अनुगृहीत करेंगे। ‘यह लिखने के बाद बाई ओर ‘धन्यवाद’ लिखने हुए, उसके नीचे भवदीय आदि लिखकर अपना नाम लिख दिया जाता है।
समस्या सम्बन्धी पत्र
सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले समस्या सम्बन्धी पत्र वे होते हैं, जिनमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं पर विचार प्रस्तुत किए जाते हैं। सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले समस्या सम्बन्धी पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(1) हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बाल मन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की समस्या का वर्णन करते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
424, तिलक नगर,
दिल्ली।
दिनांक 25 फरवरी, 20XX
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
दैनिक भास्कर,
नई दिल्ली।
विषय- हिंसा प्रधान फिल्मों के बाल मन पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की समस्या हेतु।
महोदय,
मैं आपके दैनिक समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान हिंसा प्रधान फिल्मों के दुष्प्रभाव की ओर दिलाना चाहती हूँ। आजकल दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर हिंसा प्रधान फिल्मों का प्रदर्शन धड़ल्ले से किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि उन पर सरकार का कोई नियन्त्रण नहीं रह गया हैं। आज कल समाज में हो रही लूट-पाट एवं हिंसा की घटनाओं का कारण भी ये फिल्में हैं। इन फिल्मों से युवा मन जल्दी ही बुराई की ओर आकर्षित होता है।
इस पत्र के माध्यम से मैं सरकार के ‘सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय’ से अपील करना चाहती हूँ कि वह इस प्रकार की फिल्मों पर रोक लगाए।
धन्यवाद।
भवदीया
स्नेहा
(2) बुजुर्गो को न्याय दिलवाने एवं उनकी समस्याओं के समाधान हेतु विचार व्यक्त करते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
ए-;ब्लॉक, लाल बाग,
दिल्ली।
दिनांक 1 अप्रैल, 20XX
सेवा में
सम्पादक महोदय,
दैनिक जागरण,
नोएडा।
विषय- बुजुर्गों की समस्या के समाधान हेतु।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं सरकार का ध्यान बुजुर्गों की समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। दिल्ली मेट्रो रेल में महिलाओं के लिए अलग डिब्बा बनाना अच्छी बात है, परन्तु इससे महिलाओं के डिब्बे अन्य डिब्बों की तुलना में लगभग खाली रहते हैं। महिलाओं के डिब्बे में जवान महिलाएँ जो खड़ी रह सकती हैं, सीटों पर बैठती हैं, जबकि अन्य डिब्बों में ऐसे बुजुर्गों तथा विकलांग पुरुषों को खड़ा रहना पड़ता है, जो खड़े नहीं हो सकते। दूसरी ओर, जो परिवार सफ़र करता है उसके साथ की महिला तो ‘महिला कोच’ में चढ़ जाती है, बाकी परिवार अलग हो जाता है।
बल्कि यह होना चाहिए कि पहला डिब्बा महिलाओं का, दूसरा परिवार का हो, तथा बुजुर्ग और विकलांगों के लिए भी इन डिब्बों में कुछ सीटें रिजर्व हों। भारत सरकार ने बुजुर्गों के लिए रेल में 40% छूट दी हुई है। दिल्ली सरकार इतना तो कर सकती है कि हर बी. पी. एल. कार्ड धारक बुजुर्ग को कहीं भी जाने के लिए मेट्रो में अधिकतम किराया 10 तथा बस में अधिकतम किराया 5 तय कर दे। यदि ऐसा होता है, तब ही सही मायने में बुजुर्गो के प्रति न्याय होगा और उनकी समस्याओं का भी समाधान होगा।
धन्यवाद।
भवदीय
चेतन
(3) देश में बढ़ रही कन्या-भ्रूण हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
142, पटेल नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 15 मार्च, 20XX
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली।
विषय- कन्या-भ्रूण हत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के सन्दर्भ में।
महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से मैं देश में बढ़ रही कन्या-भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। अनेक लोग गर्भ में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या-भ्रूण होने की स्थिति में इसे मार डालते हैं, गर्भ में ही कन्या-भ्रूण की हत्या कर दी जाती है। ऐसा करने वाले केवल गरीब या निर्धन एवं अशिक्षित लोग ही नहीं होते, बल्कि समाज का पढ़ा लिखा एवं धनी तबका भी इसमें बराबरी की हिस्सेदारी करता है।
समाज का यह दृष्टिकोण अत्यन्त रूढ़िवादी एवं पिछड़ा है, जिसे किसी भी स्थिति में बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। समाज के बौद्धिक एवं तार्किक लोगों का कर्त्तव्य है कि वे सरकार एवं प्रशासन के साथ मिलकर कन्या-भ्रूण हत्या को अन्जाम देने वाले या उसका समर्थन करने वाले लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें, जिससे समाज का सन्तुलन एवं समग्र विकास सम्भव हो सके।
धन्यवाद।
भवदीया
ऋतिका
शिकायत सम्बन्धी पत्र
सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले शिकायत सम्बन्धी पत्रों में विभिन्न विभागों, संस्थाओं और उनके कर्मचारियों के आचरण, शासन एवं प्रशासन की अव्यवस्था आदि की शिकायत से सम्बन्धी पत्र आते हैं। सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले शिकायत सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(1) चुनाव के दिनों में दीवारों पर नारे लिखने व पोस्टर चिपकाने से गन्दी हुई दीवारों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
435, सुभाष नगर,
दिल्ली।
दिनांक 18 मार्च, 20XX
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
दैनिक भास्कर,
नई दिल्ली।
विषय- शहर की दीवारें गन्दी होने के सन्दर्भ में।
महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से आपका ध्यान चुनावी नारों एवं पोस्टर से होने वाली गन्दगी की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। इस समय चुनाव का माहौल होने के कारण राजनीतिक दलों के कार्यकर्त्ता दीवारों पर जगह-जगह पोस्टर चिपका देते हैं व नारे लिख देते हैं जिसके कारण पता आदि ढूँढने में काफी परेशानी होती है। चुनाव के बाद भी कोई राजनीतिक दल या सरकारी संस्था इसकी खोज-खबर नहीं लेती है। इस बारे में चुनाव आयोग को आगे आकर इस सन्दर्भ में कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। जिस राजनीतिक दल का पोस्टर दीवारों या दरवाजे पर लगा हो उससे हर्जाना लिया जाना चाहिए।
धन्यवाद।
भवदीया
नेहा
(2) दिल्ली में महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों का उल्लेख करते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
261, गाँधी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 21 मार्च, 20XX
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
दैनिक भास्कर,
दिल्ली।
विषय- महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों के सम्बन्ध में।
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से दिल्ली-प्रशासन का ध्यान महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। आजकल दिल्ली अपराधों का केन्द्र बनती जा रही है। यहाँ अब महिलाएँ स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं करती। दिन-प्रतिदिन यहाँ अपराधों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। छेड़खानी की घटनाएँ तो आम बात हो गई है।
महिलाओं के प्रति अपराधों के बढ़ने का कारण यह है कि सामाजिक सुरक्षा तथा न्याय व्यवस्था के विषय में अपराधियों को पता होता है कि वह उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। कत्ल, हत्या, छेड़छाड़ कुछ भी हो, कोई भी गवाही देने को तैयार नहीं होता, लोग कोर्ट-कचहरी से डरते हैं। ऐसे डरपोक समाज का फायदा उठाते हुए कुप्रवत्ति वाले लोग आसानी से गलत काम करने से बाज नहीं आते हैं।
अतः प्रशासन को ऐसी हरकत करने वालों पर निगरानी रखनी चाहिए और इन सभी पहलुओं पर विचार करते हुए ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त-से-सख्त कदम उठाने चाहिए।
धन्यवाद।
भवदीया
कंचन
अपील और निवेदन सम्बन्धी पत्र
सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले अपील अथवा निवेदन सम्बन्धी पत्र ऐसे पत्र होते हैं, जिनमें अकाल पीड़ितों, बाढ़ पीड़ितों या अन्य किसी प्रकोप से ग्रस्त व्यक्तियों की सहायता हेतु अपील अथवा निवेदन किया जाता है। इसके अतिरिक्त किसी दूसरे विषयों पर भी अपील अथवा निवेदन किया जा सकता है।
(1) ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को सफल बनाने की अपील करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
425, मुखर्जी नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 5 मई, 20XX
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली।
विषय- ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को सफल बनाने हेतु।
महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से सभी लोगों का ध्यान ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। गाँधी जी की 145 वीं जयन्ती के अवसर पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इस अभियान के आरम्भ करने की घोषणा की थी। इस स्वच्छ्ता अभियान में हम सभी भारतीयों का कर्त्तव्य है कि हम इस अभियान को सफल बनाने में अपना सक्रिय योगदान दें। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ वैयक्तिक एवं सामाजिक दोनों स्तर पर अत्यधिक लाभप्रद होगा।
अतः मेरी सभा से अपील है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्वयं को, अपने घर को, अपने पड़ोस को, अपने मोहल्ले को, अपने जिले को, अपने राज्य को और अपने देश को स्वच्छ रखने में सहयोग दें।
धन्यवाद।
भवदीया
ऋतिका
(2) पर्यावरण में हो रही क्षति के सन्दर्भ में अधिक से अधिक वृक्ष लगाने का निवेदन करते हुए किसी प्रतिष्ठित दैनिक पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
424, शालीमार बाग,
दिल्ली।
दिनांक 16 मार्च, 20XX
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
दिल्ली।
विषय- अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं प्रशासन, सरकार व आम जनता का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती हूँ कि वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई व कारखानों से निकलने वाले धुएँ के कारण पर्यावरण को अत्यधिक क्षति हो रही है। यद्यपि वन महोत्सव के अवसर पर वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम आरम्भ किया जाता है तथा अनेक वृक्ष भी लगाए जाते हैं, परन्तु उनकी देखभाल नहीं की जाती जिसके कारण पर्यावरण में प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है।
मेरा सभी से निवेदन है कि हम सभी को मिलकर अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे जिससे हम पर्यावरण को सुरक्षित कर पाएँगे।
धन्यवाद।
भवदीय
राहुल
(3) भूकम्प पीड़ितों के लिए हर सम्भव मदद के प्रयास करने की अपील करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
32, राजेन्द्र नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 9 जनवरी, 20XX
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली।
विषय- भूकम्प पीड़ितोंकी हर सम्भव मदद हेतु।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं सभी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती हूँ कि हाल ही में उत्तर भारत के मणिपुर राज्य में आए भूकम्प ने मणिपुर के कई इलाकों को तहस-नहस कर दिया। इस विनाशकारी भूकम्प में कई लोगों की जान चली गई तथा कई लोग घायल हो गए। इस भूकम्प के कारण लगभग 200 घर व इमारतें भी ध्वस्त हो गई।
इस आपदा ने जाहिर कर दिया कि कोई भी देश अथवा मनुष्य तकनीकी रूप से कितना ही विकसित हो जाए, किन्तु प्रकृति के सामने उसे विवश होना ही पड़ता है। कोई भी देश भूकम्प आदि प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाने की तकनीक नहीं विकसित कर पाया है।
प्रकृति अपना ऐसा विकराल रूप किसी भी देश को दिखा सकती है। अतः इस मुश्किल घड़ी में सभी राज्यों को हर सम्भव मदद करने का प्रयास करना चाहिए।
धन्यवाद।
भवदीया
प्रीति
प्रेस-विज्ञप्ति सम्बन्धी
सरकार समय-समय पर सरकारी आदेश, प्रस्ताव अथवा निर्णय समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने के लिए भेजती है। इसे ही प्रेस-विज्ञप्ति कहा जाता है।
प्रेस-विज्ञप्ति आमतौर पर सरकारी केन्द्रीय कार्यालय से प्रसारित होती है और इसकी शब्दावली एवं शैली निश्चित होती है। समाचार-पत्र का सम्पादक ‘प्रेस-विज्ञप्ति’ में किसी प्रकार की काट-छाँट नहीं कर सकता। प्रेस-विज्ञप्ति में कभी-कभी यह भी लिखा जाता है कि इसे किस तिथि तक प्रकाशित करना है। समय से पूर्व इसका प्रकाशन नहीं किया जाता।
प्रेस-विज्ञप्ति का अपना एक शीर्षक होता है, इसमें सम्बोधन नहीं लिखा जाता। इसके अन्त में नीचे बायीं ओर हस्ताक्षर तथा पदनाम लिखा जाता है। उल्लेखनीय है कि प्रेस-विज्ञप्ति को सीधे समाचार-पत्र कार्यालय में न भेजकर सूचना अधिकारी के पास भेजा जाता है।
प्रेस-विज्ञप्ति के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
(1) भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय की ओर से भारत और ट्रिनिडाड-टोबैगो के मध्य राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने के सम्बन्ध में प्रेस-विज्ञप्ति जारी कीजिए।
प्रेस विज्ञप्ति
………………………………. दिनांक 28 अप्रैल, 20XX
भारत और ट्रिनिडाड-टोबैगो के मध्य राजनयिक सम्बन्ध
भारत सरकार और त्रिनिडा-टोबैगो सरकार इस बात पर सहमत हो गई है कि दोनों सरकारों के दूतावासों के स्तर पर मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित किए जाएँ। इस व्यवस्था से यह आशा की जाती है कि दोनों देशों में परस्पर सम्बन्ध और भी अधिक सुदृढ़ हो जाएँगे, जो दोनों के लिए लाभकारी होंगे।
(मुख्य सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, नई दिल्ली के पास विज्ञप्ति जारी करने तथा इसे विस्तृत रूप से प्रसारित करने के लिए प्रेषित)
……………………………….हस्ताक्षर …….
……………………………….. संयुक्त सचिव
……………………………….. विदेश मन्त्रालय,
…………………………………भारत सरकार,
(2) भारत सरकार के गृह मन्त्रालय की ओर से भारत और चीन के बीच सीमा-विवाद पर समझौता हो जाने हेतु प्रेस-विज्ञप्ति जारी कीजिए।
प्रेस विज्ञप्ति
…………………………….दिनांक 23 मार्च, 20XX
भारत और चीन के बीच सीमा-विवाद पर समझौता
भारत और चीन के बीच वर्षों से चले आ रहे सीमा-विवाद पर समझौता हो चुका है। समझौते पर दोनों देशों के प्रधानमन्त्रियों ने सहमति स्वरूप हस्ताक्षर कर इसे लागू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी हैं। सीमा-रेखा के निर्धारण के लिए विवादग्रस्त क्षेत्र के मध्य भाग को सीमा-रेखा मानकर दोनों देशों को मान्य समाधान स्वीकार किया गया है।
(मुख्य सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, नई दिल्ली के पास विज्ञप्ति जारी करने तथा इसे विस्तृत रूप से प्रसारित करने के लिए प्रेषित।)
……………………………………हस्ताक्षर…..
…………………………………….सचिव
…………………………………….भारत सरकार
……………………………………..गृह मन्त्रालय
……………………………………..नई दिल्ली।
(3) भारत सरकार के संचार मन्त्रालय की ओर से कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों की शर्ते की प्रेस-विज्ञप्ति जारी कीजिए।
प्रेस-विज्ञप्ति
………………………………………दिनांक 16 जुलाई, 20XX
कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों की शर्तों की बाबत
भारत सरकार ने महानिदेशक, डाक और तार के प्रार्थना-पत्र पर डाक-तार कर्मचारियों के वेतन और उनकी सेवा-शर्तों पर विचार करने के लिए तुरन्त एक जाँच आयोग के गठन का निश्चय किया है। इस आयोग के सदस्यों के नाम जल्द ही घोषित किए जाएँगे। इसमें डाक-तार विभाग के दो प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएँगे।
आयोग के विचारार्थ विषयों में विशेषतः इन कर्मचारियों के वेतन और भत्तों के बारे में, दिन-प्रतिदिन बढ़ती महँगाई को ध्यान में रखते हुए, सरकार को सलाह दी जाएगी। आयोग निम्न वर्ग के कर्मचारियों की प्रोन्नति की अन्य समस्याओं पर भी विचार करेगा।
(मुख्य सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, नई दिल्ली के पास विज्ञप्तिजारी करने तथा इसे विस्तृत रूप से प्रसारित करने के लिए प्रेषित।)
……………………………………..हस्ताक्षर……
……………………………………. उप-सचिव
……………………………………..भारत सरकार
……………………………………..संचार मन्त्रालय
……………………………………..नई दिल्ली।
निविदा सम्बन्धी पत्र
निविदा का शाब्दिक अर्थ है, आवश्यक रकम लेकर वांछित वस्तुएँ जुटा देने या काम पूरा करने का लिखित वादा देना। निविदा को अंग्रेजी में Tender (टेण्डर) कहते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी निर्माण कार्य, जैसे- कार्यालय भवन, निम्न आय वर्ग के लिए क्वार्टर, मध्यम आय वर्ग या उच्च आय वर्ग के लिए फ्लैट, किसी सड़क, ट्रॉली, डिब्बे आदि के निर्माण के लिए मोहरबन्द निर्धारित प्रपत्र पर जो आवेदन आमन्त्रित किए जाते हैं, वही ‘निविदा’ कहलाती है।
निविदा सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
(1) संसद निर्माण वैद्युत मण्डल की ओर से डीलरों को आवेदन के साथ डीलरशिप सर्टिफिकेट जमा करने हेतु निविदा आमन्त्रण सूचना लिखिए।
…………………………..दिनांक 22 मार्च, 20XX
निविदा आमन्त्रण सूचना
भारत के राष्ट्रपति की ओर से कार्यपालक अभियन्ता (वै.) संसद निर्माण वैद्युत मण्डल-2, के. लो. नि. वि., विद्युत भवन, शंकर मार्केट, नई दिल्ली-01 द्वारा फिलिप्स/हैलोनिक्स/विप्रो/क्रॉंम्प्टन/सूर्या/बजाज/वेंचर/जीई/मेक सीएफएल लैम्प, एमएच लैम्प, एमएच/एचपीएसवी चोक एवं पीएलएल ट्यूब के निर्माताओं अथवा उनके अधिकृत डीलरों से मुहरबन्द लिफाफों में निविदाएँ आमन्त्रित की जाती हैं। अधिकृत डीलरों को आवेदन के साथ अपना प्राधिकार पत्र/डीलरशिप सर्टिफिकेट आदि जमा कराना होगा। अन्यथा उनके आवेदन तत्काल निरस्त कर दिए जाएँगे।
कार्य का नाम | कार्य का नाम : स्टॉक (सबहैड:सीएफएल लैम्प, एमएच लैम्प, एमएच/एचपी एसवी चोक तथा पीएल ट्यूब की आपूर्ति) |
अनुमानित लागत | 17,64, 703 |
धरोहर राशि | 35, 294 |
नियम व शर्ते सहित निविदा प्रपत्रों की कीमत | 500 |
नियमों व शर्तो सहित निविदा प्रपत्रों के निर्गमन हेतु आवेदन प्राप्ति की अन्तिम तिथि | 28.03.20XX, अपराह 3 : 00 बजे तक |
नियमों व शर्ते सहित निविदा प्रपत्रों के निर्गमन की तिथिि | 28.03.20XX, अपराह 4 : 00 बजे तक |
निविदा प्राप्ति की तिथि | 29.03.20XX, अपराह 3 : 00 बजे तक |
परिपूर्णन अवधि | एक माह |
(2) एयर फोर्स स्टेशन, दादरी में यू.जी. केबल बिछाने हेतु निविदा सूचना लिखिए।
एयर फोर्स स्टेशन, दादरी
गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश।
…………………………… दिनांक 23 मार्च, 20XX
निविदा सूचना
कार्य का नाम : एयरफोर्स स्टेशन दादरी में 6.0 किमी यू.जी. केबल तथा 3.5 किमी ओ. एफ.सी. की आपूर्ति करना, बिछाना, परीक्षक एवं प्रचालन आरम्भ करना।
परियोजना की लागत : 31,44, 107
धरोहर राशि : 1, 00,000 निविदा शुल्क : 100 परिपूर्ण अवधि : आपूर्ति आदेश प्रदान किए जाने की तिथि से 12 से 16 सप्ताह
निविदा दस्तावेजों की बिक्री की तिथि : 21.3.XX से 14.4. 20XX, 14:00 तक (सभी कार्य दिवसों में)
निविदा प्राप्ति की तिथि एवं समय : 14.4.20XX, 14:00 बजे तक (सभी कार्य दिवसों में)
तकनीकी निविदा खोले जाने की तिथि : 15.4.20XX (11:00 बजे)
वित्तीय निविदा खोले जाने की तिथि : निविदाओं के तकनीकी मूल्यांकन को अन्तिम रूप दिए जाने के बाद सूचित की जाएगी।
निविदा दस्तावेजों की बिक्री का स्थान : कार्यालय : सीपीई, पी.एम.जी., एएफ, स्टेशन दादरी, सोधोपुर की झील, जिला; गौतमबुद्ध नगर, उ.प्र.203208
- आरएफसी (प्रस्ताव हेतु अनुरोध) का विस्तृत विवरण तथा डी.सी.ए. (ड्राफ्ट कॉन्ट्रेक्ट एग्रीमेन्ट) इण्डियन एयरफोर्स की वेबसाइट www.indian airforce.nic.in से डाउनलोड किए जा सकते हैं। यह स्टेशन निर्धारित तिथि एवं समय के भीतर निविदा के नियमों व शर्तों सहित निविदा/कोटेशन प्रपत्रों का प्राप्ति/जमा कराने में होने वाली किसी देरी के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
………………………………..हस्ताक्षर…..
