NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 4 Question Answer हार की जीत
पाठ से
आइए, अब हम इस कविता पर विस्तार से चर्चा करें। आगे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
मेरी समझ से
आइए, अब हम ‘हार की जीत’ कहानी को थोड़ा और निकटता से समझ लेते हैं-
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए –
(1) सुलतान के छीने जाने का बाबा भारती पर क्या प्रभाव हुआ?
- बाबा भारती के मन से चोरी का डर समाप्त हो गया।
- बाबा भारती ने गरीबों की सहायता करना बंद कर दिया।
- बाबा भारती ने द्वार बंद करना छोड़ दिया।
- बाबा भारती असावधान हो गए।
उत्तर :
बाबा के मन से चोरी का डर समाप्त हो गया।
(2) “बाबा भारती भी मनुष्य ही थे ।” इस कथन के समर्थन में लेखक ने कौन-सा तर्क दिया है?
- बाबा भारती ने डाकू को घमंड से घोड़ा दिखाया।
- बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे।
- बाबा भारती को घोड़े से अत्यधिक लगाव और मोह था।
- बाबा भारती हर पल घोड़े की रखवाली करते रहते थे।
उत्तर :
बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरे से सुनने को व्याकुल थे।
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर :
प्रश्न-1 का उत्तर यह हमने इसलिए चुना क्योंकि डाकू खड्गसिंह का दिल बाबा भारती के घोड़े पर आ गया था। जाते-जाते वह कह गया था कि यह घोड़ा मैं आपके पास न रहने दूँगा। बाबा भारती अपने घोड़े से बहुत प्यार करते थे। उसकी रक्षा के लिए उन्होने अस्तबल का पहरा देना आरंभ कर दिया था। उनका प्रिय घोड़ा खड्गसिंह ले गया था। इसलिए अब उनके मन से चोरी का डर समाप्त हो चुका था।
प्रश्न-2 का यह उत्तर हमने इसलिए चुना क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रिय वस्तु या व्यक्ति की प्रशंसा दूसरों से सुनकर प्रसन्न होता है। यह मानव का स्वाभाविक गुण है।
शीर्षक
(क) आपने अभी जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम सुदर्शन ने ‘हार की जीत’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी को यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।
उत्तर :
अभी हमने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम सुदर्शन ने ‘हार की जीत’ रखा है। इस कहानी का यह शीर्षक उन्होंने कहानी के अंत को आधार बना कर रखा है । खड्गसिंह ने बाबा भारती से कहा था कि वह उनके घोड़े सुलतान को उनके पास नहीं रहने देगा। बाबा भारती ने बड़ी तत्परता से अपने घोड़े की रखवाली करनी आरंभ कर दी थी, परंतु वह असफल रहे । खड्गसिंह ने उनका घोड़ा धोखे से उनसे छीन लिया था। बाबा भारती हार गए थे किंतु उनके विचारों से प्रभावित होकर खड्गसिंह उस घोड़े को अपने पास रख न पाया। वह स्वयं ही उनके अस्तबल में घोड़ा छोड़ आया था। इस प्रकार बाबा भारती हार कर भी जीत गए।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए ।
उत्तर :
इस कहानी के और भी शीर्षक हो सकते हैं, इनमें से क शीर्षक “हृदय-परिवर्तन” भी हो सकता हैं । हमने यह नाम इसलिए सोचा क्योंकि अच्छे विचार, अच्छा व्यवहार किसी का भी दिल जीत सकता है। समाज इन्हीं अच्छे मूल्यों पर टिका हुआ है। बाबा भारती के अच्छे व्यवहार ने डाकू खड्गसिंह को घोड़ा वापिस करने को मज़बूर कर दिया था, जबकि डाकू यदि एक बार किसी वस्तु पर अधिकार कर लेते हैं तो लौटाते नहीं है। पर इस कहानी में डाकू खड्गसिंह बाबा भारती के विचारों से प्रभावित होकर चुपचाप स्वयं ही घोड़े को अस्तबल में बाँध गया । अतः कहानी का ” हृदय परिवर्तन” शीर्षक भी उचित है।
(ग) बाबा भारती ने डाकू खड्गसिंह से कौन – सा वचन लिया?
