Essay on Dowry System in Hindi-Class 5 to Class 9th

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दहेज प्रथा पर निबंध

दहेज प्रथा पर हिंदी निबंध – Essay on Dowry System in Hindi for Class 5 – Dahej Pratha Essay in Hindi for Class 6 – Essay on Dowry System in Hindi for Class 8 – Dowry System Hindi Essay for class 5 – Essay on Dahej Pratha in Hindi

रुपरेखा : प्रस्तावना – दहेज-प्रथा का इतिहास – दहेज प्रथा कानून – दहेज प्रथा का समाधान – उपसंहार।

प्रस्तावना –

भारत में शादियों हमेशा से एक खर्चीली एवं कष्टकर सामाजिक रोति मानी जाती रही है। इसमें आकर्षक सजावट, शानदार भोज, प्रकाश-व्यवस्था, बहुमूल्य उपहार आदि कीमती वस्तु शामिल रहते हैं। दूल्हे का परिवार बहुत खुश रहता है। वे दुल्हन और लाखो रुपए के उपहार के साथ घर जाते हैं। वे अपने पीछे दुल्हन के चिंतित परिवार को छोड़ जाते हैं। यही आधुनिक भारतीय शादी है। शादियों में दिए जाने वाले सभी उपहार ‘दहेज’ की श्रेणी में आते है। और, इस प्रकार यह दहेज प्रथा कई पीढ़ियों से चली आ रही है।

 

दहेज-प्रथा का इतिहास –

पहले के समय में माता-पिता अपनी पुत्रियों की शादी में जरूरी घरेलू चीजें दिया करते थे। कई परिवार कुछ सोना और चाँदी भी देते थे। यह उसके भविष्य को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से किया जाता था। यह सब उनके अपने स्तर के अनुसार किया जाता था। परंतु धीरे-धीरे यह एक रिवाज हो गया। अब दूल्हे का परिवार जो माँगता है, उसे दुल्हन के परिवार को देना पड़ता है चाहे उनको उसके लिए किसी से कर्जा लेना पड़ जाये या अपना घर गिरवी रखना पद जाए। उन्हें किसी भी हाल में उसकी व्यवस्था करनी पड़ती है। उन्हें इसके लिए उधार धन या कर्ज का सहारा लेने पर मजबूर कर देते हैं।

 

दहेज प्रथा कानून –

दहेज प्रणाली भारतीय समाज में सबसे क्रूरता सामाजिक प्रणालियों में से एक है। इसने कई तरह के मुद्दों जैसे कन्या भ्रूण हत्या, लड़की को लावारिस छोड़ना, लड़की के परिवार में वित्तीय समस्याएं, पैसे कमाने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करना, बहू का भावनात्मक और शारीरिक शोषण आदि सामाजिक पाप को जन्म दिया है। इस समस्या को रोकने के लिए सरकार ने दहेज को दंडनीय अधिनियम बनाते हुए कानून बनाए हैं।

 

दहेज प्रथा का समाधान –

सरकार द्वारा बनाए गए सख्त कानूनों के बावजूद दहेज प्रणाली की अभी भी समाज में एक मजबूत पकड़ है और आये दिन कई महिलाएं इसका शिकार हो रहे है। इस समस्या को समाप्त करने के लिए देश के हर व्यक्ति को अपना सोच बदलना होगा। हर व्यक्ति को इसके खिलाफ लड़ने के लिए महिला को जागरूक करना होगा।

 

दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए तथा इसके खिलाफ लोगों के अंदर जागरूकता लाने के लिए यहां कुछ समाधान दिए गए हैं जिसे सभी गंभीरता से पढ़े और उसपे अमल करे –

उचित शिक्षा –

दहेज-प्रथा, जाति भेदभाव और बाल श्रम जैसे सामाजिक प्रथाओं के लिए शिक्षा का अभाव मुख्य योगदानकर्ताओं में से एक है। देश में शिक्षा के कमी के होने के कारण आज देश में दहेज प्रथा जैसे क्रूरता सामाजिक प्रथा को बढ़ावा मिल रहा है। लोगों को ऐसे विश्वास प्रणालियों से छुटकारा पाने के लिए तार्किक और उचित सोच को बढ़ावा देने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए जिससे ऐसे प्रथा समाप्त हो सके।

 

महिला सशक्तीकरण –

अपनी बेटियों के लिए एक अच्छी तरह से स्थापित दूल्हे की तलाश में और बेटी की शादी में अपनी सारी बचत का निवेश करने के बजाए लोगों को अपनी बेटी की शिक्षा पर पैसा खर्च करना चाहिए और उसे स्वयं खुद पर निर्भर करना चाहिए। अगर कोई महिला शादी से पहले काम करती है और उसे आगे भी काम करने की इच्छा है तो उसे अपने विवाह के बाद भी काम करना जारी रखना चाहिए और ससुराल वालों के व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के प्रति झुकने की बजाए अपने कार्य पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करना चाहिए। महिलाओं को अपने अधिकारों, और वे किस तरह खुद को दुरुपयोग से बचाने के लिए इनका उपयोग कर सकती हैं, से अवगत कराया जाना चाहिए।

लैंगिक समानता –

हमारे समाज में मूल रूप से मौजूद लिंग असमानता दहेज प्रणाली के मुख्य कारणों में से एक है। बच्चों को बाल उम्र से ही लैंगिक समानता के बारे में सिखाना चाहिए। बहुत कम उम्र से बच्चों को यह सिखाया जाना चाहिए कि दोनों, पुरुषों और महिलाओं के समान अधिकार हैं और कोई भी एक-दूसरे से बेहतर या कम नहीं हैं। युवाओं को दहेज-प्रथा को समाप्त करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्हें अपने माता-पिता से यह कहना चाहिए कि वे दहेज स्वीकार नहीं करें।

 

उपसंहार –

अभिभावकों को समझना चाहिए कि दहेज के लिए धन बचाने के बजाय उन्हें अपनी लड़कियों को शिक्षित करने के लिए खर्च करना चाहिए। माता-पिता को उन्हें वित्तीय रूप से स्वावलंबी बनाना चाहिए। दहेज मांगना या दहेज देना, दोनों ही भारत में गैर कानूनी और दंडनीय अपराध है। इसलिए ऐसे किसी भी मामले के विरुद्ध शिकायत की जानी चाहिए।
युवाओं को दहेज-प्रथा को समाप्त करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्हें अपने माता-पिता से यह कहना चाहिए कि वे दहेज स्वीकार नहीं करें। क्योकि, शादी आपसी संबंध होती है। दोनों परिवारों को मिलकर साझा खर्च करना चाहिए। तभी सुखद विवाह और सुरती समाज हो पाएँगे तथा देश से दहेज प्रथा हमेशा के लिए समाप्त हो पाएंगे।

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