कार्यालय सम्बन्धी अन्य पत्र
कार्यालय सम्बन्धी पत्रों में अभी तक हमने शासनादेश, कार्यालय आदेश, सूचना, ज्ञापन, प्रेस-विज्ञप्ति, अनुस्मारक एवं निविदा सम्बन्धी पत्रों के बारे में पढ़ा। इन पत्रों के अलावा कार्यालयी पत्रों के कुछ और प्रकार भी हैं। आइए, इन पत्रों के बारे में भी हम जानकारी प्राप्त करते हैं।
1. परिपत्र
परिपत्र के विषय में हम व्यवसायिक पत्रों के अन्तर्गत पढ़ चुके हैं। जिस पत्र के माध्यम से एक सूचना अथवा निर्देश एक साथ कई मन्त्रालयों, कार्यालयों, विभागों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों तक पहुँचाई जाती है; उसे ‘परिपत्र’ कहते हैं।
भारत सरकार गृह मन्त्रालय, नई दिल्ली
पत्र संख्या – 5/24/20,
………………………………. दिनांक 15 जून, 20XX
परिपत्र
कुछ असामाजिक संगठन सुनियोजित ढंग से देश में व्यापक अस्थिरता का माहौल पैदा करना चाहते हैं तथा उन्हें शत्रु देशों से प्रोत्साहन भी मिल रहा है। सरकार ने इन असामाजिक संगठनों को पूरी तरह नियन्त्रण में करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकारों को भी इस सम्बन्ध में कड़े कदम उठाने हैं।
इस सम्बन्ध में सरकार उठाए जाने वाले कदमों का शीघ्र ही ब्यौरा भेजेगी। राज्य सरकारों का सहयोग अपेक्षित है।
……………………………………….. हस्ताक्षर……..
…………………………………………..उप-सचिव,
…………………………………………..भारत सरकार
प्रतिलिपि
सभी राज्य सरकार
2. अधिसूचना
ऐसी सूचनाएँ जो सरकार के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित होती हैं, उन्हें ‘अधिसूचना’ कहा जाता है। ये सूचनाएँ वास्तव में, राष्ट्रपति अथवा राज्यपालों की ओर से जारी की गई मानी जाती हैं। इसलिए इनमें प्रेषक का उल्लेख नहीं होता है।
उल्लेखनीय है कि अधिसूचना के जरिए सूचना पाने वाले अधिकारी या कर्मचारी को पृष्ठांकन से एक प्रति भेज दी जाती है। इसके अतिरिक्त लेखा विभाग अथवा अन्य सम्बद्ध विभाग को भी सूचित करना पड़ता है।
अधिसूचना का क्षेत्र बहुत व्यापक होता है। उच्च अधिकारियों की नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति, स्थानान्तरण, अधिनियमों में संशोधन आदि बहुत से क्षेत्र अधिसूचना की सीमा में आते हैं।
अधिसूचना
(भारत के राजपत्र भाग 2 अनुभाग 4 में प्रकाशनार्थ)
भारत सरकार,
कृषि मन्त्रालय,
नई दिल्ली।
दिनांक 25 मई, 20XX
श्री विष्णु गुप्ता आई.ए.एस. को जो वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार में कार्यरत हैं, दिनांक 30.5.20XX से कृषि मन्त्रालय में अवर सचिव के रूप में प्रतिनियुक्त किया जाता है।
…………………………………….हस्ताक्षर ……
…………………………………….सचिव,
…………………………………… भारत सरकार।
…………………………………….अधिसूचना सं. – 5/5/1
इस अधिसूचना की प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ प्रेषित
(1) स्थापना शाखा, कृषि मन्त्रालय।
(2) मुख्य सचिव, मध्य प्रदेश।
(3) श्री विष्णु गुप्ता, आई.ए.एस. मध्य प्रदेश सरकार।
3. पावती
प्रधानमन्त्री, मुख्यमन्त्री या अन्य मन्त्रियों के पास प्रतिदिन ऐसे पत्र आते हैं, जिनमें किसी कार्यालय या अधिकारी की शिकायत की जाती है। यही नहीं अपनी व्यक्तिगत समस्या से अवगत कराकर सहायता की माँग सम्बन्धी अनेक पत्र भी मन्त्रियों को मिलते हैं।
इस प्रकार के सभी पत्रों को उक्त मन्त्रियों द्वारा पढ़ा जाना सम्भव नहीं होता है। ऐसे पत्रों को उनके निजी सचिव या सहायक आवश्यक कार्यवाही हेतु सम्बन्धित कार्यालय अथवा अधिकारी को भेज देते हैं। इसके साथ ही शिष्टाचारवश पत्र-प्रेषक को सन्तोष देने हेतु पत्र-प्राप्ति की स्वीकृति अथवा सूचना भेज दी जाती है। यही ‘पावती’ पत्र कहलाता हैं।
इस तरह के पावती पत्र पहले से छपे अथवा अंकित रहते हैं, उनमें उस व्यक्ति विशेष का नाम और दिनांक भरनी होती हैं।
पावती
श्री रामकिशन बंसीवाल……………………….मुख्यमन्त्री,
एच-15, अलीगढ़,………………………….उ. प्र. सरकार,
उ.प्र. …………………………………….. लखनऊ।
……………………………………. दिनांक 18 अप्रैल, 20XX
महोदय,
आपका दिनांक 15 अप्रैल, 20XX को मुख्यमन्त्री को भेजा गया पत्र प्राप्त हो गया है। आप निश्चित रहें, इस पर कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
……………………………………भवदीय,
……………………………………हस्ताक्षर……
……………………………………निजी सचिव,
…………………………………..मुख़्यमंत्री,
…………………………………..उत्तर प्रदेश सरकार।
4. विज्ञापन
विज्ञापन का अर्थ है जानकारी देना, सूचित करना। सरकारी अथवा कार्यालयी स्तर पर समय-समय पर समाचार-पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित होते रहते हैं। ये विज्ञापन आम जन के हित में उन्हें सूचित करने के लिए भी हो सकते हैं, किसी जानकारी से अवगत कराने के लिए भी हो सकते हैं।
विज्ञापन सम्बन्धी पत्रों के नमूने इस प्रकार हैं-
विज्ञापन
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना
महिलाओं एवं बाल विकास मन्त्रालय, स्वास्थ्य मन्त्रालय और परिवार कल्याण मन्त्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल के रूप में बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की गई है।
योजना के उद्देश्य
(i) पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन एवं बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
(ii) बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना।
(iii) सुकन्या समृद्धि योजना बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं के अन्तर्गत दी जाने वाली यह सबसे महत्त्वपूर्ण योजना है।
(iv) यह एक बैंक खाता है जो 10 वर्ष से कम उम्र की बेटियों के लिए शुरू किया गया है। इस खाते पर 9.1 वार्षिक चक्रवर्ती ब्याज दिया जाएगा।
विज्ञापन
लड़कर लें अपना अधिकार
उपभोक्ता अदालत बनेंगे आपके हथियार
जागरूक ग्राहक बनें
(i) अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएँ।
(ii) एगमार्क और ISI अंकित सामान ही खरीदें।
(iii) ग्राहक के रूप में राष्ट्रीय/राजकीय/जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा अपनी शिकायतों पर न्यायोचित सुनवाई की माँग करे।
अपने अधिकारों की माँग करे
(i) बुनियादी जरूरतों की संतुष्टि का अधिकार
(ii) सुरक्षा का अधिकार
(iii) सूचित करने का अधिकार
(iv) चुनने अथवा चयन करने का अधिकार
अधिक जानकारी के लिए सर्म्पक करें
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नम्बर- 1800-11-4000
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मन्त्रालय
उपभोक्ता मामले विभाग, भारत सरकार
(5) व्यापारिक पत्र
व्यापारिक पत्र वैयक्तिक पत्रों की तुलना में काफी भिन्न होते हैं। व्यापारिक पत्रों की भाषा औपचारिक होती है। इनमें द्विअर्थी एवं संदिग्ध बातों का स्थान नहीं होता। ये पत्र किसी भी व्यापारिक संस्थान के लिए आवश्यक होते हैं। व्यापारिक पत्र किन्हीं दो व्यापारियों के बीच व्यापारिक कार्य हेतु लिखे जाते हैं।
एक व्यवसायी तभी सफल हो सकता है, जब वह दूसरे व्यवसायी के साथ मधुर सम्बन्ध बनाए। सम्बन्धों को मधुर बनाए रखने एवं व्यापार को कुशलतापूर्वक बढ़ाने के लिए पत्रों को लिखने की आवश्यकता होती है।
व्यापारिक पत्र माल का मूल्य पूछने सम्बन्धी जानकारी लेने, बिल का भुगतान करने, बिल की शिकायत करने, साख बनाने, समस्या बताने, सन्दर्भ लेने आदि के विषय में लिखे जाते हैं।
व्यापारिक पत्रों की उपयोगिता
व्यापारिक पत्र एक व्यवसायी के दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी होते हैं। इन पत्रों से समय की बचत तो होती ही है, धन भी कम खर्च होता है। ये पत्र व्यापार का प्रचार एवं विज्ञापन का कार्य भी करते हैं।
व्यवसायिक पत्राचार के द्वारा व्यापार के सभी कार्यों के आधार पर भेजे गए पत्रों का रिकॉर्ड तैयार कर दिया जाता है। व्यापार की बातों को यदि व्यापारी कुछ समय के बाद भूलने लगता है, तब यही व्यावसायिक पत्रों के मूल्यवान रिकॉर्ड उनकी सहायता करते हैं।
इस प्रकार व्यापारिक पत्र व्यापारिक साख को बढ़ाने के साथ-साथ विवाद और भ्रम की स्थिति में इसके सहज निवारण में भी काम आते हैं।
व्यापारिक पत्रों की विशेषताएँ
व्यापारिक पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
(1)स्पष्टता- व्यापारिक पत्र जिस विषय में लिखा गया हो, वह पूर्णतः स्पष्ट होना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बातों को ज्यादा घुमा-फिराकर न कहा गया हो।
(2)सरलता- व्यापारिक पत्रों की भाषा अत्यन्त सरल होनी चाहिए ताकि उसे पढ़ने वाला आसानी से मूल विषय को समझ सके। ऐसे पत्रों में मुहावरों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(3)संक्षिप्तता- एक व्यापारी के पास समय का अभाव होता हैं। वह मुख्य बात को जानने का इच्छुक होता है। अतः व्यापारिक पत्रों में संक्षिप्तता होनी चाहिए।
(4)सम्पूर्णता- व्यापारिक पत्र में सम्पूर्णता का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र में आधी-अधूरी बातें नहीं होनी चाहिए। यदि पत्र में कोई सूचना दी जा रही है, तो वह सभी तथ्यों, आँकड़ों आदि से युक्त होनी चाहिए।
(5)त्रुटिहीनता- व्यापारिक पत्र चूँकि दो व्यवसायियों के मध्य संवाद का माध्यम होते हैं, अतः इनमें किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा होता है, तो इससे संगठन/व्यक्ति की साख में कमी आ सकती है। यह बात सदैव स्मरण रखें कि छोटी-सी त्रुटि से व्यापार में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
(6)नम्रता- व्यापारिक पत्र की शैली नम्रतापूर्ण होनी चाहिए। नम्रता से कटुता दूर होती है और मित्र भाव उत्पन्न होता है। सदैव दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और शिष्ट भाषा के प्रयोग द्वारा रूठे हुए लोगों को मनाने का प्रयास करना चाहिए, यही व्यावसायिक सफलता की कुंजी है।
(7)क्रमबद्धता- व्यापारिक पत्र लिखते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है। पत्र में प्राथमिकता के आधार पर विभिन्न वाक्यों का क्रम रखा जाना चाहिए। जो बात महत्त्वपूर्ण हो, उसे पहले लिखना चाहिए। वाक्य इस प्रकार क्रमबद्ध रूप से लिखे जाएँ कि पत्र प्राप्तकर्ता पत्र पढ़ते ही उसके मूल भाव को समझ जाए और तत्सम्बन्धी निर्णय हेतु विचार कर सके।
व्यापारिक पत्र के भाग
व्यापारिक पत्र को क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित रूप से लिखने के लिए इसके कलेवर को वैयक्तिक पत्रों की भाँति कई भागों में बाँटा गया है।
व्यापारिक पत्र के मुख्य भाग अग्रलिखित हैं-
(1)शीर्षक- शीर्षक में पत्र लेखक/संस्था का नाम, डाक का पता, टेलीफोन नं., ई-मेल का पता आदि होता है। शीर्षक पृष्ठ के ऊपरी भाग में बायीं ओर छपा रहता है।
(2)पत्रांक/पत्र संख्या एवं दिनांक- व्यापारिक पत्रों में पत्रांक एवं दिनांक का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार में पिछले सन्दर्भ देने और वैधानिक आवश्यकता के समय पत्रांक एवं दिनांक का उल्लेख किया जाता है। पत्रांक और दिनांक पत्र के बायीं ओर शीर्षक के नीचे लिखनी चाहिए।
(3)सन्दर्भ संख्या- व्यापारिक पत्र में यदि सम्भव हो, तो सन्दर्भ संख्या का उल्लेख अवश्य करना चाहिए। सन्दर्भ संख्या द्वारा संस्था को पुराने पत्रों से विषय के सम्बन्ध में सम्पूर्ण ब्यौरा उपलब्ध हो जाता है।
,p> (6)अन्दर लिखा जाने वाला पता- जिस व्यक्ति या संस्था को पत्र लिखा जा रहा है, उसका नाम व पता पत्र में बायीं ओर दिनांक के नीचे और अभिवादन के ऊपर लिखना चाहिए।
(7)विषय- विषय की जानकारी एक पंक्ति में ‘महोदय’ से पूर्व दी जाती है।
(8)सम्बोधन- व्यापारिक पत्र में सम्बोधन के लिए सामान्यतः ‘महोदय/महोदया’ लिखते हैं। सम्बोधन पत्र के बायीं ओर लिखते हैं।
(9)पत्र का मुख्य भाग- यह व्यापारिक पत्र का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग होता है। पत्र द्वारा दी जाने वाली सूचना इसी भाग में लिखी जाती है। पत्र का यह भाग सामान्यतः तीन भागों में विभाजित होता है-
(1) प्रथम भाग- जिसमें विषय का परिचय होता है अथवा प्रेषिती (Addressee) द्वारा अब तक भेजे गए पत्रों का सन्दर्भ दिया जाता है। पत्र का यह भाग या अनुच्छेद छोटा होता है।
(2) द्वितीय भाग- जिसमें तथ्यों एवं सूचनाओं का विवरण होता है। यह कई छोटे-छोटे अनुच्छेदों में भी बँटा हो सकता है। ,/p>
(3) तृतीय भाग- जिसमें आगामी कार्य-व्यापार पर बल दिया जाता है। यह मुख्य भाग का अन्तिम भाग होता है।
समाप्ति हेतु अन्तिम आदरसूचक शब्द व्यापारिक पत्रों में शिष्टाचारपूर्ण अन्त, पत्र के नीचे बायीं ओर हस्ताक्षर के ऊपर सामान्यतः ‘भवदीय’ लिखकर किया जाता है।
पत्र लेखक के हस्ताक्षर पत्र के अन्त में सबसे नीचे ‘भवदीय’ आदि के बाद अपने हस्ताक्षर करने चाहिए। यदि व्यापारिक पत्र किसी संस्था/संगठन द्वारा लिखा गया है, तो संस्था का कोई भागीदार भी संस्था की ओर से हस्ताक्षर कर सकता है।
सूचना सम्बन्धी पत्र
ऐसे व्यापारिक पत्र जिनका उद्देश्य सूचना प्राप्त करना अथवा सूचना देना होता है, ‘सूचना सम्बन्धी पत्र’ कहलाते हैं। सूचना सम्बन्धी पत्रों के माध्यम से एक कम्पनी अपनी वर्तमान स्थितियों की जानकारी देती है। इसके अलावा एक व्यक्ति अथवा फर्म किसी दूसरी फर्म/संस्था से सूचना पत्र के माध्यम से जानकारी लेता एवं देता है।
जानकारी लेने, कोटेशन मँगवाने, पत्रों के उत्तर देने, ग्राहकों को नई बातें बताने आदि के लिए सूचना सम्बन्धी पत्रों का प्रयोग किया जाता है।
कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
(1) डाकघर के डाकपल महोदय को पते में हुए परिवर्तन की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।
लाला हरदयाल एन्ड सन्स,
पंजाब।
दिनांक 26 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
डाकपाल महोदय,
जगराँव डाकघर,
पंजाब।
विषय- पते में हुए परिवर्तन की सूचना देने हेतु।
महोदय,
हम इस पत्र के माध्यम से अपने डाक के पते में हुए परिवर्तन से सम्बन्धी सूचना दे रहे हैं। अब हमारा मुख्य कार्यालय जालन्धर रोड से जगराँव स्थानान्तरित हो गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि कृपया सम्बन्धित क्षेत्र के डाकिए को निर्देशित करें कि अब वह हमारे पत्र, पार्सल, धनादेश व डाक से आने वाली अन्य चीजे हमारे नए पते पर ही पहुँचाए।
आपसे सहयोग की अपेक्षा में।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…….
(कुलदीप सिंह)
लाला हरदयाल एन्ड सन्स
(2) बुक कराए गए पार्सल की बुकिंग निरस्त कराने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।
सरस्वती हाउस प्रा. लि.