उत्तर :
बाबा भारती ने डाकू खड्गसिंह से वचन लिया कि एक अपाहिज, दीन, गरीब, बेसहारा बनकर जिस प्रकार उसने उनका घोड़ा छीना है, उसे वह किसी को न बताए । यदि लोगों को यह घटना पता चल जाएगी तो कोई भी किसी जरूरतमंद व बेसहारा की सहायता नहीं करेगा।
पंक्तियों पर चर्चा
कहानी में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार लिखिए-
” भगवत- भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता।”
उत्तर :
बाबा भारती ने अपना रुपया-पैसा, धन-दौलत आदि सब छोड़ दिया था। वे अपना परिवार और शहर छोड़कर एक गाँव में आ गए थे। वे गाँव के बाहर एक मंदिर में रहते थे। उनमें लोभ, मोह जैसे दुर्गुण समाप्त हो गए। अब उनके प्राण उनके घोड़े सुलतान में बसते थे, इसलिए ईश्वर भक्ति से जो समय बचता था, उसे वे घोड़े की सेवा और उसके साथ ही व्यतीत करते थे। अपने घोड़े के प्रति उनका यह प्रेम निस्वार्थ था।
“बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से । ”
उत्तर:
बाबा अपने घोड़े,से बहुत प्यार करते थे । उनका घोड़ा था भी कुछ ऐसा ही बाँका, सजीला और फुर्तीला । जो भी उस घोड़े को देखता तो उसकी कद-काठी, उसकी चाल-ढाल को देखकर मोहित हुए बिना नहीं रहता था, इसलिए खड्गसिंह के घोड़ा देखने के आग्रह पर बाबा भारती ने अपना घोड़ा घमंड से उसे दिखाया। उस घोड़े के डील-डौल और चाल को देखकर खड्गसिंह जैसा डाकू भी आश्चर्यचकित रह गया। बाबा भी थे तो मनुष्य ही ।
” वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर अपना अधिकार समझता था । ”
उत्तर :
डाकू बेरहम होने के साथ-साथ शक्तिशाली भी होते हैं। दूसरों की धन-संपत्ति और वस्तुओं पर वो अपना अधिकार समझते हैं। बाबा भारती के घोड़े सुलतान ने तो उसके मन को आकर्षित कर लिया था। इसलिए उसने घोड़े को छीनने का निश्चय कर लिया था। यह डाकुओं का स्वभाव होता है।
“बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है। ”
उत्तर :
खड्गसिंह ने एक अपाहिज का वेश बनाकर धोखे से बाबा भारती से उनके घोड़े को छीन लिया था। बाबा भारती के पुकारने पर उनकी विनती सुनकर खड्गसिंह रुक गया। बाबा भारती ने अपने घोड़े के पास जाकर उसे निहारा फिर खड्गसिंह को ऐसे देखा मानो वह बकरा हो और खड्गसिंह कसाई क्योंकि खड्गसिंह उनके प्राणों से भी प्रिय छोड़े सुलतान को उनसे दूर ले जा रहा था। उन्होंने निविर्कार भाव से कहा कि मैं तुमसे घोड़ा वापिस नहीं, माँग रहा, इसे तो तुमने धोखे से छीन लिया है। यह बाबा का लोभ से विरक्त स्वभाव था ।
“ उनके पाँव अस्तबल की ओर मुड़े । परंतु फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल प्रतीत हुई । ”
उत्तर :
पहले दिन संध्या समय खड्गसिंह ने बाबा भारती से उनका घोड़ा धोखे से छीन लिया था। बाबा भारती सुबह-सवेरे ही नहाकर अपने घोड़े से मिलने उसके अस्तबल में जाते थे । रोज की आदत के कारण वह अस्तबल के फाटक तक पहुँच गए, तभी उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ कि सुलतान को तो खड्गसिंह ले गया है।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित पंक्ति के विषय में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
” दोनों के आँसुओं का उस भूमि की मिट्टी पर परस्पर मेल हो गया। ”
(क) किस-किस के आँसुओं का मेल हो गया था ?
