NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 4 वे आँखें

Created with Sketch.

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 4 वे आँखें

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

कविता के साथ

प्रश्न 1.
अंधकार की गुहा सरीखी
उन आँखों से डरता है मन।
(क) आमतौर पर हमें डर किन बातों से लगता है?
(ख) उन आँखों से किसकी ओर संकेत किया गया है?
(ग) कवि को उन आँखों से डर क्यों लगता है?
(घ) डरते हुए भी कवि ने उस किसान की आँखों की पीड़ा का वर्णन क्यों किया है?
(ङ) यदि कवि इन आँखों से नहीं डरता क्या तब भी वह कविता लिखता ?
उत्तर:
(क) आमतौर पर हमें अंधकार, मृत्यु, आर्थिक हानि, अपमान, मार-पीट आदि से डर लगता है।
(ख) ‘उन आँखों’ से उजड़े हुए किसान की आँखों की ओर संकेत किया गया है। वह निराश, हताश व उदासीन है। उसका सब कुछ नष्ट हो चुका है।
(ग) किसान की आँखों में करुणा, पीड़ा व दीनता का भाव भरा है। इनमें भय व खालीपन है। कवि उसका सामना नहीं कर सकता। इस कारण उसे उन आँखों से डर लगता है।
(घ) कवि को किसान की आँखों से डर लगता है, परंतु फिर भी वह उसका वर्णन करता है, क्योंकि वह समाज को उसके कष्टों व समाज के उपेक्षापूर्ण रवैये के बारे में बताना चाहता है।
(ङ) यदि कवि इन आँखों से नहीं डरता तो वह कविता नहीं लिख पाता। इसका कारण यह है कि उसे किसान की पीड़ा का बोध नहीं होता। बिना बोध हुए कवि कुछ लिखने में सक्षम नहीं होता।

प्रश्न. 2.
कविता में किसान की पीड़ा के लिए किन्हें जिम्मेदार बताया गया है?
उत्तर:
कविता में किसान की पीड़ा के लिए समस्त संसार को जिम्मेदार बताया गया है। कवि कहता है कि किसान को बीच धारा में छोड़कर समस्त संसार किनारे हो गया है। हमारी सारी व्यवस्था इस किसान की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार है। स्वतंत्रता के पश्चात् भी समस्त समाज के अन्नदाता किसान को उसकी मेहनत का फल मिलना तो दूर रहा, उसका सर्वस्व छीन लिया जाना दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है।

प्रश्न. 3.
पिछले सुख की स्मृति आँखों में क्षण भर एक चमक है लाती-इसमें किसान के किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर:
किसान के पिछले सुख निम्नलिखित हो सकते हैं

(क) लहलहाती खेती
(ख) बैलों की जोड़ी
(ग) उजरी गाय
(घ) पत्नी, पुत्र, पुत्रवधू
(ङ) खेतों का स्वामित्व

इन सभी से उसे सुख मिलता था तथा वह अपने जीवन से संतुष्ट था। इन सबकी स्मृति से उसकी आँखों में क्षणभर के लिए चमक आ जाती है।

प्रश्न. 4.
संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करेंउत्तर-
(क) उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
(ख) घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन
(ग) पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती,
तुरत शून्य में गड़ वह चितवन,
तीखी नोक सदृश बन जाती।
उत्तर:
(क) संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘वे आँखें’ कविता में किसान के दुखद जीवन की उस स्थिति का वर्णन कर रही है जब उसके घर की एक-एक चीज़ महाजन के ब्याज की कौड़ी-कौड़ी चुकाने में कुर्क हो जाती है। सुमित्रानंदन पंत ने इन पंक्तियों में ऐसा वर्णन किया है जैसे वे स्वयं इस दशा को भोग रहे हों।
आशय – किसान के खेत-खलिहान, घर-द्वार सब बिक चुके हैं, फिर भी महाजन ने ब्याज की एक कौड़ी तक नहीं छोड़ी। वसूली करने के लिए महाजन ने बैलों की जोड़ी भी नीलाम करवा दी। इन पंक्तियों में किसान को अपनी उजली सफ़ेद गाय की याद आ रही है जो अब किसान के पास नहीं है। किसान सोच रहा है कि वह तो मेरी पत्नी के अतिरिक्त किसी से दूध ही नहीं दुहाती (निकलवाती) थी तो अब महाजन के घर मेरी गाय की क्या दशा होगी? जो भी उसके पास आता होगा उसे सींग मारती होगी या फिर वे लोग मेरी ‘उजरी’ को पीटते होंगे। इसी प्रकार सोच-सोचकर किसान की आँखों में उस समय के चित्र नाच उठे हैं जिस समय वह खुश था। ऐसी बातें याद करते हुए उसको मन घोर निराशा और दुख से भर जाता है।