नई दिल्ली।
दिनांक 10 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
मुख्य पार्सल लिपिक,
उत्तरी रेलवे,
नई दिल्ली।
विषय- पार्सल की बुकिंग निरस्त कराने हेतु।
महोदय,
अपने पार्सल की बुकिंग निरस्त कराने के सम्बन्ध में सूचना देने के लिए हम आपको यह पत्र लिख रहे हैं। हमने अपने ग्राहक को पुस्तकें भेजने हेतु आपके यहाँ आज ही R/R संख्या 32241/69 से एक पार्सल बुक कराया है। अभी-अभी हमारे ग्राहक ने सूचना दी है कि उक्त ऑर्डर को निरस्त करते हुए माल न भेजा जाए। पत्र के साथ R/R की मूल प्रति संलग्न है।
जैसा कि माल भाड़ा अदा कर दिया है, तो आपसे प्रार्थना है कि माल भाड़े में से उपयुक्त निरस्तीकरण अधिभार की कटौती कर बाकी रकम वापस कर दी जाए।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…….
(नीरज बंसल)
सरस्वती हाउस प्रा. लि.
(3) ग्राहकों को नकद खरीद पर छूट देने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।
जे. जे. एक्सपोर्ट्स,
9, इन्डस्ट्रियल एरिया,
कानपुर।
दिनांक 27 मई. 20XX
सेवा में,
सूरत क्लॉथ हाउस,
कमला नगर,
भोपाल।
विषय- नकद खरीद पर छूट देने के सन्दर्भ में।
महोदय,
आप हमारे उन प्रमुख ग्राहकों में से हैं, जो देय राशियों का समय पर शीघ्रता से भुगतान कर देते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको दो सप्ताह के अन्दर भुगतान किए जाने पर 2% की विशेष छूट प्रदान करना चाहते हैं। आपको सूचित कर दें कि आपका अप्रैल माह का भुगतान अभी तक नहीं हुआ। आप चाहें तो शीघ्र भुगतान कर इस छूट का लाभ उठा सकते हैं।
आशा है आपको हमारा यह प्रस्ताव पसन्द आएगा और आप इसका अवश्य ही लाभ उठाएँगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर ….
(अजीत निगम)
जे. जे. एक्सपोर्ट्स
(4) बिजली के बल्बों के ऑर्डर के निरस्तीकरण की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।
रामनिवास कॉन्ट्रेक्टर्स,
धौरीमन्न,
बाड़मेर।
दिनांक 25 मार्च, 20XX
सेवा में,
रोशनी इलैक्ट्रिकल सप्लायर्स,
नेहरू प्लेस,
नई दिल्ली।
विषय- ऑर्डर निरस्त करवाने हेतु।
महोदय,
हमने आपको 2500 बिजली के बल्बों का ऑर्डर दिया था, जिनकी आपूर्ति इस माह के अन्तिम सप्ताह में होनी है, परन्तु हमें खेद के साथ आपको यह कहना पड़ रहा है कि बल्बों का यह ऑर्डर निरस्त कर दिया जाए।
दरअसल, हमें इस आर्डर को निरस्त करवाने के लिए विवश होना पड़ रहा है, क्योंकि उक्त 100 वाट के 2500 बल्ब स्थानीय नगर निगम में आपूर्ति हेतु मँगवाए जा रहे थे। परन्तु नगर निगम ने आन्तरिक बजट की समस्या के चलते कुछ समय के लिए इस आपूर्ति पर रोक लगा दी है।
इस प्रकार इस ऑर्डर को निरस्त करवाना हमारी विवशता थी, परन्तु जैसे ही नगर निगम में बजट सम्बन्धी समस्या का समाधान हो जाएगा, हम आपसे इस माल की आपूर्ति हेतु पुनः निवेदन करेंगे।
आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर ……
(गणेश दत्त)
(5) व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि होने के कारण बैंक की नवीन शाखा के शुभारम्भ की सूचना ग्राहकों को देते हुए पत्र लिखिए।
पंजाब नेशनल बैंक,
मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 21, अप्रैल, 20XX
विषय- बैंक की नवीन शाखा खुलने के सन्दर्भ में।
प्रिय ग्राहकों,
आपके शहर में व्यापारिक गतिविधियों में होने वाली लगातार वृद्धि के कारण हमारी निरंकारी कालोनी शाखा में कार्य का भार इतना हो गया था कि ग्राहकों को अपने खातों में लेन-देन करने तथा बैंक सम्बन्धित अन्य कार्यों के संचालन हेतु लम्बी लाइनों में खड़े रहकर घण्टों इन्तजार करना पड़ता था। इससे ग्राहकों का बहुमूल्य समय नष्ट हो जाता था। इस समस्या के समाधान के लिए हम लम्बे समय से प्रयासरत थे, जिसका फल अब मिला है। हम अपनी एक नवीन शाखा का शुभारम्भ 25 अप्रैल से मुखर्जी नगर में HDFC बैंक के नजदीक करने जा रहे हैं। हमारी यह शाखा पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत तथा ए टी एम एवं लॉकर सुविधा से युक्त है।
कृपया हमारी इस शाखा द्वारा प्रदत्त सुविधाओं एवं सेवाओं का लाभ उठाएँ। हम सदैव आपकी सेवा में तत्पर हैं।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर ……
क्षेत्रीय प्रबन्धक
(6) चेक खो जाने के कारण बैंक को चेक का भुगतान न करने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।
24, नेहरू विहार,
दिल्ली।
दिनांक 20 मई, 20XX
सेवा में,
प्रबन्धक महोदय,
बैंक ऑफ महाराष्ट्र,
मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
विषय- बैंक को चेक का भुगतान न करने हेतु।
महोदय,
मैंने 8 हजार का एक चेक संख्या 46451 श्री उमेश शर्मा को दिनांक 22 मई, 20XX का दिया है। मुझे आज ही उन्होंने सूचित किया है कि उक्त चेक उनसे खो गया है। अतः आपसे निवेदन है कि उस चेक का भुगतान किसी को भी, किसी भी दशा में न किया जाए। यदि भुगतान किया गया, तो मैं उत्तरदायी नहीं होऊँगा।
जवाब की अपेक्षा में।
धन्यवाद।
भवदीय,
रामसुमेर
खाता संख्या : 254645876451
(7) उद्योग कम्पनी के निर्यातकर्ता द्वारा ग्राहक को माल पहुँचाने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।
बैनारा उद्योग लि.
आगरा।
दिनांक 15 मई, 20XX
सेवा में,
मैं. स्टुअर्ट एन्ड सन्स,
लन्दन।
विषय- ग्राहक को माल पहुँचाने की सूचना हेतु।
महोदय,
आपको सूचित करते हुए हमें हर्ष हो रहा है कि हमने आपकी आकस्मिकता को पूरा करते हुए आपकी माँग के अनुसार एस.एस. सागर द्वारा बॉल बेयरिंग आपके पते पर भेज दी हैं। यह माल लकड़ी की 15 पेटियों में पैक किया गया है।
आपके माल की बीमा हमारे शिपिंग एजेण्ट मै. मैकमोहन एण्ड ब्रदर्स, कोलाबा, मुम्बई द्वारा कराया गया है।
इस पत्र के साथ हम 1500 पौण्ड का बिल संलग्न कर रहे हैं, जिसका भुगतान 90 दिनों के भीतर लिया जाएगा।
आशा है, आपका माल समय पर एवं सुरक्षित पहुँच जाएगा।
आगामी ऑर्डर की अपेक्षा के साथ।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(अजय जैन)
बैनारा उद्योग लि.
(8) सामान का भुगतान न किए जाने के कारण क़ानूनी कार्यवाही करने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।
टाटा ऑटोमोटिव लिमिटेड,
पैडर रोड,
मुम्बई।
दिनांक 10 मई, 20XX
सेवा में,
मै. शंकर ऑटोमोबाइल्स,
प्रतापगढ़ (उ. प्र.)।
विषय- क़ानूनी कार्यवाही हेतु।
महोदय,
हमें खेद के साथ लिखना पड़ रहा है कि आपने हमारे 35, 000 के भुगतान के सम्बन्ध में हमारे पूर्व पत्रों का अभी तक जवाब नहीं दिया है। पूर्व में आपके द्वारा किए गए भुगतान समय पर हो जाया करते थे। यदि कोई भुगतान आपकी तरफ से कभी रुका भी, तो हमने इस मामले में आपको सदैव ही सहयोग दिया है और भुगतान के सम्बन्ध में कभी-भी दबाव नहीं डाला है। परन्तु आपने उक्त भुगतान के सम्बन्ध में हमारे किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया है।
सम्भव है कि आपके द्वारा भुगतान न किए जाने के पीछे कुछ विशेष कारण हो, अतः अभी भी सम्भव है कि हम बातचीत कर इस मामले को सुलझा लें। परन्तु इस सम्बन्ध में आपको हमें पत्र लिखना होगा।
यदि इस पत्र के एक हफ़्ते के भीतर आपकी ओर से कोई जवाब नहीं आता है, तब हमें मजबूरन आपके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही करनी पड़ सकती है। परन्तु इससे पूर्व हमारा आपसे अनुरोध है कि आप हमें बताएँ कि इस भुगतान के सम्बन्ध में आप क्या कहना चाहते हैं।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर ……
(एस. के. खुराना)
महाप्रबन्धक
टाटा ऑटोमोटिव लि.
(9) इन्श्योरेन्स कम्पनी की ओर से बीमा पॉलिसी के नवीनीकरण की सूचना कम्पनी को देते हुए पत्र लिखिए।
ओरियण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी,
नई दिल्ली।
दिनांक 9 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
मै. अय्यर एण्ड कम्पनी,
28 बी, इण्डस्ट्रियल एरिया,
ओखला, फेज-।।
नई दिल्ली।
विषय- बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण करवाने हेतु।
महोदय,
हम आपको सूचना देना चाहते हैं कि आपकी बीमा पॉलिसी जिसकी सं. 27236 है, की अवधि 30 अप्रैल, 20XX को समाप्त हो रही है।
यदि आप इस पॉलिसी को वर्ष 20XX-20XX के लिए चालू रखना चाहते हैं, तो कृपया 3,954 का चेक भेजें।
आपने पिछले 5 वर्षों में कोई क्षतिपूर्ति नहीं ली है, इस सन्दर्भ में हम आपको बता दें कि यदि आप अपना चेक 30 अप्रैल से पूर्व भेज देते हैं, तो आपको प्रीमियम राशि में 550 की छूट प्रदान की जाएगी। देय तिथि के बाद किए गए भुगतान पर कोई छूट नहीं दी जाएगी।
यदि पॉलिसी समाप्त होने की तिथि के 60 दिन के भीतर नवीनीकरण नहीं कराया जाता, तो उक्त पॉलिसी समाप्त हो जाएगी।
आपके जवाब की प्रतीक्षा में एवं सदैव आपकी सेवा में तत्पर।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर …..
(एम. डी. गोयल)
प्रबन्धक
(ओ. आई. सी.)
पूछताछ सम्बन्धी पत्र
पूछताछ सम्बन्धी पत्रों से तात्पर्य ऐसे पत्रों से है, जिनके माध्यम से किसी माल के गुण, उपयोगिता एवं व्यापारिक शर्तो आदि की जानकारी जुटाई जाती है।
पूछताछ सम्बन्धी पत्र उन वस्तुओं के नियमित खरीदार व्यापारी भी लिखते हैं, जिन वस्तुओं के मूल्य से उतार-चढ़ाव होता रहता है। इन पत्रों के तहत निर्माता द्वारा व्यापारी को माँगी गई सभी सूचनाएँ पूर्ण विवरण सहित देनी चाहिए; जैसे- वस्तु की गुणवत्ता, मात्रा, आकार इत्यादि। पूछताछ सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
(1) कम्पनी की प्रगति के सम्बन्ध में पूछताछ करने हेतु पत्र लिखिए।
18, शान्ति विहार,
नरेला,
दिल्ली।
दिनांक 24 मई. 20XX
सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
गोदरेज इण्डिया प्रा. लि.
नेहरू प्लेस,
नई दिल्ली।
विषय- कम्पनी की प्रगति के सम्बन्ध में पूछताछ हेतु।
महोदय,
मैं पिछले 8 वर्ष से आपकी कम्पनी का अंशधारी हूँ। मुझे यह जानकर अत्यन्त ख़ुशी हो रही है कि कम्पनी सन्तोषजनक प्रगति कर रही है। आपकी कम्पनी में अपना अंश बढ़ाने की दृष्टि से मेरे लिए आवश्यक है कि मैं आपसे उक्त बात की आधिकारिक पुष्टि करूँ कि क्या कम्पनी वास्तव में, अच्छी प्रगति कर रही है और क्या इस वर्ष किसी बड़े लाभांश की घोषणा होने वाली है? आशा करता हूँ कि आप मेरी जिज्ञासाओं को शान्त करते हुए, मेरे प्रश्नों का जल्द ही जवाब देंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर….
(वीरेन्द्र नागर)
(2) बैंक द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं और सेवाओं की पूछताछ करने हेतु पत्र लिखिए।
राम एण्ड सन्स,
हजरतंगज,
लखनऊ।
दिनांक 28 मई, 20XX
सेवा में,
प्रबन्धक महोदय,
देना बैंक,
स्टेशन रोड,
लखनऊ।
विषय- बैंक द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की पूछताछ हेतु।
महोदय,
हम आपके बैंक के 10 वर्ष पुराने ग्राहक हैं। आपके बैंक में हमारा चालू खाता है। साथ ही हमारे परिवार के कई लोगों के बचत खाते भी आपके बैंक में खुले हुए हैं। हम आपके बैंक द्वारा वर्तमान समय में प्रदान की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं और सेवाओं की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।
आपसे अनुरोध है कि कृपया इस सम्बन्ध में सभी जानकारियाँ देने का कष्ट करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर……
(जीवन कुमार)
राम एण्ड सन्स
(3) सावधि जमा पर ब्याज दर सम्बन्धी पूछताछ करते हुए बैंक को पत्र लिखिए।
बी 222,
जहाँगीरपुरी,
दिल्ली।
दिनांक 24 मार्च, 20XX
सेवा में,
प्रबन्धक महोदय,
भारतीय स्टेट बैंक,
जहाँगीरपुरी,
दिल्ली।
विषय- सावधि जमा योजना के अन्तर्गत ब्याज दर सम्बन्धी पूछताछ हेतु।
महोदय,
मैं आपके बैंक की सावधि जमा योजना के अन्तर्गत तीन वर्ष के लिए 50,000 जमा करना चाहता हूँ। कृपया इस सन्दर्भ में अवगत कराएँ कि इस जमा पर मुझे कितने प्रतिशत ब्याज प्राप्त होगा।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर……
(अजय कुमार)
(4) रेलगाड़ी से भेजे जाने वाले माल की बीमा राशि सम्बन्धी पूछताछ के लिए पत्र लिखिए।
ख़ुशी हर्बल्स प्रा. लि.
27, करोल बाग,
नई दिल्ली।
दिनांक 14 मई, 20XX
सेवा में,
प्रबन्धक महोदय
ओरियण्टल इन्श्योरेन्स कं.,
चावड़ी बाजार,
नई दिल्ली।
विषय- रेलगाड़ी से भेजे जाने वाले माल की बीमा राशि सम्बन्धी पूछताछ हेतु।
महोदय,
हम 75 डिब्बों में विभिन्न प्रकार के हर्बल लोशन और क्रीम की शीशियाँ प्रयागराज एक्सप्रेस से भेज रहे हैं। इस माल की कीमत 2 लाख है। यह माल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से रेलगाड़ी में चढ़ाया जाएगा और इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर उतारा जाएगा।
हम उक्त माल का चोरी, आग और अन्य टूट-फूट से सुरक्षा हेतु बीमा करवाना चाहते हैं। इस सामान की पैंकिंग जुनेजा पैकेजिंग के द्वारा की गई है।
कृपया हमें उक्त माल की बीमा राशि बताने का कष्ट करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(संजीव मिश्रा)
प्रबन्धक
(5) पॉलिसी के समर्पण (सरेन्डर) करने की पूछताछ करते हुए भारतीय जीवन बीमा निगम को पत्र लिखिए।
ए-245,
कैलाश कॉलोनी,
नई दिल्ली।
दिनांक 18 अगस्त, 20XX
सेवा में,
मण्डलीय प्रबन्धक,
भारतीय जीवन बीमा निगम,
कैलाश कॉलोनी,
नई दिल्ली।
विषय- पॉलिसी के समर्पण की पूछताछ हेतु।
महोदय,
मैं ‘जीवन आनन्द’ पॉलिसी संख्या 214546 का धारक हूँ। किन्हीं परिस्थितियों के कारण मैं अपनी इस पॉलिसी को आगे चालू नहीं रख सकता। यदि आप मुझे उक्त पॉलिसी के वर्तमान समर्पण मूल्य की जानकारी देंगे, तो मैं आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर …..
(चन्द्र सिंह)
(6) फूड कम्पनी के निर्माता से उत्पादों के मूल्य सम्बन्धी पूछताछ करने के लिए पत्र लिखिए।
सेन्ट्रल डिपार्टमेंटल स्टोर,
सदर बाजार,
दिल्ली।
दिनांक 28 मार्च, 20XX
सेवा में,
राजेन्द्र फूड्स प्रा. लि.,
ई-45, ओखला इन्डस्ट्रियल एरिया,
दिल्ली।
विषय- उत्पादों के मूल्य से सम्बन्धित पूछताछ हेतु।
महोदय,
हम आपके द्वारा निर्मित विभिन्न फ्रूट एण्ड वैजिटेबल उत्पादों; जैसे- सॉंस, जेम, मुरब्बा, आचार आदि को बिक्री हेतु बड़ी मात्रा में क्रय करना चाहते हैं। हम लखनऊ में उपभोक्ता सामग्री के बड़े विक्रेताओं में से एक हैं। हम लगभग सभी प्रतिष्ठित कम्पनियों के माल की ब्रिकी करते हैं। अब हम आपके द्वारा निर्मित विभिन्न उत्पादों को भी अपने यहाँ बिक्री हेतु रखना चाहते हैं।
अतः कृपया हमें अपने उत्पादों की मूल्य-सूची एवं व्यापारिक शर्ते जल्द से जल्द भेजने का कष्ट करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
प्रबन्धक
(राजीव जैन)
(7) विदेशी आयातकर्ता द्वारा कलात्मक वस्तुओं के आयात से सम्बन्धित भारतीय व्यापारी से पूछताछ करते हुए पत्र लिखिए।
वार्नर ब्रदर्स इंक,
कैनेडी स्क्वायर,
एडमाण्टन,
कनाडा।
दिनांक 3 मई, 20XX
सेवा में,
मै. मुमताज एक्सपोर्ट्स प्रा. लि.,
तुलसी चबूतरा, ताजगंज,
आगरा।
विषय- कलात्मक वस्तुओं के आयात से सम्बन्धित पूछताछ।
महोदय,
हमे ‘भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद्’ की पत्रिका के माध्यम से पता चला है कि आप भारत में हस्तकला सम्बन्धी वस्तुओं के एक बड़े निर्यातकर्ता हैं।
हम प्रतिवर्ष काफी मात्रा में भारतीय कलात्मक वस्तुओं का आयात करते हैं। आपके शहर से भी हम अन्य निर्यातकर्ताओं से उक्त वस्तुएँ आयात कर चुके हैं। अब हम आपके यहाँ निर्मित कलाकृतियाँ, विशेष रूप से ताजमहल के मॉडल मँगवाना चाहते हैं, जिनकी कनाडा में काफी माँग है। अतः आपसे निवेदन करते हैं कि आप व्यापारिक शर्तो सहित अपनी विभिन्न कलाकृतियों की एक नवीनतम एलबम मूल्य-सूची सहित हमें जल्दी से जल्दी भेजें।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर …..