उत्तर :
बाबा भारती के व्यवहार ने खड्गसिंह की आँखें खोल दी थीं। उसे अपनी गलती का आभास हो गया था। इसलिए अपनी गलती सुधारने के लिए उसने रात के अँधेरे में बाबा भारती का घोड़ा उनके अस्तबल में बाँध दिया। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। जहाँ उसके आँसू गिरे, अपने घोड़े को वापिस पाकर खुशी के मारे बाबा भारती के आँसू भी ठीक उसी स्थान पर गिरे। इस प्रकार दोनों के आँसुओं का मेल हो गया।
(ख) दोनों के आँसुओं में क्या अंतर था ?
उत्तर :
खड्गसिंह की आँखों से पश्चात्ताप के आँसू निकल रहे थे और बाबा भारती की आँखों से अपने घोड़े को दुबारा प्राप्त करने के कारण खुशी के आँसू थे।
दिनचर्या
(क) कहानी पढ़कर आप बाबा भारती के जीवन के विषय में बहुत कुछ जान चुके हैं। अब आप कहानी के आधार पर बाबा भारती की दिनचर्या लिखिए। वे सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक क्या-क्या करते होंगे, लिखिए। इस काम में आप थोड़ा-बहुत अपनी कल्पना का सहारा भी ले सकते हैं।
उत्तर :
बाबा भारती ने धन-दौलत और शहर का जीवन सब कुछ छोड़ दिया था। बाबा भारती गाँव के बाहर बने हुए एक मंदिर में रहते थे।
बाबा रोज सुबह चौथा पहर शुरू होते ही उठ जाते थे। इसके पश्चात् अपने नित्य कर्म से निवृत होकर, स्नान करके पहले अपने घोड़े को चारा इत्यादि देते और पानी पिलाते । उसे दुलार करने के बाद मंदिर में जाकर ईश्वर भक्ति करते । ईश्वर भक्ति पूरी करने के पश्चात गाँव के लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे। यदि किसी परिवार या कुछ व्यक्तियों के आपस में मतभेद या मनमुटाव हो जाता था तो गाँव के कुछ समझदार लोगों के साथ मिलकर दोनों पक्षों के मतभेद दूर करते थे। इसके पश्चात दोपहार का भोजन इत्यादि करके कुछ देर विश्राम करते। इसके पश्चात फिर एक बार घोड़े के पास जाकर उसके चारे – पानी को देखते। फिर दुबारा संध्या वंदन में लग जाते थे। तत्पश्चात् भोजन इत्यादि करके फिर अपने घोड़े सुलतान के पास जाते और उस पर चढ़कर कुछ मील की सैर करके आते। फिर अपने घोड़े की सेवा कर सोने चले जाते।
(ख) अब आप अपनी दिनचर्या भी लिखिए।
उत्तर :
मेरी दिनचर्या – मैं संयुक्त परिवार में रहता हूँ। मैं सुबह पाँच बजे उठ जाता हूँ। उठकर पहले घर के सभी बड़ों के चरण छूकर उन्हें प्रणाम करता हूँ। फिर नित्यकर्म से निपटकर अपने दादा जी के साथ व्यायाम करता हूँ। तत्पश्चात् अपने बिस्तर की चादर झाड़कर बिछाता हूँ। अपने विद्यालय का बस्ता समय-सारिणी के अनुसार एक बार देखता हूँ। इसके पश्चात् नहा-धोकर अपने मंदिर में भगवान के सामने नतमस्तक होता हूँ। इतनी देर में माँ और चाची हमारा नाश्ता’ टेबल पर लगा देती हैं, साथ ही हमारा लंच बॉक्स भी रख देती हैं। नाश्ता करके हम विद्यालय जाते हैं। विद्यालय से घर आकर हम खाना खाकर विश्राम करते हैं। उसके पश्चात् विद्यालय से मिला गृहकार्य करते हैं तथा कक्षा में पढ़ाए गए पाठों की पुनरावृत्ति करते हैं। फिर संध्या समय मित्रों के साथ खेलते हैं। घर आकर माँ की सहायता करते हैं। खाना खाकर दादी-दादा जी साथ बैठकर बातें करते हैं। तत्पश्चात् अपने कमरे में जाकर सो जाते हैं।