(ख) संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘वे आँखें’ कविता में किसान के उजड़े हुए घर का वर्णन करने के लिए सुमित्रानंदन पंत’ द्वारा लिखी गई हैं। इन पंक्तियों में किसान की वेदना तो है ही, साथ-साथ समाज और परिवार में स्त्री के प्रति दुर्भावना का भी परिचय मिलता है। कवि इस स्थिति से पाठक को अवगत कराना चाहता है।
आशय – विपरीत परिस्थितियों में अनेक आर्थिक संकटों के चलते किसान अपनी पत्नी, पुत्र, पुत्री, बैलों की जोड़ी आदि को खो चुका है। अब उसके घर में केवल उसके मृत पुत्र की विधवा बहू बची है। परिवार की इस उजड़ी हुई दशा को सहन कर पाना बड़ा ही कठिन है। किसान उस बहू के घर की लक्ष्मी के रूप में लाया था, पर आज उसे पति का घात करने वाली कहकर तिरस्कृत किया जा रहा है। ग्रामीण कृषक संस्कृति और समाज में, स्त्री से पूर्व उसके पति को मृत्यु हो जाना अच्छा नहीं माना जाता और इस बात (मृत्यु) का दोषारोपण उस स्त्री पर ही किया जाता है। इसी बात का परिचय देते हुए पंत जी ने सामाजिक स्थिति का परिचय देने का प्रयास किया है। पाठक के समक्ष एक सामाजिक चित्र खींचा है।

(ग) संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियों की रचना ‘सुमित्रानंदन पंत’ द्वारा ‘वे आँखें’ कविता के अंतर्गत की गई है। इन पंक्तियों में कवि ने किसान की पीड़ाओं के साथ-साथ ग्रामीण समाज में स्त्रियों की दशा का भी वर्णन किया है।
आशय – अपने पिछले दिनों की यादें कृषक की आँखों में क्षणिक चमक लाती है पर तुरंत ही उस सुख के संसार के खोने का अहसास किसान की नज़रों को शून्य में गाड़ देता है। उसकी दृष्टि नुकीली चुभनदार बन जाती है। अर्थात् उसकी हर खुशी लुट चुकी है। उसे अपने खेत, बैल, पुत्र-पुत्री-पत्नी का बिछोह इतना सालता है कि उसकी सूनी आँखें शून्य में ताकती हुई निराशा से भरी रहती हैं।

कविता के आसपास

किसान अपने व्यवसाय से पलायन कर रहे हैं। इस विषय पर परिचर्चा आयोजित करें तथा कारणों की भी पड़ताल करें।
किसान अपने व्यवसाय से पलायन कर रहे हैं। इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित करें तथा निम्नलिखित कारणों पर चर्चा की जा सकती है –

  1. कृषि लाभ का व्यवसाय है या नहीं।
  2. रोज़गार के रूप में
  3. बीज, सिंचाई, खाद आदि की कमी
  4. उचित मूल्य न मिलना (5) कामचोरी

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न. 1.
‘वे आँखें’ कविता में आँखों को ‘अंधकार की गुफा के समान’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
‘वे आँखें’ कविता में किसान की आँखों का वर्णन करते हुए कवि किसान के आर्थिक, सामाजिक एवं पारिवारिक कष्टों के बिंब उसकी आँखों में देख रहा है। उसकी गरीबी, निराशा और सूनापन अंधकार के रूप में वर्णित है। इस अँधेरे से कवि स्वयं भयभीत है।

प्रश्न. 2.
स्वाधीन भारत में किसानों की क्या स्थिति है?
उत्तर:
स्वाधीन भारत में किसान को केंद्र में रखकर व्यवस्था ने निर्णायक हस्तक्षेप नहीं किया है। आज भी किसान विपन्नता और असुविधाओं के दुश्चक्र में फँसा हुआ है। यह बड़ा दुखद सत्य है कि अनेक पंचवर्षीय योजनाओं में किसान और कृषि के लिए धनराशि और नियम बने ज़रूर, पर उनका आंशिक लाभ भी किसान को नहीं मिल सका है।

प्रश्न. 3.
किसान के खेत, पुत्र और घर-द्वार के साथ क्या हुआ?
उत्तर:
किसान के खेतों से उसे बेदखल कर दिया गया। किसान के पुत्र को जमींदार के कारिंदों ने लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला। उधार चुकाने के लिए महाजन ने किसान का घर-द्वार सब बिकवा दिया। ब्याज की एक-एक कौड़ी चुकाने में उसकी बैलों की जोड़ी कुर्क कर ली गई।

प्रश्न. 4.
किसान की आँखों में कौन-सी खेती नाचती रहती है?
उत्तर:
एक समय था जब किसान के पास लहलहाते खेत थे, जवान बेटा था, अच्छी पत्नी थी, पुत्रवधू थी, बैलों की जोड़ी और उजली गाय से भरा-पूरा घर-द्वार था। इस सुख और वैभव के संसार में से अब उसके पास कुछ भी शेष नहीं है। यही उसके सुख की खेती थी जो अब उसकी आँखों में स्मृति बनकर नाचती रहती है।

प्रश्न. 5.
कवि ने किसान के रोदन को ‘नीरव’ क्यों कहा है?
उत्तर:
कवि का मानना है कि किसान की स्थिति दयनीय है। उसकी आँखों के अंदर दुख समाया हुआ है। उसकी आँखों में उसी दुख की छाया के रूप में रोने का भाव अनुभव किया जा सकता है। वह चीख-चीख कर रो नहीं रहा है। उस पर जो भी अत्याचार हुए हैं, वे सभी उसकी आँखों में झलक पड़ते हैं। अतः न रोते हुए भी उसके नीरव रोदन को कोई भी सुन सकता है।