(टॉमस मूर)
प्रबन्धक (बिक्री)
लेन-देन सम्बन्धी पत्र
व्यापार लेन-देन पर टिका होता है। यह लेन-देन रुपये-पैसों से भी सम्बन्धित हो सकता है, एवं एजेन्सी लेने-देने से भी। व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि लेन-देन में पूरी पारदर्शिता हो। ऐसे पत्र लिखते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। सौदे की सभी शर्तो का उल्लेख पत्र में होना चाहिए। यदि रुपयों के भुगतान से सम्बन्धित बातें लिखनी हों, तब बकाया रुपयों का माह, बिल संख्या, सन्दर्भ संख्या आदि का उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए।
लेन-देन सम्बन्धी कुछ पत्रों के उदाहरण इस प्रकार हैं-
(1) व्यापार में हुए नुकसान के कारण बकाया राशि का किश्तों में भुगतान करने के लिए कम्पनी को पत्र लिखिए।
लेखराज एण्ड सन्स,
नया बाँस,
दिल्ली।
दिनांक 26 जुलाई, 20XX
सेवा में,
कमल पाल एण्ड कम्पनी,
पटेल स्ट्रीट,
वडोदरा।
विषय- बकाया राशि का किश्तों में भुगतान हेतु।
महोदय,
आपका पत्र हमें कल प्राप्त हुआ। पत्रानुसार आपने हमसे शीघ्र भुगतान के लिए कहा है, लेकिन व्यापार में भारी घाटा होने के कारण हम बड़ी संख्या में अपने भुगतानों को कर पाने में स्वयं को असमर्थ महसूस कर रहे हैं। यही कारण है कि आपके भुगतान भी लम्बित पड़े हुए हैं। हमें इसका अत्यधिक खेद है। परिस्थितियाँ चूँकि हमारे नियन्त्रण से बाहर हैं, इसलिए ऐसे समय में आपके सहयोग की अपेक्षा है।
हम अपनी लेनदारी इकट्ठी कर रहे हैं, साथ ही अपने माल के स्टॉक को न्यूनतम लाभ पर बेच रहे हैं, ताकि नकद धन एकत्रित किया जा सके। परन्तु हम थोड़े-से समय में एक बड़ी राशि का संग्रह नहीं कर सकते। इसलिए हम पाक्षिक रूप से आपको दस हजार रुपये का चेक भेजने का प्रस्ताव आपके सम्मुख रख रहे हैं। आशा है आपको हमारा यह प्रस्ताव स्वीकार्य होगा। इस प्रकार हम आपकी पचास हजार रुपये की कुल राशि आगामी पाँच माह में चुकता कर पाने में सक्षम होंगे।
आपके सहयोग की अपेक्षा में।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर ……
विवेक रघुवंशी
लेखराज एण्ड सन्स
(2) भुगतान न किए जाने पर बिना बिके माल की वापसी हेतु कम्पनी की ओर से व्यापारी को पत्र लिखिए।
दिवाकर हौजरी प्रा. लि.,
झाँसी,
उ. प्र.।
दिनांक 26 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
मै. मुकुट लाल एण्ड सन्स,
दौलतपुरा,
गाजियाबाद।
विषय- बिना बिके माल की वापसी की व्यवस्था हेतु।
महोदय,
आपके द्वारा प्रेषित दिनांक 20 अप्रैल, 20XX का पत्र मिला, जिसमें आपने व्यापारिक मन्दी के चलते आपकी ओर देय राशि 25 हजार का भुगतान करने में असमर्थता जताई है। हम खेद के साथ लिख रहे हैं कि आपके द्वारा भुगतान हेतु माँगी गई दो माह की अतिरिक्त समयावधि बढ़ाने में हम असमर्थ हैं।
हम इस भुगतान हेतु पहले ही आपको काफी समय दे चुके हैं और अब आपके खाते को आगे लम्बित नहीं रख सकते। लिहाजा हमने आपकी विवशता को ध्यान में रखते हुए, बिना बिके हुए माल की वापसी का निर्णय लिया है ताकि माल की देय राशि आपके एकाउण्ट से कम की जा सके और बचे हुए अधिशेष का आपसे सरलता से भुगतान प्राप्त कर सकें।
आशा है, आपको हमारा उक्त प्रस्ताव पसन्द आएगा और आप शीघ्रातिशीघ्र बिना बिके माल की वापसी की व्यवस्था करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर …..
(राकेश बेदी)
दिवाकर हौजरी प्रा. लि.
(3) उत्पादों की बिक्री हेतु सोल एजेन्सी लेने के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।
रामलाल एण्ड सन्स,
दिल्ली।
दिनांक 26 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
नायडू पेस्टीसाइड्स प्रा. लि.,
चामराज पेट,
बंगलुरु।
विषय- सोल एजेन्सी लेने हेतु।
महोदय,
गत दिनों प्रगति मैदान, दिल्ली में आयोजित कृषि व्यापार मेले में आपके प्रतिनिधि से हमारी बातचीत हुई थी। हमने आपके उत्पाद देखे और हमें वह काफी बेहतर लगे। अब हम उत्तर भारत में आपके उत्पादों की बिक्री हेतु सोल एजेन्सी लेना चाहते हैं। हमने उत्तर भारत के पाँच राज्यों में आपकी सोल एजेन्सी लेने का विचार बनाया है। पेस्टीसाइड्स (कीटनाशक दवाओं) के व्यापार में लम्बे अरसे से संलग्न रहने के कारण हमारे पास सेल्स मैनों की अच्छी टीम है।
हमें विश्वास है कि यदि आप हमें वितरण का अवसर प्रदान करते हैं, तो हम निश्चित रूप से आपके माल के लिए ऑंर्डर प्राप्त करेंगे।
यदि आप उत्तर भारत में एजेन्सी देने के इच्छुक हैं तो कृपया अपनी व्यापारिक शर्तो का विवरण, उत्पादों का कैटलॉग एवं मूल्य-दरें शीघ्र भेजें।
शीघ्र पत्रोत्तर की अपेक्षा में।
धन्यवाद
भवदीय,
हस्ताक्षर……
(सुनील मान)
प्रबन्धक
(रामलाल एण्ड सन्स)
(4) सोल एजेन्सी देने से इनकार करते हुए कम्पनी की ओर से पत्र लिखिए।
लिंगम पेस्टीसाइड्स प्रा. लि.
कानपुर।
दिनांक 28 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
मै. गुप्ता एण्ड सन्स,
करोल बाग,
दिल्ली।
विषय- एजेन्सी देने के आवेदन को अस्वीकार करने हेतु।
महोदय,
आपके द्वारा दिनांक 25 अप्रैल, 20XX को भेजे गए पत्र के लिए धन्यवाद। इस पत्र के माध्यम से आपने हमसे हमारे उत्पादों की सोल एजेन्सी लेने की इच्छा प्रकट की है। हम आपकी इस इच्छा का आदर करते हैं, किन्तु हमें खेद है कि हमें आपका आवेदन देर से प्राप्त हुआ।
दरअसल, हमने अपना सोल एजेन्ट नियुक्त कर लिया है। परन्तु हमने आपके आवेदन-पत्र को अपनी फाइल में सुरक्षित रख लिया है। यदि भविष्य में हमें ऐसी कोई आवश्यकता हुए, तब हम आपसे अवश्य सम्पर्क करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(ए. के. लिंगम)
प्रबन्धक
लिंगम पेस्टीसाइड्स प्रा. लि.
(5) उत्पाद की लोकप्रियता के कारण अंशधारियों को नए अंश देने सम्बन्धी पत्र लिखिए।
टाटा टी लिमिटेड
वैलिंगटन रोड,
मुम्बई।
दिनांक 15 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
श्री रमेशचन्द जैन,
ढोलीखार,
आगरा।
विषय- अंशधारियों को नए अंश देने हेतु।
महोदय,
हम हर्ष के साथ आपको सूचित कर रहे हैं कि उच्च गुणवत्ता वाली चाय के कारण हमारी कम्पनी ने बाजार में पूर्ण विश्वास हासिल कर लिया है। हमारी चाय के आगे अन्य चाय कम्पनियों की चाय की लोकप्रियता फीकी पड़ गई है और बाजार में हमारी चाय की माँग काफी बढ़ गई है, जिसके फ़लस्वरुप हमें देशभर से चाय भेजने के ऑर्डर प्राप्त हो रहे हैं।
अतः चाय की माँग को पूरा करने के लिए निदेशक मण्डल ने कम्पनी में एक नया अनुभाग प्रारम्भ करने का निश्चय किया है, ताकि उत्पादन को बढ़ाया जा सके। कम्पनी ने यह निर्णय भी लिया है कि 50 लाख के नए शेयर जारी करके सम्पत्ति का प्रबन्ध किया जाए। प्रत्येक शेयर का मूल्य 100 होगा। ये शेयर हम पुराने शेयरहोल्डरों को ही देंगे। आप हमारे पुराने शेयरहोल्डर हैं, यदि आप शेयर खरीदने के इच्छुक हों, तो कृपया सूचित करें।
निदेशक मण्डल की आज्ञा से।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर……
(वी. के. राजपूत)
सचिव
(6) माल प्राप्त न होने के कारण रेलवे से क्षतिपूर्ति लेने हेतु रेलवे अधीक्षक को पत्र लिखिए।
नामदेव शू पैलेस,
चाँदनी चौक,
नई दिल्ली।
दिनांक 26 मई, 20XX
सेवा में,
मुख्य वाणिज्यिक अधीक्षक,
उत्तर रेलवे,
नई दिल्ली।
विषय- माल प्राप्त न होने पर रेलवे से क्षतिपूर्ति लेने हेतु।
महोदय,
हमें सहारनपुर के मुख्य पार्सल लिपिक ने सूचना दी है कि दिनांक 16 मई, 20XX को R/R संख्या 67564/XX के द्वारा बुक किया गया हमारा माल अभी तक नहीं पहुँचा है।
माल बुक करने के 10 दिन पश्चात् भी माल के न पहुँचने का सीधा अर्थ है कि माल रास्ते में कहीं गुम हो गया है। इसलिए हम उक्त माल की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए R/R की मूल प्रति तथा 25 हजार का बिल इस पत्र के साथ संलग्न कर रहे हैं।
आपसे निवेदन है कि हमारी क्षतिपूर्ति हेतु आप शीघ्र कार्रवाई करने का कष्ट करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर….
(सुरेन्द्र नामदेव)
प्रबन्धक
(नामदेव शू पैलेस)
(7) अपने बिल का भुगतान करने के लिए कम्पनी से अतिरिक्त समय की माँग करते हुए पत्र लिखिए।
दीवान एण्ड सन्स,
सोनीपत,
हरियाणा।
दिनांक 26 मई, 20XX
सेवा में,
देशबन्धु एक्सपोर्ट्स प्रा. लि.,
जलियाँवाला बाग,
अमृतसर।
विषय- बिल के भुगतान के लिए अतिरिक्त समय की माँग हेतु।
महोदय,
आपके द्वारा 24 मई, 20XX को भेजे गए पत्र के माध्यम से हमें हमारे एकाउण्ट का पूर्ण विवरण प्राप्त हुआ। हमें आपके 2 लाख का भुगतान करना है।
जैसा कि आप जानते हैं हमने आपके बिलों का भुगतान सदैव समय से किया है और आगे भी समय से करते रहेंगे, किन्तु इस बार किन्हीं विशेष परिस्थितियोंवश हमें आपसे कहना पड़ रहा है कि पिछले बकाया की अदायगी के लिए हमें कुछ दिनों का अतिरिक्त समय देने की कृपा करें। अभी हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, किन्तु हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि अगले तीन महीनों में हम आपकी अब तक की पूर्ण राशि का भुगतान कर देंगे।
आपके सहयोग की अपेक्षा में।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर ……
(विकास शर्मा)
प्रोपाइटर
(दीवान एण्ड सन्स)
ऑर्डर सम्बन्धी पत्र
व्यापार में ऑर्डर सम्बन्धी पत्र, वे पत्र होते हैं; जिनके द्वारा माल के ऑर्डर लिए अथवा दिए जाते हैं। किसी भी माल का ऑर्डर देते समय पत्र में उसकी किस्म, मात्रा, साइज, डिजाइन, पैकिंग, माल भेजने का तरीका, तिथि आदि का उल्लेख किया जाना चाहिए। यदि माल नाजुक अथवा कीमती है, तब इस सम्बन्ध में पत्र में माल का बीमा आदि करवाने हेतु निर्देश दिए जाने चाहिए। इसके अलावा यदि किसी फर्म को पहला ऑर्डर भेजा जा रहा है, तब भुगतान के ढंग का उल्लेख किया जाना आवश्यक है। यदि ऑर्डर में उधार माल भेजने की माँग की गई है, तब व्यापार सन्दर्भों का उल्लेख होना जरूरी है। कई बार माल का आर्डर कैन्सिल करना पड़ सकता है। ऐसे समय में खेद प्रकट करते हुए, भविष्य में इस प्रकार की सावधानी बरतने सम्बन्धी पत्र अवश्य भेजा जाना चाहिए।
यहाँ हम ऑर्डर सम्बन्धी कुछ पत्रों के माध्यम से इसे बेहतर ढंग से समझते हैं-
(1) पुस्तक विक्रेता को पुस्तकों का ऑर्डर देने के सम्बन्ध में बुको डिपो के प्रबन्धक की ओर से पत्र लिखिए।
श्याम बुक डिपो,
आदर्श नगर,
दिल्ली।
दिनांक 26 मई, 20XX
सेवा में,
विक्रय व्यवस्थापक,
अरिहन्त पब्लिकेशन्स (इण्डिया) लिमिटेड
कालिन्दी, टी.पी. नगर,
मेरठ (उ.प्र)।
विषय- पुस्तकों का ऑर्डर देने के सम्बन्ध में।
महोदय,
हमें आपके प्रतिनिधि से आपके संस्थान से प्रकाशित पुस्तकों की मूल्यों सहित नवीन सूची प्राप्त हुई है। हम आपके यहाँ से कुछ पुस्तकें रेल पार्सल द्वारा मँगवाना चाहते हैं।
पुस्तक का नाम | प्रतियों की संख्या | मुद्रित मूल्य |
व्यापारिक पत्र लेखन | 20 | 110 |
समसामयिकी महासागर (सामान्य विज्ञान-।) | 30 | 110 |
साक्षात्कार | 20 | 70 |
पुस्तकें भेजने से पहले कृपया यह देख लें कि वे कटी-फटी अथवा पुराने संस्करण की न हो।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर …..
(श्याम कुमार)
प्रबन्धक
(श्याम बुक डिपो)
(2) पुस्तक भण्डार के प्रबन्धक की ओर से पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
विद्या पुस्तक भण्डार,
विद्या विहार,
दिल्ली।
दिनांक 20 मई, 20XX
सेवा में,
बुक प्वाइण्ट,
मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
विषय- पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता हेतु।
महोदय,
आपके दिनांक 13 मई, 20XX के ऑर्डर के लिए धन्यवाद, किन्तु हमें खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आपने जिन पुस्तकों का ऑर्डर दिया है, उनका स्टॉक खत्म हो चुका है।
हमने ये पुस्तकें पुनर्मुद्रण हेतु भेजी हुई हैं, जो सम्भवतः 15 दिन में बिक्री हेतु तैयार हो जाएँगी। हमने आपका ऑर्डर अपनी ‘ऑर्डर फाइल’ में सुरक्षित रख लिया है, जैसे ही पुस्तकें तैयार हो जाएँगी, आपको भेज दी जाएँगी।
असुविधा के लिए खेद है।
सदैव आपकी सेवा में तत्पर।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर……
(विशाल गुप्ता)
विक्रय प्रबन्धक
(विद्या पुस्तक भण्डार)
(3) पापुलर वाच कम्पनी की ओर से घड़ी अनुभाग को घड़ियों के लिए ऑर्डर देने के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।
पापुलर वाच कं.,
कमला नगर,
दिल्ली।
दिनांक 27 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
विक्रय प्रबन्धक,
हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लि.,
(घड़ी अनुभाग),
बंगलुरु।
विषय- घड़ियों के ऑर्डर हेतु।
महोदय,
आपके दिनांक 25 अप्रैल, 20XX के कोटेशन सं. एपी/90/XX के सन्दर्भ में हमें अपने ऑर्डर सं. 807 के माध्यम से आपको 500 ‘एच.एल.टी. (HLT) सोना’ ब्राण्ड घड़ियों का ऑर्डर देते हुए हर्ष हो रहा है।
कृपया माल की भली प्रकार से अच्छी पैकिंग करवाएँ और पैसेन्जर रेलगाड़ी से एक हफ़्ते के भीतर भिजवाने की व्यवस्था करें।
इस समय हमारे पास घड़ियों की अत्यधिक माँग है। अतः कृपया समय सीमा का ध्यान रखते हुए शीघ्रातिशीघ्र माल भिजवाएँ।
आशा है, आप इस ऑर्डर के सम्बन्ध में त्वरित कार्रवाई करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(आर.आर. अग्रवाल)
प्रोप्राइटर
(पापुलर वाच कं.)
(4) माल भेजने में हुई देरी से उत्पन्न समस्या के कारण ऑर्डर कैन्सिल करने के सम्बन्ध में कम्पनी के प्रबन्धक को पत्र लिखिए।
जिन्दल एण्ड जिन्दल प्रा. लि.,
चबूतरा रोड,
आगरा।
दिनांक 21 मई, 20XX
सेवा में,
मै. दीवान चन्द एण्ड सन्स,
402, आदर्श नगर,
देहरादून।
विषय- माल भेजने में हुई देरी के कारण ऑर्डर कैन्सिल करने हेतु।
महोदय,
हमें अपने ऑर्डर संख्या 57/XX, दिनांक 21 अप्रैल, 20XX के सन्दर्भ में आपको यह बताते हुए अत्यन्त खेद हो रहा है कि हमारा माल एक माह बीत जाने के पश्चात् भी हमें प्राप्त नहीं हुआ है। इस सन्दर्भ में हमने पहले भी आपको कई पत्र लिखे, किन्तु आपकी ओर से हमें आज तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ। माल की आपूर्ति न होने के कारण हमें अपने ग्राहकों के सामने शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। आपसे अनुरोध है कि आप हमें अब माल न भेजें। हमारा वह ऑर्डर अब कैन्सिल समझा जाए।
धन्यवाद सहित।
भवदीय,
हस्ताक्षर……
(राकेश जिन्दल)
प्रबन्धक
जिन्दल एण्ड जिन्दल प्रा. लि
(5) ग्राहक के दिवालिया होने की समस्या के कारण ऑर्डर के निरस्तीकरण के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।
के. एण्ड के. डिस्ट्रीब्यूटर्स,
साल्ट लेक,
कोलकाता।
दिनांक 28 जून, 20XX
सेवा में,
सूर्यवंशी एन्टरप्राइजेज,
जुहू,
मुम्बई।
विषय- ग्राहक के दिवालिया होने के कारण ऑर्डर के निरस्तीकरण हेतु।
महोदय,
हमने आपको 1 जून, 20XX को 500 आयातित चमड़े की बैल्ट का ऑर्डर दिया था। परन्तु हमें खेद के साथ इस ऑर्डर का निरस्तीकरण करने का आपसे अनुरोध करना पड़ रहा है। दरअसल हमने अपने जिस ग्राहक की माँग पर उक्त माल की आपूर्ति हेतु आपको ऑर्डर दिया था, वह आज पूरी तरह खुद को दिवालिया घोषित कर चुका है।
अतः आपसे अनुरोध है कि उक्त ऑर्डर को तुरन्त निरस्त कर दिया जाए। आपको हुई परेशानी के लिए हमें खेद है। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि जल्द ही हम आपका नया ऑर्डर भेजेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर …..