कहानी की रचना
(क) इस कहानी की कौन-कौन सी बातें आपको पसंद आईं ? आपस में चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
यह कहानी हमें बहुत अच्छी लगी। बाबा भारती उम्र के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करने के पश्चात् मोह-माया का त्याग करके गाँव के शांत जीवन में भगवान का भजन . करते हुए जीवन व्यतीत कर रहे थे। अपने घोड़े सुलतान से उन्हें विशेष लगाव था । खड्गसिंह ने उनका प्रिय घोड़ा भी उनसे छीन लिया। फिर भी उन्होंने उससे यह वचन माँगा कि यह धोखा वह किसी के सामने प्रकट न करे। नहीं तो, लोगों का गरीब ज़रूरतमंदों पर से विश्वास उठ जाएगा।
(ख) कोई भी कहानी पाठक को तभी पसंद आती है जब उसे अच्छी तरह लिखा गया हो। लेखक कहानी को अच्छी तरह लिखने के लिए अनेक बातों का ध्यान रखते हैं, जैसे- शब्द, वाक्य, संवाद आदि। इस कहानी में आए संवादों के विषय में अपने विचार लिखें
उत्तर :
हाँ, यह बात बिलकुल सही हैं कि कोई भी कहानी पाठक को तभी पसंद आती है, जब उसे अच्छी तरह से लिखा गया हो। इस कहानी में शब्दों, वाक्यों, संवादों इत्यादि का चयन पात्रानुकूल एवं स्थानानुकूल बहुत सटीक किया गया है। यह शिक्षाप्रद कहानी बहुत रोचक ढंग से लिखी गई है।
मुहावरे कहानी से
(क) कहानी से चुनकर कुछ मुहावरे नीचे दिए गए हैं- लट्टू होना, हृदय पर साँप लोटना, फूले न समाना, मुँह मोड़ लेना, मुख खिल जाना, न्योछावर कर देना । कहानी में इन्हें खोजकर इनका प्रयोग समझिए ।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं पढ़कर समझें ।
(ख) अब इनका प्रयोग करते हुए अपने मन से नए वाक्य बनाइए ।
उत्तर :
- लट्टू होना – अपने मित्र की चित्रकला देखकर मैं इस पर लट्टू हो गया।
- हृदय पर साँप लोटना- हमारे नए घर की भव्यता देखकर कुछ लोगों के हृदय पर साँप लोट गए।
- फूले न समाना- कला में प्रथम आने का समाचार सुन कर मेरे परिवार के सभी सदस्य फूले न समाए ।
- मुँह मोड़ लेना – मुसीबत के समय तो बहुत लोग मुँह मोड़ लेते हैं।
- मुख खिल जाना – अपने मित्र को अचानक सामने देख कर मेरा मुख खिल गया।
- न्योछावर कर देना- हमारे देश के वीर सैनिक देश के लिए हँसते-हँसते अपने प्राण न्योछावर कर देते हैं।
कैसे-कैसे पात्र
इस कहानी में तीन मुख्य पात्र हैं- बाबा भारती, डाकू खड्गसिंह और सुलतान घोड़ा! इनके गुणों को बताने वाले शब्दों से दिए गए शब्द – चित्रों को पूरा कीजिए-
उत्तर :
बाबा भारती | डाकू खड्गस्सिंह | सुलतान घोड़ा |
दयालु | बेरहम | बलवान |