प्रश्न. 6.
‘वे आँखें’ कविता में सामाजिक व्यवस्था के किन दोषों को उद्घाटित किया गया है?
उत्तर:
कविता यह बताती है कि खेतों का अधिकारी किसान, खेत में मजदूरी करते हुए दुखों को भोग रहा है। आज भी सामंतवाद की जड़ें हमारे गाँवों में जमी हुई हैं। किसान इतना बेबस है कि उसके पुत्र को जमींदार के कारिंदे लाठियों से पीट-पीटकर मार डालते हैं। पुत्र की बहू को कोतवाल बुलवाता है तो विवश होकर वह आत्महत्या कर लेती है। समाज में स्त्री की दुर्दशा का चित्रण है जब कवि किसान के पतोहू को पति घातिन कहता है; पैर की जूती कहता है। यहाँ हमारी सामाजिक व्यवस्था की कलई खोलने में कवि पूर्णत: सफल सिद्ध हुआ है।

प्रश्न. 7.
‘नारी को समाज में आज भी उचित सम्मान नहीं मिल रहा’-‘वे आँखें’ कविता के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
कवि नारी के प्रति रुग्ण सामाजिक मानसिकता को बताया है। पुत्र की हत्या हो जाने के पश्चात् किसान अपनी पतोह को गृह-लक्ष्मी स्वीकारता था, पर अब पति-घातिन कहता है। सुरक्षा के लिए तैनात सरकारी मुलाजिम कोतवाल उस विधवा की मृत्यु का कारण बनता है। किसान अपनी पतोहू की मौत से इतना दुखी नहीं है। वह कहता है कि औरत तो पैर की जूती के समान है, एक नहीं रही तो दूसरी आएगी, पर पुत्र की मौत याद आते ही दुख से उसकी छाती फटने लगती है। इन्हें पढ़कर पाठक स्पष्ट हो जाता है कि आज भी हमारा समाज संकीर्ण मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाया है।

प्रश्न. 8.
कौन-सी स्मृतियाँ किसान की आँखों में एक चमक ले आती हैं?
उत्तर:
किसान की आँखें पिछले सुख की स्मृतियों से चमक उठती हैं। जब किसान के सुख का संसार बसा हुआ था, वह लहलहाते खेतों का स्वामी था। उसके परिवार के सभी सदस्य पत्नी, पुत्र, पुत्रवधू, पुत्री, गाय, बैलों की जोड़ी थी। इन सबकी यादें क्षणभर के लिए ही सही किसान की आँखों में चमक ले आती हैं।

प्रश्न. 9.
सुमित्रानंदन पंत ने अपनी भाषा को चित्र भाषा (बिंबात्मक भाषा) की संज्ञा दी है; प्रस्तुत कविता के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
‘वे आँखें’ कविता में किसान की आँखें वह मंच है जिस पर बारी-बारी से किसान के दुखों का एक-एक चित्र चल रहा है। छोटी-छोटी काव्य पंक्तियों में सरल भाषा होते हुए भी अभिव्यक्ति इतनी सशक्त है कि हर दृश्य पाठक की आँखों में स्वतः उभरता है। किसान के पुत्र की लाठियों से पीट-पीटकर हत्या, लहलहाते खेतों से किसान का बेदखल किया जाना, कोतवाल के बुलाए जाने पर पुत्रवधू का आत्महत्या कर लेना और उजली गाय द्वारा किसान की पत्नी के सिवाय और किसी से दूध न दुहाना ऐसे बिंब हैं जो किसान की आँखों से स्वतः ही पाठक की आँखों में झलकने लगते हैं।

प्रश्न. 10.
‘वे आँखें’ कविता में ‘पैर की जूती’ किसे कहा गया है? इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
‘पैर की जूती’ जोरू-स्त्री, पत्नी के लिए कहा गया है। इसका अर्थ है कि समाज की नज़रों में स्त्री तुच्छ-सी वस्तु है। यदि एक मर भी गई तो दूसरी आ जाएगी।

प्रश्न. 11.
‘जीवन की हरियाली’ से क्या तात्पर्य है? ‘वे आँखें’ कविता के आधार पर बताइए।
उत्तर:
जीवन की हरियाली अर्थात् जीवन की खुशी, प्रसन्नता और एक-एक आवश्यकता को पूरा करने के लिए किसान खेत के एक-एक तिनके पर ही निर्भर था।

प्रश्न. 12.
किसान की आँखों का तारा’ अब केवल उसकी आँखों में ही क्यों घूमता रहता है?
उत्तर:
किसान के पुत्र को जमींदार के कारिंदों ने लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला। जवान पुत्र की निर्मम हत्या को किसान भुला नहीं सकता। अतः उसकी छवि सदैव उसकी आँखों में ही घूमती रहती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This is a free online math calculator together with a variety of other free math calculatorsMaths calculators
+