(रामसिंह)
प्रबन्धक
के. एण्ड के. डिस्ट्रीब्यूटर्स
सन्दर्भ सम्बन्धी पत्र
सन्दर्भ सम्बन्धी पत्र ऐसे पत्र होते हैं, जिनके माध्यम से किसी फर्म अथवा व्यापारी की प्रामाणिक जानकारी माँगी जाती है। चूँकि, उधारी व्यापार का एक मुख्य पहलू होता है, अतः एक व्यापारी के लिए किसी भी फर्म को माल उधार देने से पूर्व उसकी आर्थिक मजबूती, बाजार में प्रतिष्ठा आदि की जाँच-पड़ताल करना जरूरी होता है।
सन्दर्भ पत्रों के द्वारा ऐसी ही फर्मों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि कई बार विक्रेता को जब तक नए ग्राहक से सन्दर्भ प्राप्त नहीं हो जाता, वह ग्राहक को माल की आपूर्ति नहीं करता।
किसी व्यक्ति अथवा संस्था के लिए सन्दर्भ सूचना देने वाले को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सूचना चाहे फर्म के पक्ष में हो अथवा विपक्ष में; उसे यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि सूचना चाहे फर्म के पक्ष में हो अथवा विपक्ष में; उसे यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि वह इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा और उसकी सूचना गोपनीय रखी जाएगी।
सन्दर्भ सम्बन्धी पत्रों में प्रतिकूल दृष्टिकोण प्रस्तुत करते समय फर्म के नाम का उल्लेख करने के स्थान पर यह लिखा जाना चाहिए कि, ‘आपने जिस फर्म के बारे में सूचना माँगी है’ अथवा ‘आपने जिस फर्म का उल्लेख किया है’ आदि। पत्र में अपने दृष्टिकोण को तटस्थता के साथ प्रयोग करना चाहिए।
सन्दर्भ सम्बन्धी पत्रों के उदाहरण अग्रलिखित हैं-
(1) बाबूराम एण्ड कम्पनी द्वारा सन्दर्भ रूप में दी गई फर्म सर्वेश्वर एण्ड सन्स को सन्दर्भ पत्र लिखिए, जिसमें आप बाबूराम एण्ड कम्पनी के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।
रामनाथ एण्ड सन्स,
खारी बावली,
दिल्ली।
दिनांक 16 मई, 20XX
सेवा में,
मै. सर्वेश्वर एण्ड सन्स,
लालगंज,
प्रतापगढ़ (उ.प्र.)।
विषय- माल के ऑर्डर के लिए सन्दर्भ की जानकारी हेतु।
महोदय,
हमें मै. बाबूराम एण्ड कम्पनी, प्रतापगढ़ (उ.प्र.) की ओर से 50 हजार का माल भेजने का ऑर्डर प्राप्त हुआ है। इस फर्म के साथ हमारा यह प्रथम लेन-देन (डीलिंग) है। सन्दर्भ के रूप में फर्म ने आपके नाम का उल्लेख किया है।
हम आपके आभारी रहेंगे यदि आप हमें इस सम्बन्ध में जानकारी मुहैया कराएँगे कि आप इस फर्म को कितने लम्बे समय से जानते हैं।
हम यह जानना चाहते हैं कि आपके विचार से प्रथम ऑर्डर की आपूर्ति में हमें उक्त फर्म को उधार माल देने का जोखिम उठाना चाहिए अथवा नहीं। यदि नहीं, तो भविष्य में कितनी राशि तक का जोखिम उठाना सुरक्षित रहेगा।
हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि इस फर्म की बाजार प्रतिष्ठा और सुदृढ़ आर्थिक स्थिति के विषय में आपके द्वारा दी गई सूचना गोपनीय रखी जाएगी।
कष्ट के लिए क्षमा, अवसर पड़ने पर हम भी आपकी सेवा में तत्पर रहेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
(जयराम)
रामनाथ एण्ड सन्स
(2) सर्वेश्वर दयाल एण्ड सन्स की ओर से सन्दर्भ पत्र के अनुकूल उत्तर देने के सम्बन्ध में पत्र।
सर्वेश्वर दयाल एण्ड सन्स,
लालगंज,
प्रतापगढ़।
दिनांक 20 मई, 20XX
सेवा में,
रामनाथ एण्ड सन्स,
खारी बावली,
दिल्ली।
विषय- फर्म की जानकारी से सम्बन्धित सन्दर्भ पत्र के अनुकूल उत्तर हेतु।
महोदय,
आपके दिनांक 16 मई, 20XX को लिखे पत्र के उत्तर में हम आपको निम्नलिखित सूचनाएँ दे सकते हैं।
आपके द्वारा जिस फर्म के बारे में सूचना माँगी गई है, यह स्थानीय व्यापार जगत् की नामी-गिरामी एवं प्रतिष्ठित फर्म हैं। जहाँ तक हमें जानकारी है, यह फर्म विगत 15 वर्षों से अधिक समय से व्यापार कर रही है।
हम इस फर्म के साथ पिछले 10 वर्षों से व्यापार कर रहे हैं, हमारे सामने अभी तक उक्त कम्पनी के साथ भुगतान सम्बन्धी कोई भी समस्या नहीं आई है। यह सूचना आपके उपयोग के लिए है, और बिना किसी उत्तरदायित्व के दी जा रही है।
हमें आशा है कि यह सूचना आपके उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होगी। हम इतना दावे के साथ कह सकते हैं कि यदि आप इस फर्म के साथ जुड़ते हैं, तो आपको साफ एवं स्वच्छ छवि वाली एक फर्म के साथ व्यापार करने का अवसर मिलेगा।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर……
(सुरेश गोयल)
सर्वेश्वर दयाल एण्ड सन्स
शिकायत सम्बन्धी पत्र
एक फर्म जब दूसरी फर्म अथवा व्यवसायी की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती, तब उनके बीच शिकायत की स्थिति पैदा हो जाती है। माल का ऑर्डर समय पर न डिलीवर कर पाना, डिलीवर माल में टूट-फूट, भुगतान का तरीका पसन्द न आना, खराब माल पहुँचाना आदि जैसे अनेक मुद्दे हैं, जब विभिन्न फ़र्में एवं व्यवसायी शिकायत पत्रों के माध्यम से अपनी बात रखते हैं। शिकायत पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस सम्बन्ध में शिकायत की जा रही है, उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।
शिकायत सम्बन्धी पत्रों के उदाहरण इस प्रकार हैं-
(1) साइकिल की कीमत अधिक लगाने पर साइकिल कम्पनी के प्रबन्धक को शिकायती-पत्र लिखिए।
15, जुनेजा साइकिल स्टोर,
जहाँगीरपुरी,
दिल्ली।
दिनांक 26 मई, 20XX
सेवा में,
मैं. नेहरा साइकिल कम्पनी,
झण्डेवालान,
नई दिल्ली।
विषय- साइकिल की कीमत अधिक लगाने की शिकायत हेतु।
महोदय,
दिनांक 25 मई, 20XX को भेजे आपके बिल को देखकर हमें घोर आश्चर्य हो रहा है कि आपने हमें एटलस साइकिल, 18 इंच का मूल्य काफी अधिक लगाया है।
एक सप्ताह पहले जहाँगीरपुरी के एक अन्य साइकिल विक्रेता किशन कुमार ने 100 साइकिलें, इसी ब्रांड की मँगवाई थीं। उनसे आपने हमारी अपेक्षा 50 प्रति साइकिल कम लिए हैं।
आपके द्वारा किये गए इस भेदभाव से हमें धक्का लगा है। आप तो जानते ही हैं कि किशन कुमार से हमारी व्यापारिक प्रतिस्पर्धा है। वह ग्राहकों को जिस कीमत पर साइकिलें बेच रहा है, यदि हम भी उस कीमत पर बेचें, तो हमें घाटा होगा। न चाहते हुए भी हमें, उससे अधिक कीमत पर साइकिलें बेचनी पड़ रही हैं। इससे हमारे ग्राहक भी टूट रहे हैं।
अतः आपसे अनुरोध है कि आप हमें भी साइकिलों का वही मूल्य लगाएँ, जो आपने किशन कुमार को लगाया है।
आपके जवाब की प्रतीक्षा में।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर ……
(राकेश जुनेजा)
जुनेजा साइकिल स्टोर
(2) माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर कम्पनी के प्रबन्धक को शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।
शंकर एण्ड सन्स,
कपूरथला,
पंजाब।
दिनांक 20 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
दीपमाला एण्ड कम्पनी,
स्टेशन रोड,
लखनऊ।
विषय- माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर शिकायत हेतु।
महोदय,
हमें आपका दिनांक 5 मार्च, 20XX का पत्र 15 मार्च, 20XX को प्राप्त हुआ था, जिसमें उल्लेख था कि यदि हम आपके यहाँ से 1000 से अधिक का माल खरीदते हैं, तो हमें 25% की छूट और मुफ़्त पैंकिग व माल भाड़े की सुविधा प्रदान की जाएगी। परन्तु खेद है कि हमारे द्वारा 8000 के माल की खरीद के बावजूद भी आपने अपने दिनांक 3 अप्रैल के बिल सं. 115 द्वारा हमसे पैंकिंग और माल भाड़े के शुल्क की वसूली के साथ ही हमें केवल 20% छूट ही प्रदान की।
यद्यपि हमने माल प्राप्त कर लिया, परन्तु हमें आपके द्वारा की गई अतिरिक्त वसूली के लिए क्रेडिट नोट प्राप्त करने के सम्बन्ध में पूछताछ का अधिकार है।
हमारे विचार से यह त्रुटि आपके बिलिंग और डिस्पैच विभाग की लापरवाही से हुई होगी।
उचित कार्रवाई हेतु प्रेषित।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(शिव शंकर)
प्रोपाइटर
शंकर एण्ड सन्स
धन्यवाद सम्बन्धी पत्र
व्यापारिक दृष्टिकोण से धन्यवाद सम्बन्धी पत्रों का अपना महत्त्व है। ये पत्र एक फर्म अथवा व्यवसायी द्वारा अपने ग्राहकों, परामर्शदाताओं आदि को लिखे जाते हैं। ऐसे पत्र किसी पुराने ग्राहक से माल के लिए बड़ा ऑर्डर मिलने पर उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए भी लिखे जाते हैं। धन्यवाद सम्बन्धी पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि पत्र में उन बातों का उल्लेख हो, जिनके लिए धन्यवाद व्यक्त किया गया है।
धन्यवाद सम्बन्धी पत्रों में चापलूसी नहीं झलकनी चाहिए। ये पत्र जितनी जल्दी हो सके, लिख देने चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि देर से लिखे जाने पर, ऐसे पत्रों की उपयोगिता एवं प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
धन्यवाद सम्बन्धी व्यापारिक पत्र इस प्रकार हैं-
(1) व्यापारिक लेन-देन के सम्बन्ध में कम्पनी की ओर से पहला ऑर्डर प्राप्त करने पर धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
जमना लाल एण्ड कम्पनी,
जयपुर,
राजस्थान।
दिनांक 2 मई, 20XX
सेवा में,
मैं. गुलाटी एण्ड सन्स,
किला रोड,
आगरा (उ. प्र.)।
विषय- व्यापारिक लेन-देन के सम्बन्ध में पहला ऑर्डर प्राप्त करने हेतु।
महोदय,
दिनांक 28 अप्रैल, 20XX के पत्र के माध्यम से दिए गए ऑर्डर के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आप हमारे नए ग्राहक हैं तथा हमारे और आपके बीच यह पहला व्यापारिक लेन-देन है इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप अपने बैंकर सन्दर्भ और अन्य दो व्यापार सन्दर्भ के नाम भेजें। हम नए ग्राहकों के सम्बन्ध में ऐसी नियमावली का पालन करते हैं।
इस सम्बन्ध में प्रक्रिया पूर्ण होते ही हम आपके ऑर्डर की शीघ्रातिशीघ्र पूर्ति का प्रयास करेंगे। आशा है यह हमारे लम्बे व्यापारिक सम्बन्धों की शुरुआत होगी।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर……
(जगमोहन)
जमना लाल एण्ड कम्पनी
(2) आपकी कम्पनी को उत्पादों की एजेन्सी देने के लिए उत्पाद कम्पनी के प्रबन्ध निदेशक को धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
कृष्णा लैदर्स इण्डिया प्रा. लि.,
करोल बाग,
दिल्ली।
दिनांक 17 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
मै. स्वेतलाना टैनरीज लि.,
गागरिन रोड,
मॉस्को (रूस)।
विषय- उत्पादों की एजेन्सी प्रदान करने हेतु।
महोदय,
आपके द्वारा भेजे गए दिनांक 10 अप्रैल, 20XX के पत्र के लिए धन्यवाद। आपने हमें अपने उत्पादों की सोल एजेन्सी प्रदान करने की अनुमति दी, इसके लिए एक बार पुनः धन्यवाद। हम अत्यधिक हर्ष के साथ लिख रहे हैं कि आपके द्वारा भेजी गई व्यापारिक शर्ते, मूल्य-सूची एवं सैम्पलों से हम पूर्णतः सन्तुष्ट हैं और भारत में आपकी सोल एजेन्सी लेने के लिए तैयार हैं।
हमें विश्वास है कि हम भारत में आपके उत्पादों की अच्छी बिक्री कर सकेंगे, जिससे आपका व्यापार यूरोप, अमेरिका के साथ-साथ भारत जैसे विशाल देश में भी फैलेगा।
कृपया आगामी कागजी कार्यवाही एवं अनुबन्ध आदि की प्रक्रिया से अवगत कराएँ, ताकि हम आपको शीघ्र ऑर्डर भेज सकें।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(एम. कृष्णा)
प्रबन्ध निदेशक
कृष्णा लैदर्स इण्डिया प्रा. लि.
(3) बैंक में खाता खोलने के सन्दर्भ में बैंक की ओर से धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
भारतीय स्टेट बैंक,
मधुबन, उदयपुर,
राजस्थान।
दिनांक 28 मई, 20XX
सेवा में,
श्री धर्मेन्द्र कुमार,
डी. सी. पी., उदयपुर,
राजस्थान।
विषय- बैंक में खाता खोलने हेतु।
महोदय,
हमारी शाखा में आपके द्वारा भेजा गया बचत खाता खुलवाने सम्बन्धी पत्र प्राप्त हुआ। हमारी शाखा से जुड़ने की इच्छा प्रकट करने के लिए आपका धन्यवाद। आपकी माँग के अनुसार हम बचत खाता खोलने सम्बन्धी सभी आवश्यक फार्म आदि भेज रहे हैं, जिन्हें भरकर आप किसी भी कार्यदिवस में हमारे बैंक में उपस्थित होकर खाता खुलवा सकते हैं। आपका सदैव स्वागत है। आप निम्नलिखित में से किसी एक को पहचान पत्र के रूप में फार्म के साथ संलग्न कर सकते हैं-
पासपोर्ट की प्रति
गैस कनेक्शन रसीद
वाहन चलाने का वैध लाइसेन्स
मतदाता पहचान पत्र
अद्यतन टेलीफोन बिल
अद्यतन बिजली बिल
इनके अतिरिक्त निम्नलिखित दस्तावेज देने आवश्यक हैं-
पैन/जी.आई.आर. क्रमांक अथवा फार्म 60 का प्रमाण
(नकद जमा के मामले में)
अद्यतन पासपोर्ट साइज दो फोटोग्राफ
आपकी सेवा में सदैव तत्पर।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(रविन्द्र सलूजा)
प्रबन्धक
साख सम्बन्धी पत्र
व्यापारिक क्षेत्र में साख सम्बन्धी पत्र एक महत्त्वपूर्ण कड़ी का काम करते हैं। दरअसल, एक विक्रेता अपने प्रतिनिधि को जब माल की बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से सुदूर क्षेत्र में भेजता है, तब उस क्षेत्र के ग्राहकों, अपने परिचित संस्थानों या बैंकों से उस प्रतिनिधि का सहयोग करने के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, वे ‘साख सम्बन्धी पत्र’ कहलाते हैं।
इन पत्रों में विक्रेता सम्बन्धित लोगों से आवश्यकता पड़ने पर अपने प्रतिनिधि की आर्थिक मदद करने के लिए भी कहता है।
साख-पत्र में प्रतिनिधि को दी जाने वाली निश्चित रकम का उल्लेख होता है अथवा उसकी सीमा निर्धारित होती है। साख-पत्र साधारण और सर्कुलर (सामूहिक) दो प्रकार का हो सकता है। साधारण साख-पत्र द्वारा एक व्यक्ति अथवा एक फर्म को सम्बोधित किया जाता है, जबकि सामूहिक साख-पत्र द्वारा एक से अधिक व्यक्ति अथवा फर्म को सम्बोधित किया जाता है। साख सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
(1) धन की आवश्यकता होने पर कपूर एण्ड कम्पनी की ओर से पंजाब नेशनल बैंक के प्रबन्धक को साख-पत्र जारी करने के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।
कपूर एण्ड कम्पनी,
55, पटेल रोड,
चेन्नई।
दिनांक 25 अगस्त, 20XX
सेवा में,
प्रबन्धक महोदय,
पंजाब नेशनल बैंक,
पटेल रोड,
चेन्नई।
विषय- धन की आवश्यकता के कारण साख-पत्र जारी करने हेतु।
महोदय,
मैं एक व्यापारिक यात्रा पर दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखण्ड, पंजाब और जम्मू जा रहा हूँ। मुझे यात्रा के समय धन की आवश्यकता है। मैं आपका आभारी रहूँगा, यदि आप मुझे 35000 (पैंतीस हजार रुपये मात्र) की साख हेतु एक परिपत्र जारी करके, अपने सेवा प्रभार सहित उक्त राशि को मेरे खाते में डेबिट कर देंगे। यह साख-पत्र जारी होने की तिथि से 3 माह तक वैध होना चाहिए।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(राम कपूर)
कपूर एण्ड कम्पनी
समस्या सम्बन्धी पत्र
व्यापार में शिकायतें शुरू हुई नहीं कि समस्याएँ अपने आप सामने आने लगती हैं। शिकायतों से सम्बन्धित पत्रों के सम्बन्ध में हम पूर्व में अध्ययन कर ही चुके हैं।
दरअसल, समस्या सम्बन्धी व्यापारिक पत्र शिकायती पत्रों का ही एक रूप है। ऐसे पत्र भविष्य के लिए व्यावसायिक सम्बन्धों को तोड़ने, किसी बात को अस्वीकार करने, क्षतिपूर्ति से मुख मोड़ने आदि विषयों पर लिखे जा सकते हैं।
समस्या सम्बन्धी कुछ पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(1) खराब माल प्राप्त होने से उत्पन्न समस्या को बताते हुए उत्पाद कम्पनी के प्रबन्धक को पत्र लिखिए।
गुप्ता बूट हाउस,
ग्रीन विलेज,
बंगलुरु।
दिनांक 26 मई, 20XX
सेवा में,
मै. फीनिक्स शूज लिमिटेड,
सेक्टर 63,
नोएडा।
विषय- माल खराब होने से उत्पन्न समस्या सम्बन्धी पत्र।
महोदय,
हमें खेद प्रकट करते हुए आपको सूचित करना पड़ रहा है कि आपने हमारे ऑर्डर सं. 87 के सन्दर्भ में 23 मई, 20XX को जूतों के जो 13 कॉर्टन भेजे थे, उनमें से 3 कॉर्टन के 8 जोड़ी जूते हमारे मानदण्डों के अनुरूप नहीं हैं। 13 जोड़ी जूतों के सोल चटख़े हुए हैं, जबकि 5 जोड़ी जूतों की पेस्टिंग और सिलाई ठीक से नहीं हुई है।
हमारे और आपके बीच कुछ व्यापारिक शर्ते तय हुई थीं। उनके अनुसार, कृपया खराब माल को बदलकर उनकी जगह नए माल को शीघ्र भिजवाने की व्यवस्था करें।
कृपया इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस तरह की पुनरावृत्ति भविष्य में न होने पाए।
धन्यवाद सहित।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(मदन गुप्ता)
प्रोपाइटर,
गुप्ता बूट हाउस
(2) बैंक की पास-बुक की प्रविष्टियों में गड़बड़ी होने की समस्या के निदान हेतु बैंक के प्रबन्धक को पत्र लिखिए।
राधेश्याम एण्ड सन्स,
सदर बाजार,
लखनऊ।
दिनांक 28 मई, 20XX
सेवा में,
प्रबन्धक महोदय,
यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया,
सदर बाजार,
लखनऊ।
विषय- बैंक पास-बुक की प्रविष्टि में गड़बड़ी की समस्या हेतु।
महोदय,
आपके बैंक में हमारा चालू खाता सं. 23567 है। हमने अपनी पास-बुक की प्रविष्टियाँ पूर्ण करवाने हेतु 27 मई, 20XX को बैंक में भेजी थीं। आज जब हमने प्रविष्टियों की की, तो पाया कि वर्तमान में हमारे खाते में 13,755 शेष हैं। हमारे रिकॉर्ड के अनुसार यह प्रविष्टि त्रुटिपूर्ण है।
त्रुटि को ठीक करने हेतु हम पुनः अपनी पास-बुक भेज रहे हैं। कृपया जाँच करके उक्त त्रुटि को सुधारकर सही प्रविष्टि अंकित कर दें।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर…..