सादगी | स्वार्थी | बाँका |
भगवद्भक्त | बाहुबली | सुंदर |
दृढ़ निश्चयी | चालाक | मनमोहक |
परोपकारी | धूर्त | स्वामीभक्त |
समाज सुधारक | पश्चाताप करने वाला | तीव्रगामी |
कर्त्तव्य परायण |
(आपने जो शब्द लिखे हैं, वे किसी की विशेषता, गुण और प्रकृति के बारे में बताने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। ऐसे शब्दों को विशेषण कहते हैं।)
पाठ से आगे
सुलतान की कहानी
मान लीजिए, यह कहानी सुलतान सुना रहा है। तब कहानी कैसे आगे बढ़ती ? स्वयं को सुलतान के स्थान पर रखकर कहानी बनाइए ।
(संकेत- आप कहानी को इस प्रकार बढ़ा सकते हैं – मेरा नाम सुलतान है। मैं एक घोड़ा हूँ.. )
उत्तर :
मैं एक घोड़ा हूँ। मेरा नाम सुलतान है। मेरे स्वामी का नाम बाबा भारती है। वह बहुत दयालु हैं। उनके पास बहुत संपत्ति थी, किंतु अपनी सारी संपत्ति शहर में अपने परिवार के पास छोड़कर केवल मुझे लेकर यहाँ गाँव में आ गए हैं। मैं और वे गाँव के बाहर एक मंदिर में रहते हैं। उनका ज्यादातर समय पूजा-पाठ में निकल जाता है। मैं बहुत सुंदर और बलवान हूँ। मेरे जोड़ का आस-पास कोई और घोड़ा नहीं है। मेरे स्वामी खुद ही मेरा खरहरा करते हैं और खुद ही मुझे दाना-पानी देते हैं। संध्या समय मुझ पर चढ़कर एक चक्कर अवश्य लगाते हैं।
एक दिन खड्गसिंह नाम का एक डाकू मेरी प्रशंसा सुनकर मुझे देखने आ गया। मुझे देखकर वह मुझ पर लट्टू हो गया। डाकू तो पसंद आने वाले वस्तु को हासिल कर ही लेते हैं। जाते-जाते मेरे स्वामी से वह कह गया – “बाबा जी, मैं यह घोड़ा आपके पास न छोडूंगा । ” मेरे स्वामी बाबा भारती दिन-रात मेरी रखवाली करते। जब खड्गसिंह कई महीने तक नहीं आया तो एक शाम को वो मुझ पर सवार होकर घूमने निकले। रास्ते में एक करुणाभरी आवाज़ आई बाबा इस कंगले की सुनते जाना। आवाज़ सुनते ही मेरे दयालु मालिक ने उससे उसका कष्ट पूछा- उस अपाहिज ने कहा मुझे तीन मील दूर रामावाला में दुर्गादत्त वैद्य के पास जाना है। यदि तुम मुझे घोड़े पर चढ़ाकर वहाँ तक – पहुँचा दो तो अच्छा होगा। भगवान तुम्हारा भला करेंगे। मेरे स्वामी ने उस अपाहिज को मुझ पर बिठा दिया और स्वयं मेरी लगाम पकड़कर चलने लगे। तभी अपाहिज का वेश धारण किए उस डाकू खड्गसिंह ने तन कर बैठते हुए मेरी लगाम खींच कर मुझे दौड़ा लिया। मेरे स्वामी चिल्ला कर बोले – ” ठहर जाओ।”
उनकी आवाज़ सुनकर खड्गसिंह ने मुझे रोक कर वापिस आकर कहा – ” घोड़ा तो मैं वापिस नहीं करूँगा।” मेरे स्वामी ने कहा- ” मैं तुमझे घोड़ा माँग भी नहीं रहा । मेरी बस यही विनती है कि तुम यह घटना किसी को मत बताना।” यह कहकर मेरे स्वामी लौटने लगे। खड्गसिंह ने कारण पूछा तो उन्होंने कहा- ” लोगों का विश्वास गरीबों से उठ जाएगा।” मेरे स्वामी वापिस मंदिर आ गए। मेरे स्वामी के विचारों से खड्गसिंह का हृदय परिवर्तित हो गया। वह रात के अंधेरे में आकर मंदिर के पास बने मेरे अस्तबल में मुझे बाँध गया। अगली सुबह मेरे मालिक नित्य की तरह नहाकर जैसे ही अस्तबल के फाटक तक आए, वैसे ही उनकी पदचाप पहचानकर मैं हिनहिनाया और उन्होंने दौड़कर मुझे गले लगा लिया । हम दोनों बहुत प्रसन्न हुए। दोनों ऐसे मिले जैसे हम बरसों बाद मिल रहे हों।