(दिनेश चन्द)
राधेश्याम एण्ड सन्स
ई-मेल (ई-पत्र)
ई-मेल दो शब्दों के मेल से बना है ‘ई + मेल’, से अभिप्राय है- इलेक्ट्रॉनिक जबकि मेल का हिन्दी पर्याय है- डाक। इस प्रकार कहा जा सकता है कि विद्युत के वेग समान भेजी जाने वाली डाक, इलेक्ट्रॉनिक मेल अथवा ई-मेल कहलाती है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार शब्द के रूप में प्रयोग में लाए जाने वाले संचार के रूपों में से ई-मेल भी एक रूप है। ई-मेल का प्रयोग बड़े पैमाने पर विशेष रूप से होता है। अनुरोध करने, सिफारिशों, निर्देश, बैठक आदि कार्यों एवं संवाद स्थापित करने में ई-मेल का प्रयोग किया जाता है। ई-मेल राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रेता और विक्रेता के बीच संचार का सस्ता व सर्वोत्तम माध्यम है।
आज कम्प्यूटर के दौर में ई-मेल के द्वारा ऑनलाइन-पत्र भेजे जाते हैं। ऑनलाइन भेजे जाने वाले पत्र पलक झपकते ही अपने गन्तव्य तक पहुँच जाते हैं। इस प्रकार पत्र को इन्टरनेट की सहायता से ई-मेल के द्वारा ‘प्रेषिती’ (प्राप्तकर्ता) तक पहुँचाना ‘ऑनलाइन पत्र’ या ‘ई-पत्र’ कहलाता है। ऑनलाइन पत्र भेजने के लिए प्रेषक व प्रेषिती दोनों के पास अपना वैध ‘ई-मेल’ आइडी होनी अनिवार्य है। ई-मेल के जरिए न सिर्फ सन्देशों का बल्कि डिजिटल दस्तावेजों, वीडियो आदि को अटैच (संलग्न) करके किसी दूसरे ई-मेल पते पर भेजा एवं प्राप्त किया जाता है। वर्तमान समय में सैकड़ों वेबसाइट हैं जो ई-मेल आइडी बनाने की सुविधा उपलब्ध कराती हैं- जी-मेल, याहू, रेडिफ मेल, हॉट मेल आदि।
ई-मेल पते के घटक
ई-मेल पते के तीन घटक पर होते हैं- यूजर नेम (उपयोगकर्ता का नाम), प्रतीक (@) एवं डोमेन नेम (जी-मेल, याहू, हॉट मेल आदि)। उदाहरण के तौर snehagupta@gmail.com में snehagupta यूजर नेम है, @ अपने आप में प्रतीक है, जबकि gmail.com डोमेन नेम है।
ई-मेल की आवश्यकता
(i)आज जीवन में प्रतिदिन के कार्यों में व एक-दूसरे से सम्पर्क स्थापित करने हेतु ई-मेल की आवश्यकता होती है।
(ii)कम्पनी की उत्पादनकर्ता का ग्राहकों अथवा उपभोक्ताओं के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए ई-मेल की आवश्यकता होती है। उपभोक्ता शीघ्र ही कम्पनी को उत्पाद से सम्बन्धित समस्याओं से अवगत करा सकता है तथा अपने सुझाव भी दे सकता है।
(iii)जानकारी अथवा सन्देश को किसी भी व्यक्ति तक अति शीघ्र पहुँचाने के लिए ई-मेल की आवश्यकता होती है।
(iv)माउस के एक क्लिक से अपनी शिकायतों, समस्याओं, निमन्त्रण, शुभकामनाओं को सम्बन्धित व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए ई-मेल को प्रयोग में लाया जाता है।
(v)ई-मेल एक सुविधाजनक संचार पद्धति है। इसके माध्यम से बिना किसी असुविधा के दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति, सगे-सम्बन्धियों से सम्पर्क स्थापित करने के लिए ई-मेल की आवश्यकता होती है।
(vi)ई-मेल के द्वारा कम खर्च एवं कम समय में सन्देश पहुँचाया व प्राप्त किया जा सकता है।
(vii)ई-मेल के सरल व त्वरित संचार का माध्यम होने के कारण आज ई-मेल की उपयोगिता बहुत बढ़ गई है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ई-मेल एक प्रभावी साधन है।
पत्र-लेखन व ई-मेल में अन्तर
पत्र-लेखन व ई-मेल में कुछ मुख्य अन्तर निम्नलिखित है-
(i) पत्र-लेखन में डाक द्वारा प्रेषक अपने पत्र को प्रेषित करता है तथा ई-मेल एक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है जिसमें प्रेषक कम्प्यूटर एवं इन्टरनेट के माध्यम से ई-मेल द्वारा अपने सन्देश व पत्र को प्रेषित करता है।
(ii) पत्र-लेखन में प्रेषक लिखित रूप में स्वयं अपनी हस्तलिपि में लिखता है जिसमें वैयक्तिक स्पर्श का आभास होता है, जबकि ई-मेल में ऐसा नहीं होता।
(iii) पत्र-लेखन में प्रेषक व पत्र प्राप्तकर्ता के घर का पता होना अनिवार्य होता है, जबकि ई-मेल में प्रेषक व प्रेषिती (प्राप्तकर्ता) का वैध ई-मेल अकाउण्ट होना अनिवार्य होता है।
(iv) पत्र-लेखन में प्रेषक द्वारा भेजे गए पत्र को प्राप्तकर्ता तक पहुँचने में समय लगता है, जबकि ई-मेल सन्देश पहुँचाने व प्राप्त करने का त्वरित माध्यम है।
(v) डाक द्वारा भेजे गए पत्र का तुरन्त उत्तर नहीं दिया जा सकता जबकि ई-मेल का तुरन्त उत्तर दिया जा सकता है।
ई-मेल का मुख्य भाग
ई-मेल को सिलसिलेवार क्रम में प्रस्तुत किया जाता है अथवा लिखा जाता है, वे ई-मेल के भाग कहलाते हैं। सामान्यतः ई-मेल के भाग निम्नलिखित होते हैं-
(1) आरम्भ-
ई-मेल के प्रारम्भ में सन्देश प्राप्तकर्ता अथवा प्रेषिती का पता लिखा जाता है। ‘To’ के अन्तर्गत जिस व्यक्ति को ई-मेल भेजा जा रहा है उसका ई-मेल पता लिखा जाता है; जैसे- To : nehasharma@gmail.com
यदि एक से अधिक अर्थात तीन व्यक्तियों को ई-मेल भेजना है तो To में जाकर ई-मेल आइडी का प्रयोग कर तीनों को ई-मेल भेज सकते हैं। ‘To में जाकर ई-मेल आइडी का प्रयोग कर तीनों को ई-मेल भेज सकते हैं। ‘To’ करने से तीनों में से किसी को भी यह ज्ञात नहीं हो पाएगा कि अन्य दो व्यक्ति कौन हैं? जिन्हें यह ई-मेल भेजा गया है।
CC का अर्थ है कार्बन कॉपी (Carbon Copy)। इसके अन्तर्गत यदि एक व्यक्ति को ई-मेल भेजना है और यदि आप चाहते हैं कि अन्य दो लोगों को यह पता रहे क्या भेजा है तब अन्य दो लोगों का ई-मेल पता CC में डाल सकते हैं जिससे सबका ई-मेल भी एक दूसरे को दिख जाएगा।
BCC का अर्थ है ब्लाइंड कार्बन कॉपी (Blind Carbon Copy)। BCC करने से ई-मेल जिस-जिस को किया गया हैं वह किसी को भी ज्ञात नहीं होता है, गुप्त रहता है।
(2) विषय-
ई-मेल के दूसरे भाग विषय अथवा सब्जेक्ट के अन्तर्गत जिस सन्देश को लिखा जा रहा है। उसे संक्षेप में इसके अन्तगर्त बताया जाता है; जैसे- होली की शुभकामनाएँ।
(3) सन्देश-
इसके अन्तर्गत मूल विषय का विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाता है। मूल विषय ध्यानपूर्वक इसके अन्तर्गत लिखा जाता है तथा अनुच्छेदों (पैराग्राफ) के मध्य थोड़ी जगह भी छोड़ी जाती है।
(4) अटैचमेन्ट-
सन्देश प्रेषित करते समय यदि किसी दस्तावेज को सन्देश अथवा पत्र आदि के साथ संलगित करना होता है तो अटैचमेन्ट के द्वारा उसे सन्देश अथवा पत्र के साथ भेजा जाता है। ध्यान रहे अटैचमेन्ट का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब वह दस्तावेज कम्प्यूटर में सुरक्षित (सेव) हो।
(5) अन्त-
ई-मेल में अन्त में जब सन्देश लिखा जा चुका हो तथा आवश्यकता पड़ने पर अटैचमेन्ट लगाई जा चुकी हो तत्पश्चात् सम्बन्धित व्यक्ति को सन्देश प्रेषित करने के लिए सेंड (Send) के विकल्प का प्रयोग किया जाता है। सेंड के एक क्लिक करने से प्रस्तुत ई-मेल सम्बन्धित व्यक्ति/व्यक्तियों तक पहुँच जाएगी जिसका ई-मेल लिखा गया है।
ई-मेल के प्रकार
ई-मेल का प्रयोग वैयक्तिक अथवा निजी प्रयोग हेतु किया जाता है तथा व्यापार एवं कार्यालय के प्रयोग हेतु अपनी शिकायत, समस्या, उत्पाद खरीदने आदि के लिए भी किया जाता है। इस प्रकार ई-मेल के दो प्रकार होते हैं-
(1) औपचारिक ई-मेल (Formal E-mail)
(2) अनौपचारिक ई-मेल (Informal E-mail)
(1) औपचारिक ई-मेल
औपचारिक ई-मेल उन लोगों को भेजे जाते हैं जिनसे हमारा कोई निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नहीं होता। किसी संस्था, अधिकारी, व्यापारियों आदि से सम्पर्क स्थापित करने के लिए भेजे जाने वाले ऑनलाइन सन्देश एवं पत्रों को औपचारिक ई-मेल कहा जाता है।
औपचारिक ई-मेल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
(i)ई-मेल भेजने के प्रारम्भ में जिसे सन्देश प्रेषित करना होता है, उसका सही व वैध ई-मेल पता लिखा जाना चाहिए।
(ii)औपचारिक ई-मेल भेजते समय ई-मेल प्राप्तकर्ता के लिए श्रीमान, मान्यवर, महोदय आदि आदर सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
(iii)औपचारिक ई-मेल करते समय विषय-वस्तु को कम शब्दों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।
(iv)अनुच्छेद के बीच में उचित स्थान दिया जाना चाहिए।
(v)ई-पत्र लिखते समय आवश्यकता पड़ने पर महत्त्वपूर्ण बातों के लिए बुलेट्स आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
(vi)ई-मेल द्वारा भेजे गए औपचारिक पत्र में आदर सहित आदि लिखकर पत्र का अन्त या समापन करना चाहिए।
(vii)ई-मेल भेजने से पूर्व अन्त में ध्यानपूर्वक पुनः ई-मेल को पढ़ लेना चाहिए।
(1) ए.टी.एम. कार्ड न मिलने की शिकायत सम्बन्धी ई-पत्र लिखिए।
To< debitcard@bobcards.com > |
Subject: एटीएम कार्ड न मिलने की शिकायत |
सेवा में,
श्रीमान महाप्रबन्धक,
बैंक ऑफ बड़ौदा,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
कोलाबा, मुम्बई-400001
महोदय,
मेरा खाता नं. ……. हैं। मैंने एक माह पहले ए.टी.एम. कार्ड के लिए आवेदन किया था, किन्तु यह मुझे अभी तक नहीं मिल सका है। कृपया बताएँ इस देरी की क्या वजह है।
आपसे निवेदन है कि आप मेरा ए.टी.एम. कार्ड शीघ्र से शीघ्र मेरे पते पर भेजने का कष्ट करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
पीयूष कुमार
अनौपचारिक ई-मेल
अपने सगे-सम्बन्धियों, मित्रों, पारिवारिक सदस्यों को सुख-दुःख, हर्ष, उत्साह, निमन्त्रण, शुभकामनाओं आदि को भेजने व प्राप्त करने वाले ऑनलाइन पत्र अथवा सन्देश को अनौपचारिक ई-मेल की श्रेणी में रखा जाता हैं। अनौपचारिक ई-मेल की भाषा आत्मीय और हृदय को स्पर्श करने वाली होती है।
अनौपचारिक ई-मेल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
(1) ई-मेल भेजने के प्रारम्भ में जिसे सन्देश प्रेषित करना होता है, उसका सही व वैध ई-मेल पता लिखा जाना चाहिए।
(2) अनौपचारिक ई-मेल भेजते समय ई-मेल प्राप्तकर्ता के लिए श्रीमान, प्रिय, आदरणीय आदि आदर सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
(3) अनौपचारिक ई-मेल में सन्देश अथवा पत्र को कम-से-कम शब्दों में लिखने का प्रयास करना चाहिए। ई-मेल द्वारा पत्र अथवा सन्देश लिखते समय उतना ही लिखने का प्रयास करें जितना एक स्क्रीन पर दिखाई दे सके।
(4) प्रत्येक अनुच्छेद के बीच में उचित स्थान रखने का प्रयास करना चाहिए।
(5) ई-पत्र में ई-पत्र लिखते समय आवश्यकता पड़ने पर महत्त्वपूर्ण बातों के लिए बुलेट्स आदि का प्रयोग किया जा सकता है। अन्त में अपना नाम लिखकर ई-मेल भेजने से पूर्व एक बार ध्यानपूर्वक पुनः पढ़ा जाना चाहिए।
अनौपचारिक ई-मेल के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(1) मित्र को अच्छे अंक प्राप्त करने की बधाई देते हुए ई-पत्र लिखिए।
To< archanagupta@gmail.com > |
Cc< |
Subject: ढेरों शुभकामनाएँ |
प्रिय स्नेहा,
तुमने प्रतियोगी परीक्षा में बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए। तुम्हारा चयन हो जाने का समाचार सुनकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। इसके लिए तुम्हें मेरी ओर से ढेरों शुभकामनाएँ! तुम इसी तरह अपने जीवन में प्रगति करती रहो, मेरी ईश्वर से यही कामना है।
तुम्हारा मित्र,
ऋतिक
विशिष्ठ पत्र
कुछ विशिष्ट पत्रों के अन्तर्गत हम आपको ऐसे पत्रों से रूबरू करा रहे हैं, जो किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा लिखे गए हैं। इनमें महात्मा गाँधी, पण्डित मोतीलाल नेहरू, शहीद भगतसिंह, हरिवंश राय बच्चन आदि के पत्र शामिल किए गए हैं। यहाँ ऐसे पत्रों के कुछ उदाहरण दिया जा रहा हैं-
(1) राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा श्री जमनालाल बजाज को लिखा गया पत्र।
23 अगस्त, 1924
चि. जमनालाल,
मैं इस वक्त ट्रेन में हूँ। दिल्ली से वापस आश्रम जा रहा हूँ। दिल्ली में समझौते की बातें चल रही हैं। मोतीलाल का पत्र नहीं आया। तुम्हारे प्रान्त में शुद्ध रीति से जो हो, वह होने दो। हम तटस्थ रहकर अपना काम करते रहें, इतना ही जरूरी है।
घनश्याम दास दिल्ली में नहीं थे, उनकी ओर से रुपये मिल गए थे। वे रुपये बिना खर्च की किसी प्रकार तुम्हें भेजे जाएँ, यह लिखकर पूछने के लिए छगनलाल को कहा है। साथ में महादेव, देवदास और प्यारेलाल हैं।
(2) प्रसिद्ध कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन द्वारा अपने मित्र मोहन, जो कि पाकिस्तान जेल में बन्द थे, की माँ को लिखा गया पत्र।
बी-191
ग्रेटर कैलाश-।,
नई दिल्ली-48
दिनांक 28-11-74
पूज्य माँ जी,
प्रणाम।
परसों आपका पत्र मिला। परसों ही मैंने प्रधानमन्त्री के निजी सचिव श्री बी.एन. टण्डन को फोन किया। उन्होंने विदेश मन्त्रालय के श्री रामन से सूचना माँगी।
जो सूचना उनके पास आई, उन्होंने मेरे पास भेज दी। मैं वही कागज आपके पास भेज रहा हूँ। किसी से पढ़वा लें।
जैसे इतने दिन कष्ट-धैर्य से काट दिए, कुछ दिन और काट लें। मुझे जैसे ही कोई सूचना मिलेगी आपको दूँगा; आपको मिले तो मुझे दें।
मैं भी मोहन जी के शीघ्र घर आने के लिए चिन्तित हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ।
(3) भाई कुलबीर के नाम भगत सिंह द्वारा लिखा गया अन्तिम पत्र।
सैण्ट्रल जेल,
लाहौर।
दिनांक 3 मार्च, 1931
प्रिय कुलबीर सिंह,
तुमने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। तुमने खत के जवाब में कुछ लिख देने के लिए कहा। मैं कुछ अल्फाज (शब्द) लिख रहा हूँ- मैंने किसी के लिए कुछ नहीं किया, तुम्हारे लिए भी कुछ नहीं। अब तुम्हें मुसीबत में छोड़कर जा रहा हूँ। तुम्हारी जिन्दगी का क्या होगा? तुम गुजारा कैसे करोगे? यह सब सोचकर ही काँप जाता हूँ, मगर भाई हौंसला रखना, मुसीबत से कभी मत घबराना। मेहनत से बढ़ते जाना। अगर कोई काम सीख सको तो बेहतर होगा लेकिन सब कुछ पिताजी की सलाह से ही करना। मेरे अजीज, प्यारे भाई जिन्दगी बहुत कठिन है। सभी लोग बेरहम है। सिर्फ मुहब्बत और हौंसले से ही गुजारा हो सकता है। अच्छा भाई अलविदा…..।
तुम्हारा अग्रज
भगत सिंह
(4) पं. मोतीलाल नेहरू द्वारा अपने पुत्र जवाहरलाल नेहरू को लिखा गया पत्र।
बनारस,
कांग्रेस कैम्प,
दिनांक 28 दिसम्बर, 1905
प्रिय जवाहर,
नमस्कार।
मैं कांग्रेस के कार्यक्रम में भाग ले रहा हूँ, यह उपर्युक्त पते से ही आपको ज्ञात हो गया होगा। मैं यहाँ खासतौर से गोखले जी का भाषण सुनने आया था, जो मैं गत वर्ष नहीं सुन सका। उनका भाषण सुनियोजित तथा प्रशंसनीय था, फिर भी मुझे उसमें कोई असाधारण बात दिखाई नहीं पड़ी। ‘इण्डियन पीपुल’ की प्रति मैं भेज रहा हूँ, उसमें तुम्हें पूरा भाषण पढ़ने को मिल जाएगा। आज मैंने सुरेन्द्रनाथ जी का भाषण सुना तथा कल मैं इलाहाबाद वापस चला जाऊँगा। अब देखने-सुनने लायक कोई नई बात नहीं रह गई है। मुझे पता चला है कि लगाई गई प्रदर्शनी में कोई खास बात नहीं है। मैंने अभी तक यद्यपि देखी नहीं है, किन्तु यह पत्र लिख चुकने के बाद मैं उसे देखने जाऊँगा।
मैं बड़ी उत्सुकता से यह जानने की प्रतीक्षा में था कि पैर में मोच आ जाने के कारण तुम्हें फुटबॉल नहीं खेलना पड़ेगा। हैरो का डॉक्टर कभी तुम्हें नहीं छोड़ता, यदि चोट मालूम होती। तुम्हारा अगला पत्र मिलने पर पूरी जानकारी प्राप्त कर प्रसन्नता होगी।
इलाहाबाद से यहाँ आते समय तुम्हारी माँ की तबीयत बिलकुल ठीक थी। लखनऊ मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा किया गया। समारोह भव्य था। मुझे वेल्स के राजकुमार तथा राजकुमारी को काफी निकट से देखने का मौका मिला था।
नीचे कुछ विशिष्ठ पत्र लेखन दिया जा रहा है-
अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमें पूरे परिवार के व्यवहार के लिए एक टीवी खरीदने के लिए अनुरोध कीजिए
स्टेशन रोड,
भागलपुर
15 फरवरी, 1988
पूज्यवर पिताजी,
मुझे आपका पत्र अभी-अभी मिला। मुझे यह जानकर ख़ुशी है कि आप अगले महीने में घर आ रहे हैं। मैं आपको कुछ कष्ट देना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि हमारे घर में एक टीवी रहे। गत वर्ष मैंने आपसे टीवी खरीदने के लिए अनुरोध किया था, लेकिन आपने उसे स्वीकार नहीं किया। आप मुझसे सहमत होंगे कि टीवी एक बहुत उपयोगी चीज है। यदि हमारे घर में टीवी हो तो हम समाचार, फ़िल्म, क्रिकेट और कई प्रकार के मनोरंजन कर सकते हैं।
टीवी मनोरंजन का एक अच्छा साधन है। इससे हमारा बहुत मनोरंजन होगा। इसका शिक्षाणात्मक महत्त्व भी है। विभित्र कार्यक्रमों को देखकर मैं बहुत बातें सीख सकता हूँ। यदि हमारे पास टीवी हो तो वह पुरे परिवार के लिए उपयोगी होगा। माताजी औरतों के कार्यक्रम को पसंद करेंगी। वे भागवत देखना चाहेंगी। मैं टीवी देखकर बहुत-कुछ सीखूँगा। मनोज बच्चों के कार्यक्रम देखकर खुश होगा।
आप देख सकते है कि टीवी हमारे परिवार के लिए आवश्यक है। क्या आप जब घर आएँगे तब कृपा करके एक टीवी खरीद देंगे ?अब टीवी की कीमत अधिक नहीं रही। सस्ते टीवी से भी काम चल जाएगा। मुझे विश्र्वास है कि आप परिवार के व्यवहार के लिए एक टीवी खरीद देंगे।
अत्यंत आदर के साथ,
आपका स्त्रेही
प्रकाश
पता-श्री देवेंद्र प्रसाद सिंह,
15 पार्क स्ट्रीट,
कलकत्ता-8
आप एक साइकिल खरीदना चाहते हैं। अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमें साइकिल खरीदने के लिए कुछ रुपए भेजने के लिए उनसे अनुरोध कीजिए।
महात्मा गाँधी रोड,
जमालपुर
27 फरवरी, 1988
पूज्यवर पिताजी,
करीब एक महीने से मुझे आपका कोई पत्र नहीं मिला है। मुझे डर है कि आप मुझ पर रंज हैं।
आप जानते है कि मुझे पैदल स्कूल जाना पड़ता है। मुझे प्रतिदिन चार मील पैदल चलना पड़ता है। मुझे प्रातः काल 9 बजकर 15 मिनट पर स्कूल के लिए रवाना होना पड़ता है। मुझे सुबह में अध्ययन के लिए अधिक समय नहीं मिलता। जब मैं स्कूल से लौटता हूँ तब मैं बहुत थका हुआ रहता हूँ। इसलिए मैं शाम में मन लगाकर नहीं पढ़ सकता।
यदि मेरे पास एक साइकिल रहे तो मैं काफी समय और शक्ति बचा सकता हूँ। मैं साइकिल चलाना अच्छी तरह जानता हूँ। मैं भीड़वाली सड़कों पर भी साइकिल चला सकता हूँ। क्या आप कृपा करके मुझे एक साइकिल खरीद देंगे ? आप मुझसे सहमत होंगे कि मेरे लिए साइकिल आवश्यक है। मैं कीमती साइकिल लेना नहीं चाहता। सस्ती साइकिल से भी काम चल जाएगा।
कृपा करके मुझे पाँच सौ रुपए भेज दें जिससे मैं एक साइकिल खरीद सकूँ।
माँ को मेरा प्यार। अत्यंत आदर के साथ,
आपका स्त्रेही,
मोहन
पता- श्री महेंद्र प्रसाद,
जलकद्यरबाग,
पटना-8
एक पत्र में अपने पिता को टेस्ट परीक्षा में अपनी सफलता और बोर्ड परीक्षा के लिए अपनी तैयारी के बारे में लिखिए।
गोविंद मित्र रोड
पटना-4
5 दिसंबर, 1987
पूज्यवर पिताजी,
आपके लिए एक खुशखबरी है। आपको यह जानकर ख़ुशी होगी कि मैं टेस्ट परीक्षा में अपने वर्ग में प्रथम हुआ।
मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च 1998 से प्रारंभ होगी। बोर्ड परीक्षा की तैयारी करने के लिए मेरे पास काफी समय है। मैं अपने समय का अच्छी तरह उपयोग करना चाहता हूँ। मैंने अपनी पाठ्यपुस्तकों को अच्छी तरह पढ़ लिया है। अब मैं प्रत्येक विषय में कुछ संभावित प्रश्र तैयार कर रहा हूँ। मैंने अपने अध्ययन के लिए एक कार्यक्रम बना लिया है। मैं प्रत्येक विषय को अच्छी तरह तैयार कर रहा हूँ। मैं लिखने के काम में काफी समय लगाता हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि जनवरी के अंत तक मैं अपनी तैयारी खत्म कर लूँगा। तब मैं अपनी पाठ्यपुस्तकों को दुहराऊँगा।
मेरे शिक्षक को उम्मीद है कि मैं बोर्ड परीक्षा में अच्छा स्थान प्राप्त करूँगा। मैं आशा करता हूँ कि मेरा परीक्षाफल उनकी उम्मीद के अनुसार होगा।
कृपया माताजी को मेरा प्रणाम कह देंगे।
आपका स्त्रेही,
अशोक
पता- श्री विनोद कुमार शर्मा
स्टेशन रोड,
दरभंगा
आप परीक्षा समाप्त होने के बाद एक मित्र के घर जाना चाहते हैं। इसके लिए अनुमति माँगने के लिए अपने पिता को एक पत्र लिखिए।
गर्दनीबाग,
पटना-1
22 फरवरी, 1998
पूज्यवर पिताजी,
मुझे आपका पत्र अभी मिला है। आपने मुझे परीक्षा के बाद घर आने को कहा है। मुझे आपको यह कहने में दुःख है कि मैं तुरन्त ही घर जाना नहीं चाहता।
मेरे एक मित्र ने मुझे परीक्षा के बाद अपने घर जाने को कहा है। उनके पिता बरौनी में रहते है। मैं अपने मित्र के घर जाना चाहता हूँ। मैं कभी भी बरौनी नहीं गया हूँ। मैं तेलशोधक कारखाना देखना चाहता हूँ। मेरे मित्र ने मुझे विश्र्वास दिलाया है कि वह मुझे तेलशोधक कारखाना दिखलाएगा।
परीक्षा समाप्त होने के बाद मैं बहुत थका रहूँगा। मैं सोचता हूँ कि अपने मित्र के घर जाने से मेरा मनोरंजन होगा। मैं अपने मित्र के घर पर तीन या चार दिनों तक रहूँगा। तब मैं घर जाऊँगा।
कृपया परीक्षा समाप्त होने के बाद मुझे अपने मित्र के घर जाने की अनुमति अवश्य दें। यदि आप मुझे अपनी अनुमति नहीं देंगे तो मेरा मित्र निराश हो जाएगा।
आपका प्रिय पुत्र,
योगेंद्र
पता- श्री महेंद्र शर्मा
15 सिविल लाइंस
गया
एक पत्र में अपने पिता को बताइए कि आप माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहते हैं।
राजेंद्रनगर,
पटना- 16
2 मार्च, 1998
पूज्यवर पिताजी,
मुझे आपका पत्र अभी मिला है। आपने मुझे यह बतलाने को कहा है कि मैं माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहता हूँ।
अब बोर्ड परीक्षा होने में आधा महीना ही बाकी है। मैं परीक्षा के लिए कठिन परिश्रम कर रहा हूँ। आप चाहते है कि मैं बोर्ड परीक्षा में अच्छा करूँ और मैं सोचता हूँ कि मेरा परीक्षाफल आपकी उम्मीद के अनुकूल होगा। मैं जानता हूँ कि इस परीक्षा में मेरी सफलता पर ही मेरा भविष्य निर्भर करता है। इसलिए मैं लगातार परिश्रम कर रहा हूँ।
मैं माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद पटना विज्ञान महाविद्यालय में प्रवेश करना चाहता हूँ। आप जानते है कि यह हमारे राज्य में सबसे अच्छा महाविद्यालय है। मैंने अपने एक मित्र से सुना है कि इसमें अच्छी प्रयोगशालाएँ हैं। इस महाविद्यालय में अनेक विख्यात प्राध्यापक हैं। मैं जानता हूँ कि इस महाविद्यालय में केवल तेज छात्रों का ही नाम लिखा जाता है। मुझे उम्मीद है कि इस महाविद्यालय में मेरा नाम लिखा जाएगा।
आप जानते है कि मैंने माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में जीवविज्ञान लिया है। मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ, लेकिन मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने के पहले मुझे आई० एस० सी० की परीक्षा में उत्तीर्ण होना पड़ेगा। मैं सोचता हूँ कि माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद पटना विज्ञान महाविद्यालय में प्रवेश करना मेरे लिए अच्छा होगा।
क्या आप मेरे विचार को पसंद करते हैं ? यदि आप इसे पसंद नहीं करते तो कृपया लिखें।
आपका स्त्रेही,
अजय
पता- श्री अजय कुमार बोस,
तातारपुर,
भागलपुर-2
आपकी परीक्षा कुछ ही दिनों में होनेवाली है, लेकिन आपकी तैयारी अच्छी नहीं है। अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमे अगले वर्ष परीक्षा में शरीक होने की अनुमति के लिए उनसे अनुरोध कीजिए।
मीठापुर,
पटना-1
5 मार्च, 1988
पूज्यवर पिताजी,
मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। आपको यह जानकर अत्यंत दुःख होगा कि परीक्षा के लिए मेरी तैयारी अच्छी नहीं है।
यद्यपि परीक्षा के लिए मैं कठिन परिश्रम करता रहा हूँ, फिर भी मैंने सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार नहीं किया है। मैं अँगरेजी और भौतिक विज्ञान में बहुत कमजोर हूँ। मुझे भय है कि यदि परीक्षा में शरीक होऊँगा तो इन विषयों में अवश्य असफल हो जाऊँगा। यदि मैं इस वर्ष परीक्षा में नहीं बैठूँगा तो अच्छा होगा।
इस दुःखद समाचार से आप तथा माँ अवश्य चिंतित होंगे, लेकिन मैं बिलकुल मजबूर हूँ। आपको यह कहने में मुझे अत्यंत दुःख हो रहा है कि मैं परीक्षा में सफल नहीं हो सकता। कृपया मुझे अगले वर्ष परीक्षा में शरीक होने की अनुमति दें। मैं आपको विश्र्वास दिलाता हूँ कि मैं कठिन परिश्रम करूँगा और कमजोरी को पूरा कर लूँगा। मुझे सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार करने के लिए काफी समय मिलेगा।
अत्यंत आदर के साथ,
आपका स्त्रेही,
गिरींद्र
पता- श्री सुरेंद्र प्रसाद,
न्यू एरिया
आरा
अपने बड़े भाई को एक पत्र लिखिए जो अब कॉलेज में हैं। उनसे पूछिए कि आपको इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए।
जिला स्कूल छात्रावास,
भागलपुर
9 फरवरी, 1988
पूज्यवर भैया,
मुझे एक महीने से आपका कोई पत्र नहीं मिला है। मुझे लगता है कि आप अपने अध्ययन में इतने व्यस्त हैं कि आप मुझे पत्र नहीं लिख पाते। मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। आप चाहते हैं कि मैं परीक्षा में अच्छा करूँ और मुझे उम्मीद है कि मेरा परीक्षाफल आपकी आशा के अनुकूल होगा। मैंने सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार कर लिया है। अब मैं उनमें से अधिकतर विषयों को दुहरा रहा हूँ। मुझे बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक अवश्य आएँगे।
मैंने निश्र्चय नहीं किया है कि मुझे बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए। आप जानते है कि मैंने विज्ञान लिया है। मुझे जीवविज्ञान में बहुत रूचि है। मैं डॉक्टर बनना पसंद करूँगा।
कृपया मुझे बतलाइए कि मुझे बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए।
आपका स्त्रेहभाजन,
सुशील
पता- श्री मोहन बनर्जी,
कमरा न० 5,
न्यूटन छात्रावास,
पटना-5
अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें अध्ययन की उपेक्षा करने के लिए उसे डाँटिए।
जिला स्कूल छात्रावास,
राँची
7 जनवरी, 1988
प्रिय अजय,
मुझे अभी पिताजी का एक पत्र मिला है। उनके पत्र से यह जानकर कि तुम गत वार्षिक परीक्षा में असफल हो गए हो मुझे बहुत दुःख है। मैंने तुम्हें दुर्गापूजा की छुट्टी में कहा था कि तुम्हें कठिन परिश्रम करना चाहिए। तुमने मेरी राय पर ध्यान नहीं दिया। तुमने अध्ययन की उपेक्षा की है। इसलिए तुम परीक्षा में असफल हो गए हो।
तुम्हें स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया है। अब तुम बच्चे नहीं हो। तुम्हें यह जानना चाहिए कि तुम्हें क्या करना है। यदि तुम इस प्रकार अध्ययन की उपेक्षा करोगे तो बाद में तुम्हें दुखी होना पड़ेगा, जब तुम कुछ नहीं कर सकोगे। अपना समय बरबाद नहीं करो। तुम एक वर्ष खो चुके हो, क्योंकि तुमने अध्ययन की उपेक्षा की है। परीक्षा में असफल होना तुम्हारे लिए लज्जाजनक हैं। यदि तुम पढ़ाई पर ध्यान नहीं दोगे तो तुम्हें भविष्य में पछताना पड़ेगा।
तुम्हारी असफलता से पिताजी और माताजी दोनों को अत्यंत दुःख है। तुम्हें अपना सुधार अवश्य करना चाहिए। अच्छा लड़का बनो और पढ़ने में लग जाओ। आशा है, तुम अपनी गलती महसूस करोगे।
शुभकामनाओं के साथ-
तुम्हारा प्रिय भाई,
उमेश
पता- श्री अजय कुमार,
नवम वर्ग,
एस० एच० ई० स्कूल, सुरसंड,
पो० ऑ०- सुरसंड,
जिला- सीतामढ़ी
एक पत्र में अपने चचेरे भाई से अनुरोध कीजिए कि वे छुट्टी में आपको अपना कैमरा दें।
कदमकुआँ,
पटना -3
15 दिसंबर, 1988
पूज्यवर भ्राताजी,
बहुत दिनों से आपका कोई पत्र मुझे नहीं मिला है। मेरी वार्षिक परीक्षा खत्म हो गई है और मैं बड़े दिन की छुट्टी का इंतजार कर रहा हूँ। मैंने छुट्टी में दिल्ली और आगरा जाने का निश्र्चय किया है।
मैं आपको कुछ कष्ट देना चाहता हूँ। मैं छुट्टी में आपका कैमरा लेना चाहूँगा। यदि मुझे आपका कैमरा मिल जाए तो मैं दिल्ली और आगरे की अपनी यात्रा में कुछ मनोरंजक फोटो खीचूँगा। आप जानते है कि मैं आपके कैमरे का प्रयोग अच्छी तरह कर सकता हूँ।
कृपया अपना कैमरा मुझे एक सप्ताह के लिए दें। मुझे उम्मीद है कि आप मुझे निराश नहीं करेंगे। मैं आपको विश्र्वास दिला सकता हूँ कि आपके कैमरे को अच्छी तरह रखूँगा। ज्योंही मैं यहाँ लौटकर आऊँगा, त्योंही मैं आपको यह लौटा दूँगा।
कृपया मेरा प्रणाम चाचाजी और चाचाजी को कह देंगे।
आपका स्त्रेह भाजन
उदय
पता- श्री श्याम कुमार,
कोर्ट रोड, बाढ़
जिला-पटना
अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें मेला देखने का वर्णन कीजिए।
बाँकीपुर,
पटना-4
15 नवंबर, 1987
प्रिय शेखर,
पिछले कई दिनों से मैं तुम्हें पत्र लिखने के लिए सोच रहा था। पर, मुझे सोनपुर मेला देखने की इच्छा थी। इसलिए मैंने जान-बूझकर पत्र लिखने में देर की। मैंने सोचा कि सोनपुर मेले से लौटकर पत्र देना अच्छा होगा ताकि मैं वहाँ के अनुभव का वर्णन कर सकूँ।
सोनपुर का मेला एक बहुत बड़े क्षेत्र में लगता है। मैं समझता हूँ कि यह दुनिया का सबसे बड़ा मेला है। यहाँ सभी तरह के पशु और पक्षी- सबसे छोटे से लेकर सबसे बड़े तक- बेचे जाते है। यहाँ पर अनगिनत दूकानें रहती है और चीजों की अत्यधिक खरीद-बिक्री होती है। सबसे बड़ा बाजार जानवरों का है जहाँ गाय, भैंस, घोड़ा, ऊँट, हाथी इत्यादि बिकते हैं। मेले में बहुत-से होटल, नाटक-मंडली, सर्कस-मंडली इत्यादि रहते है। मेले में बहुत अधिक भीड़ रहती है और हरिहरनाथ के मंदिर में सबसे अधिक भीड़ रहती है।