मन के भाव
(क) कहानी में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। बताइए, कहानी में कौन, कब, ऐसा अनुभव कर रहा था-
- चकित
- अधीर
- डर
- प्रसन्नता
- करुणा
- निराशा
उत्तर :
- चकित – डाकू खड्गसिंह ने बाबा भारती से उनके सुलतान को छीन लिया था, किंतु घोड़े के छीने जाने के बाद भी बाबा भारती ने उससे यहा कहा कि इस घटना को किसी को नहीं बताना। यह सुनकर डाकू का भी हृदय परिवर्तित हो गया और वह घोड़े को वापिस बाबा के पास छोड़ गया। अपने सुलतान को वापस पाकर बाबा आश्चर्यचकित रह गए।
- प्रसन्नता – खड्गसिंह द्वारा घोड़ा ले जाने की बात कही जाने के महीनों बाद भी जब कोई घोड़ा लेने नहीं आया तो एक शाम बाबा भारती घोड़े पर सवार होकर निकले तो उस समय उनके चेहरे की प्रसन्नता देखते ही बनती थी।
- अधीर – पहली बार घोड़े को देखकर खड्गसिंह अधीरता से बोले – ” बाबाजी, इसकी चाल न देखी तो क्या?”
- करुणा- अपाहिज बने खड्गसिंह ने करुणा भरी आवाज़ में बाबा भारती से सहायता माँगी ।
- डर – घोड़े को देखकर डाकू खड्गसिंह ने कहा- ‘बाबा यह घोड़ा तो मैं आपके पास न रहने दूँगा । यह सुनकर बाबा डर गए। “
- निराशा – घोड़े पर तनकर बैठे उस अपाहिज वेशधारी खड्गसिंह को देखकर बाबा भारती की भय और निराशा से भरी चीख निकल गई।
(ख) आप उपर्युक्त भावों को कब-कब अनुभव करते हैं? लिखिए।
(संकेत- जैसे गली में किसी कुत्ते को देखकर डर या प्रसन्नता या करुणा आदि का अनुभव करना । )
उत्तर :
1. अपनी माँ द्वारा दी गई भेंट पाकर मैं प्रसन्नता से भर गया और भेंट को खोला तो मैं चकित रह गया क्योंकि वह मेरी मनपसंद की घड़ी थी ।
2. मुझे कुत्तो से डर लगता है।
3. हम अपना परीक्षा – फल जानने के लिए अधीर हो रहे हैं।
4. भिखारी की करुणा भरी पुकार सुनकर सभी का मन पसीज गया।
5. निराशा में डूब कर प्रयत्न करना मत छोड़ो आशा का सहारा लेकर आगे बढ़ो ।
झरोखे से
आप जानते ही हैं कि लेखक सुदर्शन ने अनेक कविताएँ भी लिखी हैं। आइए, उनकी लिखी एक कविता पढ़ते हैं—
वह चली हवा
वह चली हवा,
वह चली हवा।
ना तू देखे
ना मैं देखूँ
पर पत्तों ने तो देख लिया
वरना वे खुशी मनाते क्यों?
वह चली हवा,
वह चली हवा।
– सुदर्शन
साझी समझ
आपको इस कविता में क्या अच्छा लगा ? आपस में चर्चा कीजिए और अपनी लेखन – पुस्तिका में लिखिए।
खोजबीन के लिए
सुदर्शन की कुछ अन्य रचनाएँ पुस्तक में दिए गए क्यू. आर. कोड या इंटरनेट या पुस्तकालय की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।