मेले में संध्या का समय बड़ा दुःखदायी रहता है। बहुत-से लोग एक साथ भोजन बनाते है, इसलिए धुआँ बहुत उठता है। खासकर मैंने पक्षियों के बाजार का अधिक आनंद उठाया; क्योंकि एक ही जगह मैंने हजारों तरह के पक्षियों को देखा। उनमें से बहुतों का मिलना दुर्लभ था और वे बहुत दूर से लाए गए थे।
मेला जाने से मुझे बहुत आनंद हुआ, लेकिन तुम्हारी अनुपस्थिति से दुःख हुआ।
तुम्हारा शुभचिंतक,
रामानुज
पता- श्री शेखर प्रसाद,
मारफत: बाबू नंदकिशोर लाल, वकील
महाजनटोली, आरा।
नीचे कुछ विशिष्ठ पत्र लेखन दिया जा रहा है-
अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमें पूरे परिवार के व्यवहार के लिए एक टीवी खरीदने के लिए अनुरोध कीजिए
स्टेशन रोड,
भागलपुर
15 फरवरी, 1988
पूज्यवर पिताजी,
मुझे आपका पत्र अभी-अभी मिला। मुझे यह जानकर ख़ुशी है कि आप अगले महीने में घर आ रहे हैं। मैं आपको कुछ कष्ट देना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि हमारे घर में एक टीवी रहे। गत वर्ष मैंने आपसे टीवी खरीदने के लिए अनुरोध किया था, लेकिन आपने उसे स्वीकार नहीं किया। आप मुझसे सहमत होंगे कि टीवी एक बहुत उपयोगी चीज है। यदि हमारे घर में टीवी हो तो हम समाचार, फ़िल्म, क्रिकेट और कई प्रकार के मनोरंजन कर सकते हैं।
टीवी मनोरंजन का एक अच्छा साधन है। इससे हमारा बहुत मनोरंजन होगा। इसका शिक्षाणात्मक महत्त्व भी है। विभित्र कार्यक्रमों को देखकर मैं बहुत बातें सीख सकता हूँ। यदि हमारे पास टीवी हो तो वह पुरे परिवार के लिए उपयोगी होगा। माताजी औरतों के कार्यक्रम को पसंद करेंगी। वे भागवत देखना चाहेंगी। मैं टीवी देखकर बहुत-कुछ सीखूँगा। मनोज बच्चों के कार्यक्रम देखकर खुश होगा।
आप देख सकते है कि टीवी हमारे परिवार के लिए आवश्यक है। क्या आप जब घर आएँगे तब कृपा करके एक टीवी खरीद देंगे ?अब टीवी की कीमत अधिक नहीं रही। सस्ते टीवी से भी काम चल जाएगा। मुझे विश्र्वास है कि आप परिवार के व्यवहार के लिए एक टीवी खरीद देंगे।
अत्यंत आदर के साथ,
आपका स्त्रेही
प्रकाश
पता-श्री देवेंद्र प्रसाद सिंह,
15 पार्क स्ट्रीट,
कलकत्ता-8
आप एक साइकिल खरीदना चाहते हैं। अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमें साइकिल खरीदने के लिए कुछ रुपए भेजने के लिए उनसे अनुरोध कीजिए।
महात्मा गाँधी रोड,
जमालपुर
27 फरवरी, 1988
पूज्यवर पिताजी,
करीब एक महीने से मुझे आपका कोई पत्र नहीं मिला है। मुझे डर है कि आप मुझ पर रंज हैं।
आप जानते है कि मुझे पैदल स्कूल जाना पड़ता है। मुझे प्रतिदिन चार मील पैदल चलना पड़ता है। मुझे प्रातः काल 9 बजकर 15 मिनट पर स्कूल के लिए रवाना होना पड़ता है। मुझे सुबह में अध्ययन के लिए अधिक समय नहीं मिलता। जब मैं स्कूल से लौटता हूँ तब मैं बहुत थका हुआ रहता हूँ। इसलिए मैं शाम में मन लगाकर नहीं पढ़ सकता।
यदि मेरे पास एक साइकिल रहे तो मैं काफी समय और शक्ति बचा सकता हूँ। मैं साइकिल चलाना अच्छी तरह जानता हूँ। मैं भीड़वाली सड़कों पर भी साइकिल चला सकता हूँ। क्या आप कृपा करके मुझे एक साइकिल खरीद देंगे ? आप मुझसे सहमत होंगे कि मेरे लिए साइकिल आवश्यक है। मैं कीमती साइकिल लेना नहीं चाहता। सस्ती साइकिल से भी काम चल जाएगा।
कृपा करके मुझे पाँच सौ रुपए भेज दें जिससे मैं एक साइकिल खरीद सकूँ।
माँ को मेरा प्यार। अत्यंत आदर के साथ,
आपका स्त्रेही,
मोहन
पता- श्री महेंद्र प्रसाद,
जलकद्यरबाग,
पटना-8
एक पत्र में अपने पिता को टेस्ट परीक्षा में अपनी सफलता और बोर्ड परीक्षा के लिए अपनी तैयारी के बारे में लिखिए।
गोविंद मित्र रोड
पटना-4
5 दिसंबर, 1987
पूज्यवर पिताजी,
आपके लिए एक खुशखबरी है। आपको यह जानकर ख़ुशी होगी कि मैं टेस्ट परीक्षा में अपने वर्ग में प्रथम हुआ।
मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च 1998 से प्रारंभ होगी। बोर्ड परीक्षा की तैयारी करने के लिए मेरे पास काफी समय है। मैं अपने समय का अच्छी तरह उपयोग करना चाहता हूँ। मैंने अपनी पाठ्यपुस्तकों को अच्छी तरह पढ़ लिया है। अब मैं प्रत्येक विषय में कुछ संभावित प्रश्र तैयार कर रहा हूँ। मैंने अपने अध्ययन के लिए एक कार्यक्रम बना लिया है। मैं प्रत्येक विषय को अच्छी तरह तैयार कर रहा हूँ। मैं लिखने के काम में काफी समय लगाता हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि जनवरी के अंत तक मैं अपनी तैयारी खत्म कर लूँगा। तब मैं अपनी पाठ्यपुस्तकों को दुहराऊँगा।
मेरे शिक्षक को उम्मीद है कि मैं बोर्ड परीक्षा में अच्छा स्थान प्राप्त करूँगा। मैं आशा करता हूँ कि मेरा परीक्षाफल उनकी उम्मीद के अनुसार होगा।
कृपया माताजी को मेरा प्रणाम कह देंगे।
आपका स्त्रेही,
अशोक
पता- श्री विनोद कुमार शर्मा
स्टेशन रोड,
दरभंगा
आप परीक्षा समाप्त होने के बाद एक मित्र के घर जाना चाहते हैं। इसके लिए अनुमति माँगने के लिए अपने पिता को एक पत्र लिखिए।
गर्दनीबाग,
पटना-1
22 फरवरी, 1998
पूज्यवर पिताजी,
मुझे आपका पत्र अभी मिला है। आपने मुझे परीक्षा के बाद घर आने को कहा है। मुझे आपको यह कहने में दुःख है कि मैं तुरन्त ही घर जाना नहीं चाहता।
मेरे एक मित्र ने मुझे परीक्षा के बाद अपने घर जाने को कहा है। उनके पिता बरौनी में रहते है। मैं अपने मित्र के घर जाना चाहता हूँ। मैं कभी भी बरौनी नहीं गया हूँ। मैं तेलशोधक कारखाना देखना चाहता हूँ। मेरे मित्र ने मुझे विश्र्वास दिलाया है कि वह मुझे तेलशोधक कारखाना दिखलाएगा।
परीक्षा समाप्त होने के बाद मैं बहुत थका रहूँगा। मैं सोचता हूँ कि अपने मित्र के घर जाने से मेरा मनोरंजन होगा। मैं अपने मित्र के घर पर तीन या चार दिनों तक रहूँगा। तब मैं घर जाऊँगा।
कृपया परीक्षा समाप्त होने के बाद मुझे अपने मित्र के घर जाने की अनुमति अवश्य दें। यदि आप मुझे अपनी अनुमति नहीं देंगे तो मेरा मित्र निराश हो जाएगा।
आपका प्रिय पुत्र,
योगेंद्र
पता- श्री महेंद्र शर्मा
15 सिविल लाइंस
गया
एक पत्र में अपने पिता को बताइए कि आप माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहते हैं।
राजेंद्रनगर,
पटना- 16
2 मार्च, 1998
पूज्यवर पिताजी,
मुझे आपका पत्र अभी मिला है। आपने मुझे यह बतलाने को कहा है कि मैं माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहता हूँ।
अब बोर्ड परीक्षा होने में आधा महीना ही बाकी है। मैं परीक्षा के लिए कठिन परिश्रम कर रहा हूँ। आप चाहते है कि मैं बोर्ड परीक्षा में अच्छा करूँ और मैं सोचता हूँ कि मेरा परीक्षाफल आपकी उम्मीद के अनुकूल होगा। मैं जानता हूँ कि इस परीक्षा में मेरी सफलता पर ही मेरा भविष्य निर्भर करता है। इसलिए मैं लगातार परिश्रम कर रहा हूँ।
मैं माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद पटना विज्ञान महाविद्यालय में प्रवेश करना चाहता हूँ। आप जानते है कि यह हमारे राज्य में सबसे अच्छा महाविद्यालय है। मैंने अपने एक मित्र से सुना है कि इसमें अच्छी प्रयोगशालाएँ हैं। इस महाविद्यालय में अनेक विख्यात प्राध्यापक हैं। मैं जानता हूँ कि इस महाविद्यालय में केवल तेज छात्रों का ही नाम लिखा जाता है। मुझे उम्मीद है कि इस महाविद्यालय में मेरा नाम लिखा जाएगा।
आप जानते है कि मैंने माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में जीवविज्ञान लिया है। मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ, लेकिन मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने के पहले मुझे आई० एस० सी० की परीक्षा में उत्तीर्ण होना पड़ेगा। मैं सोचता हूँ कि माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद पटना विज्ञान महाविद्यालय में प्रवेश करना मेरे लिए अच्छा होगा।
क्या आप मेरे विचार को पसंद करते हैं ? यदि आप इसे पसंद नहीं करते तो कृपया लिखें।
आपका स्त्रेही,
अजय
पता- श्री अजय कुमार बोस,
तातारपुर,
भागलपुर-2
आपकी परीक्षा कुछ ही दिनों में होनेवाली है, लेकिन आपकी तैयारी अच्छी नहीं है। अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमे अगले वर्ष परीक्षा में शरीक होने की अनुमति के लिए उनसे अनुरोध कीजिए।
मीठापुर,
पटना-1
5 मार्च, 1988
पूज्यवर पिताजी,
मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। आपको यह जानकर अत्यंत दुःख होगा कि परीक्षा के लिए मेरी तैयारी अच्छी नहीं है।
यद्यपि परीक्षा के लिए मैं कठिन परिश्रम करता रहा हूँ, फिर भी मैंने सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार नहीं किया है। मैं अँगरेजी और भौतिक विज्ञान में बहुत कमजोर हूँ। मुझे भय है कि यदि परीक्षा में शरीक होऊँगा तो इन विषयों में अवश्य असफल हो जाऊँगा। यदि मैं इस वर्ष परीक्षा में नहीं बैठूँगा तो अच्छा होगा।
इस दुःखद समाचार से आप तथा माँ अवश्य चिंतित होंगे, लेकिन मैं बिलकुल मजबूर हूँ। आपको यह कहने में मुझे अत्यंत दुःख हो रहा है कि मैं परीक्षा में सफल नहीं हो सकता। कृपया मुझे अगले वर्ष परीक्षा में शरीक होने की अनुमति दें। मैं आपको विश्र्वास दिलाता हूँ कि मैं कठिन परिश्रम करूँगा और कमजोरी को पूरा कर लूँगा। मुझे सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार करने के लिए काफी समय मिलेगा।
अत्यंत आदर के साथ,
आपका स्त्रेही,
गिरींद्र
पता- श्री सुरेंद्र प्रसाद,
न्यू एरिया
आरा
अपने बड़े भाई को एक पत्र लिखिए जो अब कॉलेज में हैं। उनसे पूछिए कि आपको इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए।
जिला स्कूल छात्रावास,
भागलपुर
9 फरवरी, 1988
पूज्यवर भैया,
मुझे एक महीने से आपका कोई पत्र नहीं मिला है। मुझे लगता है कि आप अपने अध्ययन में इतने व्यस्त हैं कि आप मुझे पत्र नहीं लिख पाते। मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। आप चाहते हैं कि मैं परीक्षा में अच्छा करूँ और मुझे उम्मीद है कि मेरा परीक्षाफल आपकी आशा के अनुकूल होगा। मैंने सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार कर लिया है। अब मैं उनमें से अधिकतर विषयों को दुहरा रहा हूँ। मुझे बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक अवश्य आएँगे।
मैंने निश्र्चय नहीं किया है कि मुझे बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए। आप जानते है कि मैंने विज्ञान लिया है। मुझे जीवविज्ञान में बहुत रूचि है। मैं डॉक्टर बनना पसंद करूँगा।
कृपया मुझे बतलाइए कि मुझे बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए।
आपका स्त्रेहभाजन,
सुशील
पता- श्री मोहन बनर्जी,
कमरा न० 5,
न्यूटन छात्रावास,
पटना-5
अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें अध्ययन की उपेक्षा करने के लिए उसे डाँटिए।
जिला स्कूल छात्रावास,
राँची
7 जनवरी, 1988
प्रिय अजय,
मुझे अभी पिताजी का एक पत्र मिला है। उनके पत्र से यह जानकर कि तुम गत वार्षिक परीक्षा में असफल हो गए हो मुझे बहुत दुःख है। मैंने तुम्हें दुर्गापूजा की छुट्टी में कहा था कि तुम्हें कठिन परिश्रम करना चाहिए। तुमने मेरी राय पर ध्यान नहीं दिया। तुमने अध्ययन की उपेक्षा की है। इसलिए तुम परीक्षा में असफल हो गए हो।
तुम्हें स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया है। अब तुम बच्चे नहीं हो। तुम्हें यह जानना चाहिए कि तुम्हें क्या करना है। यदि तुम इस प्रकार अध्ययन की उपेक्षा करोगे तो बाद में तुम्हें दुखी होना पड़ेगा, जब तुम कुछ नहीं कर सकोगे। अपना समय बरबाद नहीं करो। तुम एक वर्ष खो चुके हो, क्योंकि तुमने अध्ययन की उपेक्षा की है। परीक्षा में असफल होना तुम्हारे लिए लज्जाजनक हैं। यदि तुम पढ़ाई पर ध्यान नहीं दोगे तो तुम्हें भविष्य में पछताना पड़ेगा।
तुम्हारी असफलता से पिताजी और माताजी दोनों को अत्यंत दुःख है। तुम्हें अपना सुधार अवश्य करना चाहिए। अच्छा लड़का बनो और पढ़ने में लग जाओ। आशा है, तुम अपनी गलती महसूस करोगे।
शुभकामनाओं के साथ-
तुम्हारा प्रिय भाई,
उमेश
पता- श्री अजय कुमार,
नवम वर्ग,
एस० एच० ई० स्कूल, सुरसंड,
पो० ऑ०- सुरसंड,
जिला- सीतामढ़ी
एक पत्र में अपने चचेरे भाई से अनुरोध कीजिए कि वे छुट्टी में आपको अपना कैमरा दें।
कदमकुआँ,
पटना -3
15 दिसंबर, 1988
पूज्यवर भ्राताजी,
बहुत दिनों से आपका कोई पत्र मुझे नहीं मिला है। मेरी वार्षिक परीक्षा खत्म हो गई है और मैं बड़े दिन की छुट्टी का इंतजार कर रहा हूँ। मैंने छुट्टी में दिल्ली और आगरा जाने का निश्र्चय किया है।
मैं आपको कुछ कष्ट देना चाहता हूँ। मैं छुट्टी में आपका कैमरा लेना चाहूँगा। यदि मुझे आपका कैमरा मिल जाए तो मैं दिल्ली और आगरे की अपनी यात्रा में कुछ मनोरंजक फोटो खीचूँगा। आप जानते है कि मैं आपके कैमरे का प्रयोग अच्छी तरह कर सकता हूँ।
कृपया अपना कैमरा मुझे एक सप्ताह के लिए दें। मुझे उम्मीद है कि आप मुझे निराश नहीं करेंगे। मैं आपको विश्र्वास दिला सकता हूँ कि आपके कैमरे को अच्छी तरह रखूँगा। ज्योंही मैं यहाँ लौटकर आऊँगा, त्योंही मैं आपको यह लौटा दूँगा।
कृपया मेरा प्रणाम चाचाजी और चाचाजी को कह देंगे।
आपका स्त्रेह भाजन
उदय
पता- श्री श्याम कुमार,
कोर्ट रोड, बाढ़
जिला-पटना
अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें मेला देखने का वर्णन कीजिए।
बाँकीपुर,
पटना-4
15 नवंबर, 1987
प्रिय शेखर,
पिछले कई दिनों से मैं तुम्हें पत्र लिखने के लिए सोच रहा था। पर, मुझे सोनपुर मेला देखने की इच्छा थी। इसलिए मैंने जान-बूझकर पत्र लिखने में देर की। मैंने सोचा कि सोनपुर मेले से लौटकर पत्र देना अच्छा होगा ताकि मैं वहाँ के अनुभव का वर्णन कर सकूँ।
सोनपुर का मेला एक बहुत बड़े क्षेत्र में लगता है। मैं समझता हूँ कि यह दुनिया का सबसे बड़ा मेला है। यहाँ सभी तरह के पशु और पक्षी- सबसे छोटे से लेकर सबसे बड़े तक- बेचे जाते है। यहाँ पर अनगिनत दूकानें रहती है और चीजों की अत्यधिक खरीद-बिक्री होती है। सबसे बड़ा बाजार जानवरों का है जहाँ गाय, भैंस, घोड़ा, ऊँट, हाथी इत्यादि बिकते हैं। मेले में बहुत-से होटल, नाटक-मंडली, सर्कस-मंडली इत्यादि रहते है। मेले में बहुत अधिक भीड़ रहती है और हरिहरनाथ के मंदिर में सबसे अधिक भीड़ रहती है।
मेले में संध्या का समय बड़ा दुःखदायी रहता है। बहुत-से लोग एक साथ भोजन बनाते है, इसलिए धुआँ बहुत उठता है। खासकर मैंने पक्षियों के बाजार का अधिक आनंद उठाया; क्योंकि एक ही जगह मैंने हजारों तरह के पक्षियों को देखा। उनमें से बहुतों का मिलना दुर्लभ था और वे बहुत दूर से लाए गए थे।
मेला जाने से मुझे बहुत आनंद हुआ, लेकिन तुम्हारी अनुपस्थिति से दुःख हुआ।
तुम्हारा शुभचिंतक,
रामानुज
पता- श्री शेखर प्रसाद,
मारफत: बाबू नंदकिशोर लाल, वकील
महाजनटोली, आरा।